Rajasthan News / टीचर दोस्त की तलवार से गर्दन काटकर हत्यारा जंगल में भागा, पुलिस के आने पर खुद का भी गला काटा

घर में बैठे टीचर की तलवार से गर्दन काटकर हत्या करने वाला उसका दोस्त ही निकला। हमले के बाद आरोपी जंगल में जाकर छुप गया था। पुलिस तलाश में जंगल में पहुंची तो हत्यारे ने तलवार से खुद का गला काट लिया। पुलिसकर्मी चिल्लाते रहे और आरोपी गला काटता रहा। गंभीर हालत में पुलिस अस्पताल लेकर पहुंची तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मामला सलूंबर के अदवास गांव की मेघवाल बस्ती का है। टीचर की हत्या के पीछे जादू-टोना को कारण बताया जा

Vikrant Shekhawat : Jul 27, 2024, 10:15 AM
Rajasthan News: घर में बैठे टीचर की तलवार से गर्दन काटकर हत्या करने वाला उसका दोस्त ही निकला। हमले के बाद आरोपी जंगल में जाकर छुप गया था। पुलिस तलाश में जंगल में पहुंची तो हत्यारे ने तलवार से खुद का गला काट लिया। पुलिसकर्मी चिल्लाते रहे और आरोपी गला काटता रहा। गंभीर हालत में पुलिस अस्पताल लेकर पहुंची तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मामला सलूंबर के अदवास गांव की मेघवाल बस्ती का है। टीचर की हत्या के पीछे जादू-टोना को कारण बताया जा रहा है।

सलूंबर एसपी अरशद अली ने बताया कि गुरुवार रात को टीचर शंकरलाल मेघवाल (40) की उसके दोस्त फतह सिंह (30) ने गला काटकर हत्या कर दी गई थी। इस दौरान बेटे को बचाने आए पिता डालचंद मेघवाल (60) पर भी हमलावर ने ताबड़तोड़ वार किए। हमले में पिता का हाथ कट गया। उनको गंभीर हालत में एमबी हॉस्पिटल उदयपुर रेफर किया गया।

पुलिसकर्मियों ने बहुत समझाया, लेकिन जान दे दी

शुक्रवार दोपहर पुलिस जब आरोपी को तलाशते हुए जंगल में पहुंची तो उसने तलवार से खुद का गला काटना शुरू कर दिया। पुलिसकर्मियों ने उसको आवाज देकर समझाया। पुलिसकर्मी उसको रोकने के लिए लालच दिया। उसे बोला कि रुक जाओ तुम्हें सजा नहीं होगी, इधर आ जाओ। गला मत काट अपना। बेटा तलवार फेंक दे, तुझे कुछ नहीं होगा। इधर आ जाओ। नहीं मारेंगे तुझे। नीचे आ जा, तेरी मदद करेंगे। तेरा जीवन क्यों खत्म कर रहा है, तेरी मदद करेंगे, तू विश्वास रख। तेरे बहुत खून आ रहा है, तेरे को ठीक करवा देंगे, जल्दी आ जा। लेकिन युवक ने अपनी जान दे दी।

वीडियो में हत्यारा बोल रहा, बर्बाद कर दिया

पुलिस के सामने तलवार से गला काटते समय युवक बार-बार कह रहा था, फूल ने मुझे बर्बाद कर दिया। फतह सिंह पुलिस के नजदीक आया तब भी यहीं कह रहा था कि मेरे बयान ले लो। लॉकडाउन में मुझे फूल दिया और उसके बाद से नुकसान ही हुआ, फायदा नहीं। बताया जा रहा है कि टीचर और फतह सिंह में एक साल से बातचीत भी नहीं हो रही थी।

पहले सिगरेट मांगी फिर अचानक हमला किया था

टीचर के छोटे भाई प्रकाश मेघवाल ने बताया कि घर में बनी दुकान पर एक व्यक्ति आया था। उसने सिगरेट मांगी थी। भाई शंकरलाल मेघवाल दुकान के पास ही खड़े थे। आरोपी ने अचानक तलवार निकाली और भाई की गर्दन पर वार करना शुरू कर दिए। एक पल में ही भाई खून से लहूलुहान हो गया। दुकान में बैठे पिता जब भाई को बचाने पहुंचे तो आरोपी ने उन पर भी तलवार से कई वार किए। मैं जब तक दौड़कर पहुंचा, तब तक आरोपी फरार हो चुका था।

पूरा घर खून से सन गया था

प्रकाश ने बताया कि कुछ ही समय में पिता-पुत्र के खून से घर का पूरा आंगन सन गया। खून ज्यादा बहने से पिता की हालत गंभीर बनी हुई है। शंकरलाल मेथोड़ी स्थित पायरी प्राथमिक स्कूल में शिक्षक था। शंकरलाल के 3 बच्चे हैं। इसमें 2 साल का बेटा, 5 और 9 साल की बेटियां हैं।

ग्रामीणों ने दी थी आंदोलन की चेतावनी

घटना के बाद ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी। लोगों ने आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की थी। देर रात सलूंबर एसपी और जावर माइंस थानाधिकारी पवन सिंह मौके पर पहुंचे। घटना की जानकारी मिलने के बाद समाज के लोग उदयपुर एमबी हॉस्पिटल पहुंचे थे।

लोगों ने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद देने और 24 घंटे में आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की मांग रखी थी। कहा कि एसएचओ को सस्पेंड किया जाए। भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त जाब्ता बुलाया गया था।

हत्यारे के पिता बोले- बेटे ने सही नहीं किया

फतहसिंह के पिता देवीसिंह ने कहा था कि उसके बेटे ने यह अच्छा काम नहीं किया। उसने शंकर को मारकर अच्छा नहीं किया। उसे उसकी सजा मिलनी चाहिए। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दोनों अधिकांश समय साथ ही रहते थे। गांव में जिसे भी इस घटना की जानकारी मिली, किसी को विश्वास नहीं हुआ। शुक्रवार दोपहर फतह सिंह ने खुद ही गला काटकर जान दे दे दी।

आरोपी के पिता ने माना फूल दिया था

इधर, आरोपी के पिता देवीलाल ने बताया कि टीचर ने उसके बेटे को कोरोना के समय एक फूल दिया था। युवक अहमदाबाद में काम करता था। उसके मन में पिछले दो साल से चल रहा था कि ये फूल जब से मिला है,तब से तरक्की नहीं कर पा रहा है। इसके दो भाई है, जो गांव में ही अलग से रहते हैं और खेती करते हैं। बताते हैं कि बहुत पहले बड़ी बहन इसे अहमदाबाद ले गई और साइकिल का काम कराया, लेकिन वहां भी सफल नहीं हुआ तो वापस गांव लौट आया था।