देश / सोनिया गाँधी ने किया कृषि विधेयक का विरोध, कृषि कानूनों को रोकने के लिए राज्य अपने कानून बनाएं

मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानूनों को किसान विरोधी बता रही कांग्रेस अपने राज्यों में इसे निष्प्रभावी करने के लिए कानून बनाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसको लेकर कांग्रेस शाषित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बावजूद इन कानूनों के खिलाफ कांग्रेस समेत कई किसान संगठन आए दिन प्रदर्शन कर रहे हैं।

Vikrant Shekhawat : Sep 28, 2020, 10:41 PM
नई दिल्ली: कृषि विधेयको का लगातार विरोध देखने को मिल रहा है, इसे देखते हुए कांग्रेस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानूनों को किसान विरोधी बता रही कांग्रेस अपने राज्यों में इसे निष्प्रभावी करने के लिए कानून बनाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसको लेकर कांग्रेस शाषित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बावजूद इन कानूनों के खिलाफ कांग्रेस समेत कई किसान संगठन आए दिन प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब की कैप्टन सरकार इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी भी कर रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने मुख्यमंत्रियों को सलाह दी है कि वे संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत अपने राज्यों में कानून बनाने की संभावना तलाशें जिसके अंतर्गत राज्य की विधानसभा को ऐसे कानून बनाने की अनुमति मिलती है जो राज्यों के अधिकार में अतिक्रमण करने वाले केंद्र सरकार के कृषि विरोधी केंद्रीय कानूनों को निष्प्रभावी बना सकें। पार्टी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है।

वेणुगोपाल ने कहा "इस तरह कांग्रेस शाषित राज्यों को किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य के खात्मे और मंडियों को तबाह करने की बात शामिल है, से बचने का रास्ता मिल जाएगा।" वेणुगोपाल ने आगे कहा कि इस तरीके से मोदी सरकार और बीजेपी द्वारा किए गए घोर अन्याय से किसानों को राहत मिलेगी।

हालांकि संविधान के जानकारों के कहना है कि इस कदम से केंद्र सरकार को रोक पाने की संभावना बेहद सीमित है। जानकारों ने बताया कि कांग्रेस की राज्य सरकारें भले ही अनुच्छेद 254(2) के तहत विधेयक पारित करें तब भी बिना राज्यपाल के हस्ताक्षर के वह कानून की शक्ल नहीं ले सकती। ऐसे मामलों में जहां केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून से टकराव होता है, राज्यपाल राष्ट्रपति से सलाह लेते हैं। इसलिए कांग्रेस सरकारों के इस कदम से कानूनी तौर पर फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन पार्टी को राजनीतिक फायदा जरूर हो सकता है।

आपको बता दें कि कांग्रेस शाषित पंजाब की कैप्टन सरकार इन कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए भी कानूनी राय ले रही है। वहीं केरल के एक कांग्रेस सासंद इन कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं।

कानूनी लड़ाई के अलावा कांग्रेस इन कानूनों के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन कर रही है। दिल्ली में आए दिन प्रदर्शन के बीच भगत सिंह की जयंती पर कांग्रेस ने सोमवार को देशभर में प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन राज्यपालों सौंपा। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद भगत सिंह के गांव में कुछ वक्त के लिए धरना पर भी बैठे। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इंडिया गेट पर ट्रैक्टर में आग लगा कर प्रदर्शन किया। 2 और 10 अक्टूबर को भी कांग्रेस प्रदर्शन करेगी। इसके साथ ही पार्टी 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर करवाने का एलान भी कर चुकी है।

आपको बता दें कि संसद सत्र में कांग्रेस समेत विपक्ष के जबरदस्त विरोध के बावजूद मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि से जुड़े तीन विधेयक पारित किए गए थे। विपक्ष ने राष्ट्रपति से इन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की थी। सरकार का तर्क है कि यह कानून किसानों को मंडी और आढ़ती के जंजाल से मुक्त कर उनकी आमदनी बढ़ाएंगे, जबकि विपक्ष का आरोप है कि सरकार किसानों को बड़े पूंजीपतियों के चंगुल में फंसा रही है। इन सब के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म होने की आशंका को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री इन आशंकाओं को खारिज कर चुके हैं।