Jalore Encroachment Protest / 2 भाइयों के विवाद में पूरे गांव पर चल रहा बुजडोजर- चारागाह भूमि पर बने 440 घर टूट रहे

चारागाह (ओरण) भूमि पर बने मकानों को हटाने के लिए प्रशासन और पुलिस अधिकारी पहुंचे तो ग्रामीणों ने रास्ता ब्लॉक कर दिया। महिलाएं बुलडोजर और पुलिस की गाड़ियों के आगे बैठ गईं। मामला जालोर का है। यहां बाड़मेर रोड स्थित ओडवाड़ा गांव में 35 एकड़ चारागाह भूमि पर बने 150 से ज्यादा मकान और करीब 160 कच्चे बाडे़ हटाने की कार्रवाई की जा रही है। घर टूटने से मां-बेटी बिलखने लगीं तो एक महिला बेहोश हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया

Vikrant Shekhawat : May 16, 2024, 06:04 PM
Jalore Encroachment Protest: चारागाह (ओरण) भूमि पर बने मकानों को हटाने के लिए प्रशासन और पुलिस अधिकारी पहुंचे तो ग्रामीणों ने रास्ता ब्लॉक कर दिया। महिलाएं बुलडोजर और पुलिस की गाड़ियों के आगे बैठ गईं। मामला जालोर का है। यहां बाड़मेर रोड स्थित ओडवाड़ा गांव में 35 एकड़ चारागाह भूमि पर बने 150 से ज्यादा मकान और करीब 160 कच्चे बाडे़ हटाने की कार्रवाई की जा रही है। घर टूटने से मां-बेटी बिलखने लगीं तो एक महिला बेहोश हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। प्रशासन ने आज लोगों को कल तक घर से सामान निकाल लेने का समय दिया है। कार्रवाई तीन दिन तक चलेगी।

इससे पहले, हाईकोर्ट ने 7 मई को चारागाह भूमि पर बने मकानों को हटाने के आदेश दिए थे। अतिक्रमण हटाने के लिए आज सुबह 7 बजे जिला प्रशासन और पुलिस का जाब्ता पहुंचा था।

गहलोत बाेले- बल प्रयोग ठीक नहीं, प्रशासन को समय देना चाहिए था

आहोर, जालोर के ओडवाड़ा में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 400 से अधिक घरों को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा बल प्रयोग करना उचित नहीं है। यह गरीब परिवारों से जुड़ा मामला है। प्रशासन को इन परिवारों को उचित समय देना चाहिए था जिससे वो उसका कानूनी समाधान निकाल पाते। इस विषय को राज्य सरकार एवं प्रशासन मानवीय आधार पर देखे। इस संबंध में मेरी जालोर कलेक्टर से भी बात हुई है। हम इन पीड़ित परिवारों की कानूनी सहायता कर इनको न्याय सुनिश्चित करवाएंगे।

पूर्व में भी ऐसे कई मामले हुए हैं जिनमें उच्च या उच्चतम न्यायालयों का फैसला पीड़ित परिवारों के पक्ष में आया था। सीकर के पटवारी का बास गांव में ऐसा प्रकरण हुआ था जिसमें हाईकोर्ट के एक आदेश में घर तोड़ने का फैसला हुआ परन्तु दूसरे आदेश में इसे गलत माना और पीड़ित परिवारों को हमारी सरकार के समय पट्टे दिए गए। प्रशासन को सभी कानूनी रास्ते पूरे होने का इंतजार करना चाहिए एवं इसके बाद कोई कार्रवाई करनी चाहिए।

दो भाईयों के विवाद की सजा

ग्रामीणों का कहना है की दो भाईयों के विवाद की सजा गांव वालों को क्यों दी जा रही है. आज जब पुलिस फोर्स जेसीबी लेकर गांव में दाखिल हुए तो ग्रामीण सड़कों पर आ गए. जबरदस्त हंगामे के बीच पुलिस की ग्रामीणों से झड़प भी हो गई, जिसमें कई महिलाएं बेहोश हो गईं. हालांकि पुलिसकर्मी नहीं रुके. उन्होंने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी करने के लिए लाठीचार्ज किया और ग्रामीणों को वहां से खदेड़ दिया.

बुल्डोजर चलता देख बेसुध हो गईं महिलाएं

लोगों का कहना है की वह पीढ़ीयों से यहीं रह रहे हैं. उनका जन्म यहीं हुआ है. वह कहां जाएंगे. घरों पर जेसीबी और बुल्डोजर चलता देख वहां महिलाएं बेसुध हो गईं. छोटी-छोटी बच्चियां बेघर होते ही चीखती चिल्लाने लगीं. लेकिन पुलिस की कार्रवाई नहीं रुकी. जो लोग लाठीचार्ज के बाद भी विरोध करते दिखे उन्हें पुलिस ने पकड़कर वैन में डाल दिया. इस दौरान की कई तस्वीरें और वीडियो भी सामने आई हैं, जो इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

घटना पर चढ़ा सियासी पारा

इस पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस भी इस मामले पर सरकार को घेर रही है. राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘जालोर के ओडवाडा में उजड़ते आशियाने, बिलखते परिवार, महिलाओं से बर्बरता और पुलिस का क्रूर चेहरा. भाजपा के नये राजस्थान में आपका स्वागत है. शर्मनाक!’.

तहसीलदार बोले- हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

आहोर तहसीलदार हितेश त्रिवेदी ने बताया- मार्च महीने में जारी हाईकोर्ट के आदेश के बाद चारागाह भूमि पर हो रहे कब्जों को लेकर कार्रवाई हुई है। 7 मई को फिर से हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे। इसके बाद ओडवाड़ा में कार्रवाई हुई।

घर टूटता देख बेहोश हुई महिला

ओडवाड़ा गांव में रह रहीं अनु दवे के मकान का कुछ हिस्सा भी तोड़ा गया है। यह देखकर अनु दवे की तबीयत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गईं। उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया है।

डोटासरा बोले- भाजपा का नया राजस्थान

अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है।

घर तोड़ दिया, अब हम कहां जाएंगे

कार्रवाई के दौरान जब एक घर को तोड़ा गया तो उसमें रहने वाली मां-बेटी रोने लगीं। बेटी अपनी मां को संभालती नजर आई।

बेटी ने रोते हुए बताया- यहां मैं और मेरी मां ही रहते हैं। घर तोड़ दिया, अब हम कहां जाएंगे। मेरी मां मजदूरी करके हमारा पेट पाल रही है।

जहां कोर्ट का स्टे, वहां कार्रवाई नहीं

आहोर SDM शंकर लाल मीणा ने बताया- कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई की जा रही है। जहां कोर्ट का स्टे है, उन जगहों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

हाथ जोड़कर कहा- कार्रवाई मत कीजिए, हम कहां जाएंगे

महिलाओं ने शुरुआत में पुलिस-प्रशासन के हाथ जोड़े। कहा- कार्रवाई मत कीजिए, हम कहां जाएंगे। इस पर पुलिस ने समझाइश की। जब नहीं माने तो पुलिस अब बल प्रयोग के जरिए ग्रामीणों को हटा रही है। मौके पर करीब डेढ़ हजार ग्रामीण हैं।

पूर्व सरपंच बोलीं- हाईकोर्ट पहुंचा था जमीन विवाद

ओडवाड़ा की पूर्व सरपंच प्रमिला राजपुरोहित ने बताया- करीब 3 साल पहले गांव के निवासी मुकेश पुत्र मुल्ल सिंह राजपुरोहित और महेन्द्रसिंह पुत्र बाबूसिंह राजपुरोहित के बीच जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था।

दोनों भाइयों का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया। जमीन की नाप हुई तो करीब 440 मकान चारागाह भूमि में पाए गए। इसके बाद कोर्ट के आदेश से 2022 और 2023 में कुछ कच्चे अतिक्रमण हटा दिए थे। कोर्ट के आदेश पर 150 से अधिक कच्चे मकान और करीब 160 बाड़े हटाने को लेकर गांव में मकानों को चिह्नित कर निशान लगाए गए थे।