शहर के तखतसागर जलाशय में छह दिन पहले डूबे सेना के कमांडो कैप्टन अंकित गुप्ता का शव आखिरकार मंगलवार दोपहर मिल गया। कैप्टन अंकित गुप्ता की खोज के लिए सेना ने देशभर से अपने विशेषज्ञों, गोताखोरों व कमांडो को बुला रखा था। छठे दिन दोपहर बाद उनका शव तखतसागर की गहराई में एक स्थान पर फंसा हुआ मिला। शव पत्थरों के बीच अटक गया था। इस कारण ऊपर नहीं आ पा रहा था। सेना ने फिलहाल इस बारे में कुछ भी जानकारी शेयर करने से इंकार कर दिया है।
कैप्टन अंकित के शव को यहां से सीधे सेना अस्पताल ले जाया जा रहा है। उनके परिजनों को सूचना दे दी गई है। उन्हें भी सेना अस्पताल ले जाया जा रहा है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनका दाह संस्कार जोधपुर में किया जाएगा या गुरुग्राम में। परिजनों की इच्छा के अनुसार सेना फैसला करेगी।
6 दिन पहले अभ्यास के दौरान डूबे थे कैप्टन:6 दिन पहले एक अभ्यास के दौरान हेलिकॉप्टर से कूद तखतसागर की गहराइयों में गायब हुए कैप्टन अंकित को खोज पाना बेहद जटिल हो गया था। सेना के कई विशेषज्ञ लगातार 51 फीट तक पानी से भरे तखतसागर में उनकी खोज में जुटे थे। सर्च ऑपरेशन से जुड़े लोगों का मानना है कि पानी में डूबा कोई व्यक्ति अमूमन तीसरे दिन तक हर हालत में ऊपर आ जाता है। लेकिन कैप्टन अंकित के मामले में ऐसा नहीं हो पाया। उनका तर्क है कि कैप्टन ने पानी में कूदते समय सेना की मजबूत जैकेट व वर्दी पहन रखी थी। वर्दी की यह मजबूती उनके शरीर को ऊपर लाने में बाधक बनी हुई है। और उनका यह तर्क सही साबित भी हुआ।
जलाशय की प्राकृतिक बनावट भी बनी थी बाधक:वहीं अकाल के कारण जोधपुर में गहराए जल संकट के दौरान तखत सागर को खाली देख चुके जलदाय विभाग के सेवानिवृृत्त कर्मचारी श्यामसिंह का कहना है कि इसकी बनावट प्राकृतिक होने के साथ काफी जटिल है। कुछ स्थान पर इसमें गुफा नुमा कोटर बने हुए हैं। हालांकि ये ज्यादा गहरे नहीं है, लेकिन यदि किसी व्यक्ति का शव इनमें एक बार अटक जाए तो फिर आसानी से नजर भी नहीं आता।
ऐसे हुआ था हादसा:पैरा कमांडो स्पेशल फोर्सेज का पूरे साल अभ्यास चलता रहता है। डेजर्ट वारफेयर में महारत रखने वाली 10 पैरा के कमांडो को एक हेलिकॉप्टर से पहले अपनी बोट को पानी में फेंक स्वयं भी कूदना था। इसके बाद उन्हें बोट पर सवार होकर दुश्मन पर हमला बोलना था। इस अभियान के तहत कैप्टन अंकित के नेतृत्व में 4 कमांडो ने तखत सागर जलाशय में गुरुवार को पहले अपनी नाव को फेंका और उसके बाद खुद भी पानी में कूद पड़े।
तीन कमांडो तो नाव पर पहुंच गए, लेकिन कैप्टन अंकित नहीं पहुंच पाए। उनके साथ कमांडो ने थोड़ा इंतजार करने के बाद किसी अनहोनी की आशंका से स्वयं पानी में उतर खोज शुरू की। साथ ही अपने अन्य साथियों के माध्यम से जोधपुर स्थित मुख्यालय पर सूचना दी। इसके बाद 10 पैरा के अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और खोज अभियान शुरू किया।
कैप्टन अंकित के शव को यहां से सीधे सेना अस्पताल ले जाया जा रहा है। उनके परिजनों को सूचना दे दी गई है। उन्हें भी सेना अस्पताल ले जाया जा रहा है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनका दाह संस्कार जोधपुर में किया जाएगा या गुरुग्राम में। परिजनों की इच्छा के अनुसार सेना फैसला करेगी।
6 दिन पहले अभ्यास के दौरान डूबे थे कैप्टन:6 दिन पहले एक अभ्यास के दौरान हेलिकॉप्टर से कूद तखतसागर की गहराइयों में गायब हुए कैप्टन अंकित को खोज पाना बेहद जटिल हो गया था। सेना के कई विशेषज्ञ लगातार 51 फीट तक पानी से भरे तखतसागर में उनकी खोज में जुटे थे। सर्च ऑपरेशन से जुड़े लोगों का मानना है कि पानी में डूबा कोई व्यक्ति अमूमन तीसरे दिन तक हर हालत में ऊपर आ जाता है। लेकिन कैप्टन अंकित के मामले में ऐसा नहीं हो पाया। उनका तर्क है कि कैप्टन ने पानी में कूदते समय सेना की मजबूत जैकेट व वर्दी पहन रखी थी। वर्दी की यह मजबूती उनके शरीर को ऊपर लाने में बाधक बनी हुई है। और उनका यह तर्क सही साबित भी हुआ।
जलाशय की प्राकृतिक बनावट भी बनी थी बाधक:वहीं अकाल के कारण जोधपुर में गहराए जल संकट के दौरान तखत सागर को खाली देख चुके जलदाय विभाग के सेवानिवृृत्त कर्मचारी श्यामसिंह का कहना है कि इसकी बनावट प्राकृतिक होने के साथ काफी जटिल है। कुछ स्थान पर इसमें गुफा नुमा कोटर बने हुए हैं। हालांकि ये ज्यादा गहरे नहीं है, लेकिन यदि किसी व्यक्ति का शव इनमें एक बार अटक जाए तो फिर आसानी से नजर भी नहीं आता।
ऐसे हुआ था हादसा:पैरा कमांडो स्पेशल फोर्सेज का पूरे साल अभ्यास चलता रहता है। डेजर्ट वारफेयर में महारत रखने वाली 10 पैरा के कमांडो को एक हेलिकॉप्टर से पहले अपनी बोट को पानी में फेंक स्वयं भी कूदना था। इसके बाद उन्हें बोट पर सवार होकर दुश्मन पर हमला बोलना था। इस अभियान के तहत कैप्टन अंकित के नेतृत्व में 4 कमांडो ने तखत सागर जलाशय में गुरुवार को पहले अपनी नाव को फेंका और उसके बाद खुद भी पानी में कूद पड़े।
तीन कमांडो तो नाव पर पहुंच गए, लेकिन कैप्टन अंकित नहीं पहुंच पाए। उनके साथ कमांडो ने थोड़ा इंतजार करने के बाद किसी अनहोनी की आशंका से स्वयं पानी में उतर खोज शुरू की। साथ ही अपने अन्य साथियों के माध्यम से जोधपुर स्थित मुख्यालय पर सूचना दी। इसके बाद 10 पैरा के अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और खोज अभियान शुरू किया।