राजस्थान में राकांपा बनाम कांग्रेस / कांग्रेस से जहां गठबंधन हुआ, वहीं से चुनौती की शुरूआत करेगी एनसीपी

राजस्थान के विधानसभा चुनाव 2018 में बाली विधानसभा सीट पर गठबंधन करके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत की, लेकिन दो साल बीतते—बीतते अब सार—संभाल नहीं होने और राजनीतिक वायदों को भुलाने से आहत यह पार्टी बगावत पर उतर आई है। बाली विधानसभा से ही कांग्रेस के साथ एनसीपी के गठबंधन की शुरूआत हुई और उसी सीट से एनसीपी अब कांग्रेस के खिलाफ ​बगावत का बिगुल फूंकेगी।

Vikrant Shekhawat : Dec 22, 2020, 10:31 AM
— बाली विधानसभा क्षेत्र में धरना देकर कांग्रेस सरकार की खिलाफत का बिगुल बजाएगी राकांपा

जयपुर | राजस्थान के विधानसभा चुनाव 2018 में बाली विधानसभा सीट पर गठबंधन करके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत की, लेकिन दो साल बीतते—बीतते अब सार—संभाल नहीं होने और राजनीतिक वायदों को भुलाने से आहत यह पार्टी बगावत पर उतर आई है। बाली विधानसभा से ही कांग्रेस के साथ एनसीपी के गठबंधन की शुरूआत हुई और उसी सीट से एनसीपी अब कांग्रेस के खिलाफ ​बगावत का बिगुल फूंकेगी। अब बाली उपखण्ड मुख्यालय पर 27 ​दिसम्बर को मौजूदा कांग्रेस सरकार के खिलाफ धरना देकर विरोध प्रदर्शन करेगी। बताया जा रहा मुद्दा है जनहित में किए गए वायदों का अब तक पूरा नहीं होना। हालांकि अंदरखाने बात यह है कि बाली में बड़ा वोट बैंक रखने वाली एनसीपी इस बहाने से अब शेष राजस्थान में अपने जनाधार को बढ़ाने की शुरुआत कर रही है।

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मोदी लहर की सुनामी के बीच 2019 में महाराष्ट्र चुनाव से राष्ट्रीय राजनीति में ट्विस्ट लाने वाली शरद पंवार की राकांपा इन दिनों राजस्थान में मुखर है। इससे पहले गुजरात में वे कई सफलताएं हासिल कर चुके हैं। राजस्थान में हालिया संपन्न निकाय और पंचायतराज चुनावों में एनसीपी ने अपने स्वतंत्र उम्मीदवार उतारकर यह दर्शा दिया कि वे कांग्रेस से गठबंधन करके आए हैं, लेकिन लगातार उसके पल्लू से बंधे नहीं रहेंगे। इसी बीच एनसीपी के प्रदेशाध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत का यह कहना कि वे आगामी तीन विधानसभा उप चुनाव में अपने स्वतंत्र प्रत्याशी उतारेंगे ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों की चिंता बढ़ा दी है। अब खेल रोचक होगा कि एनसीपी यदि जातिगत समीकरण साधने के अलावा चुनावों में नाराज होने वालों को अपनी ओर कर लेती है तो वह चुनाव में निर्णायक की भूमिका में निश्चित तौर पर आ जाएगी। हालांकि फिलहाल एनसीपी का प्रदेश संगठन इस स्तर पर मजबूत नहीं दिखता, लेकिन मौजूदा हालात में एक नए राष्ट्रीय राजनीतिक दल का सीधे तौर पर चुनाव मैदान में उतरना बीजेपी कांग्रेस दोनों की धड़कनें बढ़ा रहा है।

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27 को देंगे धरना

एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत का कहना है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में रहते हुए जनता से कुछ वादे किए गए थे। वे अभी तक सरकार ने पूरे नहीं किए हैं। बाली विधानसभा सीट पर जनता की मूलभूत सुविधाओं और जरूरतों के लिए सरकार ध्यान नहीं दे रही है। इसके विरोध में यह सांकेतिक धरना दिया जा रहा है।