श्रीगंगानगर / पिछले तीन दिनों से चल रहा है किसानों का आंदोलन, दी इस बात की चेतावनी

श्रीगंगानगर: जिले की एफएफबी कंवरपुरा हेड पर किसानों का महापड़ाव चौथे दिन भी जारी है. रविवार को जलसंसाधन विभाग और प्रशासनिक आला अधिकारियों ने पड़ाव स्थल पर पहुंचकर काश्तकारों को संतुष्ट करने और पड़ाव हटाने की हर कोशिश की, लेकिन किसानों की पहले पानी पूरा करने की हठ के सामने उनकी हर कोशिश नाकाम हो गई

Vikrant Shekhawat : Aug 10, 2020, 04:30 PM

श्रीगंगानगर: जिले की एफएफबी कंवरपुरा हेड पर किसानों का महापड़ाव चौथे दिन भी जारी है. रविवार को जलसंसाधन विभाग और प्रशासनिक आला अधिकारियों ने पड़ाव स्थल पर पहुंचकर काश्तकारों को संतुष्ट करने और पड़ाव हटाने की हर कोशिश की, लेकिन किसानों की पहले पानी पूरा करने की हठ के सामने उनकी हर कोशिश नाकाम हो गई.

दोपहर बाद एडीएम अशोक मीणा, उपखण्ड अधिकारी अर्पिता सोनी, जलसंसाधन विभाग के (एससी) अधिशाषी अधिकारी प्रदीप रस्तोगी और डीवाईएसपी सुरेंद्र सिंह राठौर मय पुलिस जाब्ते के पड़ाव स्थल कंवरपुरा हेड पर पहुंचे. किसानों और अधिकारियों के बीच लम्बी मंत्रणा चली किंतु यह वार्ता बेनतीजा रही.

किसानों ने दो टूक कहा कि वर्षों से उन्हें आश्वासन ही मिलते आए हैं. उन्हें टेल पर 12 हिस्से पानी चाहिए. किसानों ने अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि साहब हमें आश्वासन नहीं, हमारे हिस्से का पूरा पानी चाहिए. वार्ता विफल होने के बाद 21 मोघों के काश्तकारों ने ज्ञापन देकर हरनौली हेड से नीचे समस्त मोघे नहर में मिटटी भरकर पाटने का ऐलान कर दिया है. 

ज्ञापन में किसानों ने सौंपी सात सूत्री मांगें 
किसानों द्वारा एडीएम अशोक मीणा को ज्ञापन में सौंपी मांगों में हरनौली हेड से पीछे के सभी हेड और मोघे डिजाइन करने, हरनौली हेड से पीछे जो गैरकानूनी रूप से गन्ना पाइप लगी है, उसे हटाने, और जो पाइप बिना डिजाइन के लगे उनको डिजाइन करने, मानकसर, 17 एफएफ और लोहारा पुल को ऊंचा उठाकर सही रूप से बनाने, हरनौली हेड की गेज निर्धारित माप के अनुसार 1.46 की करने, पानी चोरी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाई करने, शुगर मिल के आदेशों के अनुसार गन्ना पाइप को चलाने का समय सीमा तय की जाए और निर्धारित 9 माह के बाद पाइप बंद की जाए, इन सबकी मांग की.

किसानों ने चेतावनी दी की प्रशासन समस्याएं हल कर दे तो पड़ाव उठ जाएगा. उनके आश्वासनों पर ऐतबार नहीं है. टेल किसान संघर्ष समिति के दल सिंह का आरोप है कि किसानों द्वारा 2017 में पानी की मांग को लेकर हरनौली हेड पर पड़ाव डाला गया था. उस वक्त प्रदीप रस्तोगी एक्सईएन थे. किसानों और उनके मध्य उस वक़्त हुआ समझौता आज तक सिरे नहीं चढ़ा है तो वे अब किस आधार पर एससी रस्तोगी के आश्वासनों पर विश्वास करें. रस्तोगी द्वारा पूर्व समझौते की अनदेखी के चलते ही किसान पहले पानी पूरा करने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान रस्तोगी द्वारा हेड, मोघे के डिजाइन के लिए सर्वे करवाने के लिए कमेटी गठन की बात से सहमत नहीं हैं. प्रशासन के इस आश्वासन पर आंदोलनकारी संतुष्ट नहीं हैं, ऐसे में किसानों का सब्र अब टूटने लगा है. अब किसान आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.