राजस्थान में कांग्रेस के बड़े दलित नेता और गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का सोमवार देर शाम निधन हो गया। 72 साल के मेघवाल ने गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 10 मई को मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। काफी दिनों से वेंटिलेटर पर थे। 29 अक्टूबर को मेघवाल की बेटी बनारसी मेघवाल का निधन हुआ था।
गहलोत सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और आपदा प्रबंधन मंत्री मेघवाल कांग्रेस में इंदिरा गांधी के वक्त से जुड़े थे। शेखावाटी और बीकानेर संभाग में दलित वोट बैंक में उनकी खासी पकड़ थी। उनके निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त की।
मेघवाल की 13 अप्रैल को तबीयत बिगड़ी थी। उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था। इसके बाद वह जयपुर के हॉस्पिटल में एडमिट रहे हैं। बाद में परिवार ने मुख्यमंत्री गहलोत से उन्हें इलाज के लिए दिल्ली शिफ्ट करने की अपील की थी। जिसके बाद भंवरलाल मेघवाल को दिल्ली शिफ्ट किया गया था। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।
मास्टर भंवरलाल के निधन के बाद कांग्रेस की मंगलवार को होने वाली कार्यशाला सहित अन्य सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। मंगलवार को राज्य में राजकीय शोक रहेगा। मास्टर भंवरलाल मेघवाल की छवि एक कुशल प्रशासक की मानी जाती थी l वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पिछली सरकार में भी शिक्षा मंत्री थे। वर्तमान में चूरू की सुजानगढ़ सीट से विधायक थे। वह अब तक 5 बार विधायक रह चुके हैं।
खुद एयरपोर्ट तक गए थे गहलोत
मास्टर भंवरलाल के कांग्रेस में कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 10 मई को उन्हें मेदांता शिफ्ट किया गया था तो खुद गहलोत एयरपोर्ट तक गए थे। गहलोत ने अपनी देखरेख में उन्हें मेदांता के लिए शिफ्ट करवाया था। इसके अलावा, जयपुर में भर्ती रहने के दौरान भी गहलोत और सचिन पायलट उनका हालचाल लेने के लिए पहुंचे थे।
पांच दिन पहले ही मेघवाल की पत्नी पंचायत समिति सदस्य बनी
मास्टर भंवरलाल मेघवाल की पत्नी केसर देवी पांच दिन पहले ही पंचायत समिति सदस्य बनी हैं। कांग्रेस ने केसर देवी को चूरू जिले के सुजानगढ़ में शोभासर ब्लॉक में पंचायत समिति सदस्य का प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद चुनाव के तहत नामांकन वापसी के दिन 5 लोगों ने नामांकन वापस ले लिया था। इसके बाद केसर देवी निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं।
बयानों के कारण चर्चित रहे, 5 बार विधायक बने
1977 में राजनीति की शुरुआत करने वाले मास्टर भंवरलाल की कांग्रेस में एससी नेता के तौर पर पहचान थी। चूरू जिले के सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 10 बार चुनाव लड़े भंवरलाल 5 बार (1980, 90, 98, 2008 और 2018)) में विधायक बने। वे पांच चुनाव हारे भी। शिक्षा मंत्री रहते श्रीगंगानगर जिले के प्रभारी मंत्री रहे और पिछले लोकसभा चुनाव में श्रीगंगानगर सीट के प्रभारी थे। कर्मचारियों व तबादलों पर राजनीतिक बयानों की वजह से चर्चित रहे भंवरलाल कांग्रेस की पिछली गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री पद का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे।