राजस्थान / अब ड्रोन से किया जाएगा टिड्डियों का खात्मा, जयपुर में सफल रहा प्रयोग

टिड्डी प्रकोप से जूझ रहे राजस्थान में अब उनके खात्मे के लिए ड्रोन का उपयोग होगा। ट्रायल बेस पर इसका उपयोग शुरू भी कर दिया गया है। मंगलवार शाम को पहली बार जयपुर के सामोद क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया। कृषि आयुक्त डॉ। ओमप्रकाश का कहना है कि ड्रोन से छिड़काव के अच्छे रिजल्ट मिले

News18 : May 27, 2020, 05:18 PM
जयपुर। टिड्डी प्रकोप (Locust terror) से जूझ रहे राजस्थान (Rajasthan) में अब उनके खात्मे के लिए ड्रोन (Drone) का उपयोग होगा। ट्रायल बेस पर इसका उपयोग शुरू भी कर दिया गया है। मंगलवार शाम को पहली बार जयपुर (Jaipur) के सामोद क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया। कृषि आयुक्त डॉ। ओमप्रकाश का कहना है कि ड्रोन से छिड़काव के अच्छे रिजल्ट मिले हैं और आगामी दिनों में ज्यादा ड्रोन के जरिए कीटनाशक छिड़काव किया जाएगा।

पहाड़ी, संकरे रास्तों और कांटों वाले क्षेत्रों में खास तौर पर उपयोग होगा

कृषि आयुक्त डॉ। ओमप्रकाश ने बताया कि खास तौर पर ऊंचाई वाले और ऐसे क्षेत्र जहां आसानी से माउंटेड स्प्रेयर और दमकलें नहीं जा सकती वहां ड्रोन का उपयोग फायदेमंद साबित होगा। इन क्षेत्रों में टिड्डी नियंत्रण में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो बिना नियंत्रण के ही उस क्षेत्र को छोड़ना पड़ता है। अब पहाड़ी, संकरे रास्तों और कांटों वाले क्षेत्रों में आसानी से टिड्डी नियंत्रण हो पाएगा।

किराए पर लिए जाएंगे ड्रोन

कृषि आयुक्त डॉ। ओमप्रकाश के मुताबिक अभी किराए पर ड्रोन की व्यवस्था की गई है। आने वाले दिनों में भी किराए पर ही ड्रोन लेकर टिड्डी नियंत्रण में उपयोग लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ड्रोन खरीदने का खर्च ज्यादा होने और तकनीकी कर्मचारियों की व्यवस्था नहीं होने से ड्रोन खरीदने की बजाय किराए पर लेने का प्लान है।

1 घंटे में 10 एकड़ में छिड़काव

कृषि आयुक्त ने बताया कि ड्रोन से 1 घंटे में 10 एकड़ क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है। उधर कृषि विभाग के दूसरे कुछ अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन का उपयोग फायदेमंद तो है लेकिन इसमें कुछ तकनीकी बाधाएं भी हैं। दरअसल ड्रोन जहां से उसे उड़ाया जाता है वहीं से छिड़काव शुरू कर देता है और प्रभावित जगह तक पहुंचते-पहुंचते उसका काफी रसायन खत्म हो चुका होता है। वहीं उसे लगातार ज्यादा देर तक नहीं उड़ाया जा सकता।