AajTak : May 16, 2020, 03:29 PM
दिल्ली: कोरोना संकट काल में सरकार ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया है। इस पैकेज के बारे में विस्तार से बताने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं।
इसी के तहत बीते शुक्रवार को भी वह मीडिया के सामने आईं। इस दौरान उन्होंने करीब 65 साल पुराने कानून में बदलाव करने का ऐलान किया। आइए जानते हैं कि इस बदलाव का किसे फायदा मिलेगा। दरअसल, सरकार ने अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज जैसी कृषि उपज को 'नियंत्रणमुक्त' करने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार करीब 65 साल पुरानी आवश्यक वस्तु अधिनियम (एसेंशियल कमोडिटी एक्ट) में संशोधन करने जा रही है।इन संशोधनों के जरिये जहां खाद्य उत्पादों के उत्पादन और बिक्री को नियंत्रणमुक्त किया जाएगा, वहीं किसी भी उत्पाद पर स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी।इसका मतलब साफ है कि इन सभी कृषि खाद्य सामग्री पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा और किसान अपने हिसाब से मूल्य तय कर आपूर्ति और बिक्री कर सकेंगे। हालांकि, सरकार समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रहेगी। जरूरत पड़ने पर नियमों को सख्त किया जा सकता है।बता दें कि अब तक इस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने वालों को 7 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसके अलावा अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है।
इसी के तहत बीते शुक्रवार को भी वह मीडिया के सामने आईं। इस दौरान उन्होंने करीब 65 साल पुराने कानून में बदलाव करने का ऐलान किया। आइए जानते हैं कि इस बदलाव का किसे फायदा मिलेगा। दरअसल, सरकार ने अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज जैसी कृषि उपज को 'नियंत्रणमुक्त' करने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार करीब 65 साल पुरानी आवश्यक वस्तु अधिनियम (एसेंशियल कमोडिटी एक्ट) में संशोधन करने जा रही है।इन संशोधनों के जरिये जहां खाद्य उत्पादों के उत्पादन और बिक्री को नियंत्रणमुक्त किया जाएगा, वहीं किसी भी उत्पाद पर स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी।इसका मतलब साफ है कि इन सभी कृषि खाद्य सामग्री पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा और किसान अपने हिसाब से मूल्य तय कर आपूर्ति और बिक्री कर सकेंगे। हालांकि, सरकार समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रहेगी। जरूरत पड़ने पर नियमों को सख्त किया जा सकता है।बता दें कि अब तक इस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने वालों को 7 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसके अलावा अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है।