Rajasthan Political Crisis / Sachin Pilot तो नकारा और निकम्मा है, CM Ashok Gehlot का बड़ा हमला | मैं यहां बैंगन और सब्जी बेचने नहीं आया हूं

राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है। गहलोत ने कहा कि हम जानते थे कि सचिन पायलट निकम्मा है, नकारा है, कुछ काम नहीं कर रहा है खाली लोगों को लड़वा रहा है। हमने पायलट के मान-सम्मान में कोई कमी नहीं छोड़ी थी, लेकिन उन्होंने बहुत गंदा खेल खेला। भाजपा केा खुश करने के लिए साजिश रची।

Vikrant Shekhawat : Jul 20, 2020, 03:20 PM
जयपुर | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (cm ashok gehlot) ने कांग्रेस के बागी नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (sachin pilot) पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला है। गहलोत ने कहा है कि हम जानते थे कि ये निकम्मा है लेकिन फिर भी पिछले सात साल में एक बार भी प्रदेशाध्यक्ष (rajasthan pcc chief) पद से हटाने की मांग नहीं की।

राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है। गहलोत ने कहा कि हम जानते थे कि सचिन पायलट निकम्मा है, नकारा है, कुछ काम नहीं कर रहा है खाली लोगों को लड़वा रहा है। हमने पायलट के मान-सम्मान में कोई कमी नहीं छोड़ी थी, लेकिन उन्होंने बहुत गंदा खेल खेला। भाजपा केा खुश करने के लिए साजिश रची। हरीश साल्वे उनका केस लड़ रहे हैं, इतना पैसा कहां से आ रहा है? देश के अंदर गुंडागर्दी हो रही है। पायलट का चाल और चेहरा सामने आ गया है। विधायकों को गुड़गांव में बंधक बनाया गया है।

  • हम जानते थे ये निकम्मा है: हम जानते थे ये निकम्मा है, लोगों को लड़ा रहा है, फिर भी हमार कलचर ऐसा है कि हमने एक शब्द उनके खिलाफ नहीं बोला।
  • पीठ पर छुरा घोंपा: गहलोत ने कहा कि हमने पायलट को मान-सम्मान दिया। लेकिन उसने पार्टी की पीठ पीछे छुरा घोंपा।
  • सात वर्षाें से राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष की जिम्मा: गहलोत ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी काे सचिन पायलट पर भरोसा था और इसलिए पिछले 7 सालों से उन्हें प्रदेश कांग्रेस का जिम्मा दे रखा था।
  • पिछले 6 महीने से बीजेपी के साथ मिलकर साजिश की: उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ मिलकर पायलट ने पिछले 6 महीने में पार्टी के खिलाफ साजिश रची।
  • पहले बीजेपी में शामिल हो रहे थे पायलट: गहलोत ने कहा कि पायलट पहले बीजेपी में शामिल हो रहे थे। कांग्रेस विधायकों ने जब बीजेपी में जाने से इनकार किया तो कहा गया थर्ड फ्रंट बनाते हैं।
  • 10 मार्च मानेसर जाने वाले थे, मैंने खुलासा किया: उन्होंने कहा जो अब हुआ है ये पहले 10 मार्च को होने वाला था। 19 को चुनाव थे राज्य सभा के। 10 मार्च को गाड़ी मानेसर रवाना होने वाली थी। उस साजिश का मैंने खुलासा किया।
दूसरी तरफ हाईकोर्ट में सचिन पायलट गुट की याचिका पर सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। विधानसभा स्पीकर की ओर से पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी हैं कि-

  1. पायलट गुट की याचिका प्री-मैच्योर है, यह खारिज होनी चाहिए।
  2. स्पीकर ने अभी सिर्फ नोटिस दिए हैं, विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया है।
  3. स्पीकर के आदेश को सिर्फ लिमिटेड ग्राउंड पर ही चैलेंज किया जा सकता है, लेकिन पायलट गुट की याचिका में ऐसा कोई आधार नहीं है।
  4. सुप्रीम कोर्ट भी 21 जनवरी के एक फैसले में यह तय कर चुका है कि स्पीकर की शक्तियों में कोर्ट दखल नहीं दे सकता, तो फिर इस बात पर बहस क्यों हो रही है?
  5. स्पीकर के नोटिस का ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं हो सकता। नोटिस फ्रीडम ऑफ स्पीच के खिलाफ नहीं है।
  6. पार्टी विरोधी गतिविधियां राजनीतिक पाप और कानूनी रूप से भी गलत है।
विधानसभा स्पीकर की ओर से जारी नोटिस के खिलाफ पायलट गुट ने अपील की थी। मुख्य सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर विधानसभा स्पीकर सी पी जोशी ने पायलट समेत 19 विधायकों को 14 जुलाई को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना आपको विधानसभा के अयोग्य घोषित कर दिया जाए।

पिछले हफ्ते सुनवाई में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि विधायकों को दिए गए नोटिस पर स्पीकर 21 जुलाई तक कार्रवाई नहीं करें। इस आदेश के बाद विधानसभा स्पीकर ने पायलट गुट के विधायकों को नोटिस का जवाब देने के लिए 21 जुलाई शाम 5.30 बजे तक का वक्त दिया।

शुक्रवार को हुई सुनवाई में पायलट गुट के विधायकों की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि विधानसभा के बाहर किसी भी गतिविधि को दलबदल विरोधी अधिनियम का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है, ऐसे में व्हिप का कोई मतलब नहीं है।

बुधवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है

इसमें गहलोत सरकार विश्वास मत के जरिए बहुमत साबित कर सकती है। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। शनिवार को गहलोत ने राज्यपाल से भी मुलाकात की थी। नियमों के मुताबिक, अगर बहुमत साबित करने में गहलोत सरकार सफल हो जाती है तो फिर विपक्ष 6 महीने तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकता।

इन विधायकों को नोटिस दिया गया था

सचिन पायलट, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पीआर मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, और गजेंद्र शक्तावत।