Vikrant Shekhawat : Apr 02, 2022, 07:19 PM
बूंदी राजघराने के नए मुखिया वंशवर्धन सिंह को पगड़ी पहनाने का दस्तूर शनिवार को बूंदी की नवल सागर झील किनारे मोती महल में किया गया। कापरेन ठिकाने के कुंवर वंशवर्धन सिंह को पगड़ी (पाग) बांधी गई। तिलक दस्तूर सहित राजतिलक का हर रस्म बूंदी राजघराने की सनातन राज परंपरा के मुताबिक निभाई गई। इसके बाद वंशवर्धन बूंदी के आराध्य रंगनाथ मंदिर पहुंचे। फिर घोड़े पर सवार होकर तारागढ़ फोर्ट पहुंचे। यहां आज 12 साल बाद फिर से दरबार लगाया गया। वंशवर्धन राजगद्दी पर बैठे और नजराने की परंपरा निभाई गई।
शोभायात्रा में शामिल हुए पूर्व रियासत के सदस्यपारंपरिक आयोजन के बाद शाम चार बजे से शोभायात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में बूंदी के लोग पहुंचे। इस दौरान अलवर रियासत के भंवर जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे। साथ ही कई पूर्व रियासत और पूर्व ठिकानों के सदस्य कार्यक्रम में पहुंचे।
780 साल पहले हुई थी रियासत की स्थापनामेवाड़ के उदयपुर राजघराने के बाद बूंदी की रियासत राजपूताने की सबसे प्राचीन रियासत मानी जाती है। इसकी स्थापना महाराव देवा हाड़ा ने 780 साल पहले 1242 में की थी। बूंदी राजवंश में कई प्रतापी शासक हुए हैं। बूंदी चौहान वंश के हाड़ा कुल की पहली रियासत है।
इंग्लैंड-कनाडा से की पढ़ाईवंशवर्धन सिंह का जन्म कापरेन ठिकाने के बलभद्र सिंह हाड़ा के घर 8 जनवरी 1987 को हुआ। इनकी शुरुआती पढ़ाई डेली कॉलेज, इंदौर से हुई। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड में लीस्टर की डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की। और कनाडा से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की। दो साल एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम किया। 2013 में वंशवर्धन सिंह बूंदी लौट आए।
वंशवर्धन को परंपरा के अनुसार, महाराजा रणजीत सिंह का उत्तराधिकारी बनाया गया है। वंशवर्धन ने ठाकुर दीप सिंह धनानी की पुत्री मयूराक्षी कुमारी से 2016 में शादी की। वंशवर्धन सिंह और मयूराक्षी का दो साल का बेटा वज्रनाभ है।
राजतिलक समारोह में अलवर रियासत से भंवर जितेन्द्र सिंह, कोटा रियासत से कुमार, बीकानेर से रवि राज सिंह, सिरोही से पदमश्री रघुवीर सिंह, पूर्व राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर(बदनोर ठिकानेदार), किलचिपुर रियासत के प्रियव्रत सिंह, राघव गढ़ से कुमार जयवर्धन सिंह, कच्छ से प्रताप सिंह, झालावाड़ के राणा चंद्र सिंह समेत कई पूर्व रियासतों के मुखिया और सदस्य मौजूद रहे।
राजतिलक के बाद वंशवर्धन ने कहा कि बूंदी के विकास के लिए जो भी काम हो सकेगा वह लगातार प्रयास करते रहेंगे। बूंदी पर्यटन के क्षेत्र में एक अलग पहचान रखता है। पर्यटन और संस्कृति को बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। वहीं, अलवर के महाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि लंबे समय बाद बूंदी रियासत को उत्तराधिकारी मिला है। पाग धारण करवाने में लंबा समय बीत गया। इसके पीछे कई कारण रहे।
शोभायात्रा में शामिल हुए पूर्व रियासत के सदस्यपारंपरिक आयोजन के बाद शाम चार बजे से शोभायात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में बूंदी के लोग पहुंचे। इस दौरान अलवर रियासत के भंवर जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे। साथ ही कई पूर्व रियासत और पूर्व ठिकानों के सदस्य कार्यक्रम में पहुंचे।
780 साल पहले हुई थी रियासत की स्थापनामेवाड़ के उदयपुर राजघराने के बाद बूंदी की रियासत राजपूताने की सबसे प्राचीन रियासत मानी जाती है। इसकी स्थापना महाराव देवा हाड़ा ने 780 साल पहले 1242 में की थी। बूंदी राजवंश में कई प्रतापी शासक हुए हैं। बूंदी चौहान वंश के हाड़ा कुल की पहली रियासत है।
इंग्लैंड-कनाडा से की पढ़ाईवंशवर्धन सिंह का जन्म कापरेन ठिकाने के बलभद्र सिंह हाड़ा के घर 8 जनवरी 1987 को हुआ। इनकी शुरुआती पढ़ाई डेली कॉलेज, इंदौर से हुई। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड में लीस्टर की डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की। और कनाडा से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की। दो साल एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम किया। 2013 में वंशवर्धन सिंह बूंदी लौट आए।
वंशवर्धन को परंपरा के अनुसार, महाराजा रणजीत सिंह का उत्तराधिकारी बनाया गया है। वंशवर्धन ने ठाकुर दीप सिंह धनानी की पुत्री मयूराक्षी कुमारी से 2016 में शादी की। वंशवर्धन सिंह और मयूराक्षी का दो साल का बेटा वज्रनाभ है।
राजतिलक समारोह में अलवर रियासत से भंवर जितेन्द्र सिंह, कोटा रियासत से कुमार, बीकानेर से रवि राज सिंह, सिरोही से पदमश्री रघुवीर सिंह, पूर्व राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर(बदनोर ठिकानेदार), किलचिपुर रियासत के प्रियव्रत सिंह, राघव गढ़ से कुमार जयवर्धन सिंह, कच्छ से प्रताप सिंह, झालावाड़ के राणा चंद्र सिंह समेत कई पूर्व रियासतों के मुखिया और सदस्य मौजूद रहे।
राजतिलक के बाद वंशवर्धन ने कहा कि बूंदी के विकास के लिए जो भी काम हो सकेगा वह लगातार प्रयास करते रहेंगे। बूंदी पर्यटन के क्षेत्र में एक अलग पहचान रखता है। पर्यटन और संस्कृति को बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। वहीं, अलवर के महाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि लंबे समय बाद बूंदी रियासत को उत्तराधिकारी मिला है। पाग धारण करवाने में लंबा समय बीत गया। इसके पीछे कई कारण रहे।