Vikrant Shekhawat : Dec 26, 2020, 07:24 PM
नए कृषि कानूनों का विरोध अब एनडीए (NDA) के अंदर भी तेज हो गया है। अकाली दल के अलायंस छोड़ने के 3 महीने के बाद एक और सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) भी NDA से अलग हो गई। अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर RLP के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने NDA से अलग होने का ऐलान किया। किसानों के मुद्दे पर बेनीवाल ने 19 दिसंबर को संसद की तीन समितियों से भी इस्तीफा दे दिया था।
हनुमान बेनीवाल लोकसभा चुनाव से पहले अप्रैल 2019 में अपनी पार्टी RLP के साथ NDA से जुड़े थे। गठबंधन के चलते भाजपा ने नागौर लोकसभा सीट पर बेनीवाल के सामने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। लेकिन, अब बेनीवाल ने कहा है- आज से भाजपा से अलायंस खत्म हो गया। किसानों के लिए जरूरत पड़ी तो सांसद पद से भी इस्तीफा दे दूंगा। यदि कानून लाते वक्त संसद में होता, तो यह कागज फाड़ देता।
रातभर किसानों के धरने में रहेंगे बेनीवाल:
बेनीवाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि रात को सभी किसान और उनके साथ आए लोग शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर ही रुकेंगे। वे यहां से तब तक नहीं जाएंगे, जब तक आगे की कोई रणनीति नहीं बन जाएगी। बेनीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं ने लोगों से बातचीत कर आंदोलन की तैयारी का जायजा भी लिया।
राजस्थान की राजनीति में जाट चेहरा:
नागौर जिले का खींवसर बेनीवाल का गढ़ है। खजवाना, जनाणा, बू-नरावता और ग्वालू समेत कई गांवों में बेनीवाल का असर है। यहां बड़ी संख्या में जाट समुदाय है, जो किसान हैं। RLP ने हाल ही में हुए पंचायती राज चुनावों में पूरे राजस्थान में अपने उम्मीदवार उतारे थे। अब दूसरे जिलों के किसानों को साधने के बेनीवाल आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। माना जा रहा है कि इसीलिए उन्होंने खुद को अलायंस से अलग कर लिया।
3 महीने में NDA को दूसरा झटका:
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के खिलाफ किसान महीनेभर से भी ज्यादा समय से धरने पर बैठे हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी आंदोलन जारी है। अगर NDA की बात करें, तो गठबंधन को तीन महीने में यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, 26 सिंतबर को NDA का दो दशक से ज्यादा पुराना सहयोगी अकाली दल अलग हो गया था। 26 दिसंबर को RLP अलग हो गई। यानी तीन महीनों में NDA को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है।
हनुमान बेनीवाल लोकसभा चुनाव से पहले अप्रैल 2019 में अपनी पार्टी RLP के साथ NDA से जुड़े थे। गठबंधन के चलते भाजपा ने नागौर लोकसभा सीट पर बेनीवाल के सामने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। लेकिन, अब बेनीवाल ने कहा है- आज से भाजपा से अलायंस खत्म हो गया। किसानों के लिए जरूरत पड़ी तो सांसद पद से भी इस्तीफा दे दूंगा। यदि कानून लाते वक्त संसद में होता, तो यह कागज फाड़ देता।
रातभर किसानों के धरने में रहेंगे बेनीवाल:
बेनीवाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि रात को सभी किसान और उनके साथ आए लोग शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर ही रुकेंगे। वे यहां से तब तक नहीं जाएंगे, जब तक आगे की कोई रणनीति नहीं बन जाएगी। बेनीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं ने लोगों से बातचीत कर आंदोलन की तैयारी का जायजा भी लिया।
राजस्थान की राजनीति में जाट चेहरा:
नागौर जिले का खींवसर बेनीवाल का गढ़ है। खजवाना, जनाणा, बू-नरावता और ग्वालू समेत कई गांवों में बेनीवाल का असर है। यहां बड़ी संख्या में जाट समुदाय है, जो किसान हैं। RLP ने हाल ही में हुए पंचायती राज चुनावों में पूरे राजस्थान में अपने उम्मीदवार उतारे थे। अब दूसरे जिलों के किसानों को साधने के बेनीवाल आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। माना जा रहा है कि इसीलिए उन्होंने खुद को अलायंस से अलग कर लिया।
3 महीने में NDA को दूसरा झटका:
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के खिलाफ किसान महीनेभर से भी ज्यादा समय से धरने पर बैठे हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी आंदोलन जारी है। अगर NDA की बात करें, तो गठबंधन को तीन महीने में यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, 26 सिंतबर को NDA का दो दशक से ज्यादा पुराना सहयोगी अकाली दल अलग हो गया था। 26 दिसंबर को RLP अलग हो गई। यानी तीन महीनों में NDA को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है।