देश / स्टडी में दावा, पाकिस्तान से चीन की ओर शिफ्ट हो रही है भारतीय परमाणु रणनीति

भारत की परमाणु रणनीति का फोकस अब पाकिस्तान से हट कर चीन पर शिफ्ट हो रहा है।’ ये निष्कर्ष ‘बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ में प्रकाशित एक स्टडी का है। इस स्टडी का आधार भारत की परमाणु ताकत का विश्लेषण था। स्टडी के मुताबिक भारत की रणनीति में ये बदलाव संभवत: 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद आना शुरू हुआ।

AajTak : Jul 23, 2020, 07:53 AM
भारत की परमाणु रणनीति का फोकस अब पाकिस्तान से हट कर चीन पर शिफ्ट हो रहा है।’ ये निष्कर्ष ‘बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ में प्रकाशित एक स्टडी का है। इस स्टडी का आधार भारत की परमाणु ताकत का विश्लेषण था।

स्टडी के मुताबिक भारत की रणनीति में ये बदलाव संभवत: 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद आना शुरू हुआ। स्टडी के लेखक हांस एम क्रिंस्टेंसन और मैट कोर्डा ने इंगित किया, "भारत की परमाणु रणनीति, जो पारंपरिक तौर पर पाकिस्तान पर फोकस थी, अब उसका जोर चीन की ओर बढ़ा हुआ लगता है, और बीजिंग अब भारतीय मिसाइलों की रेंज में है।"

क्रिस्टेंसन वाशिंगटन डीसी में फेडेरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के साथ न्यूक्लियर इनफॉर्मेशन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर हैं। वहीं कोर्डा इसी प्रोजेक्ट में रिसर्च एसोसिएट हैं। स्टडी के लेखकों के मुताबिक भारत का "परमाणु आधुनिकीकरण संकेत देता है कि वह चीन के साथ भविष्य के रणनीतिक रिश्तों पर अधिक जोर दे रहा है।"

स्टडी का अनुमान है कि भारत के चीन केंद्रित दृष्टिकोण की ओर से अगले दस वर्ष में नई क्षमताओं के विकास और तैनाती में योगदान देने की संभावना है। इससे भारत के पाकिस्तान को लेकर नजरिए पर भी असर पड़ना मुमकिन है।

भारत के परमाणु त्रय (न्यूक्लियर ट्राइएड) का आधिकारिक तौर पर तब पूरा हो जाना माना जाता है, जब नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्वदेशी परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के पहले डेटेरेंस पेट्रोल (प्रतिरोधक गश्त) के पूरा होने का एलान किया गया।

स्टडी का अनुमान है कि भारत के आठ चरणों वाले न्यूक्लियर ट्राइएड के अतिरिक्त सिस्टम्स का विकास चल रहा है और यह जल्द ही पूरा होने वाला है। यह भी अनुमान है कि भारत मौजूदा स्थिति में कम से कम दो एयरक्राफ्ट सिस्टम्स, चार जमीन आधारित बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम्स और दो समुद्र आधारित बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम्स ऑपरेट करता है जो परमाणु क्षमता वाले हैं।

स्टडी के लेखक कहते हैं, "कम से कम तीन और सिस्टम्स विकास की प्रक्रिया में हैं, जिनमें से कुछ पूरे होने वाले हैं और जल्द ही युद्ध के लिए तैयार स्थिति में होंगे। बीजिंग अब भारतीय बैलिस्टिक मिसाइलों की सीमा में है।"


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जमीनी मोर्चे पर, भारत ने अग्नि-5 नियर-इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का प्री-इंडक्शन फ्लाइट टेस्ट पूरा कर लिया है। ये 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।

स्टडी के लेखकों के मुताबिक "अतिरिक्त रेंज भारतीय सेना को मध्य और दक्षिणी भारत में अग्नि-5 बेस स्थापित करने में मदद देगी, जो चीनी सीमा से दूरी पर होंगे।” अगली पीढ़ी के ICBM अग्नि-6 का विकास भी प्रगति पर है।

भारत अपने परमाणु त्रय के समुद्र-आधारित चरण को मजबूत करना चाहता है। भारत की पनडुब्बी की ओर से लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) K-4 को उत्पादन के लिए तैयार माना जाता है। ये छह टेस्ट लॉन्च पूरे कर चुकी है।

स्टडी के मुताबिक "लगभग 3,500 किलोमीटर की रेंज के साथ, K-4 बंगाल की उत्तरी खाड़ी से पूरे पाकिस्तान और चीन के अधिकतर हिस्सों को टारगेट करने में सक्षम होगी।" इसके अतिरिक्त रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) 5,000 किलोमीटर रेंज की SLBM विकसित करने की योजना बना रहा है। ये भारतीय पनडुब्बियों को दक्षिण चीन सागर समेत पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र को टारगेट कर पाने में सक्षम बनाएगी।