Delhi Election 2025: दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर मतगणना जारी है और शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। यह नतीजे दिल्ली की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहे हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP), जो पिछले दो चुनावों में भारी बहुमत से सत्ता में आई थी, इस बार तगड़ा झटका खाती नजर आ रही है।
बीजेपी की ऐतिहासिक बढ़त, AAP को बड़ा झटका
पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, जबकि बीजेपी केवल 8 सीटों पर सिमट गई थी। लेकिन इस बार के रुझानों से साफ है कि बीजेपी मजबूत स्थिति में है और सत्ता में वापसी कर सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, दिल्ली में बीजेपी की बढ़त के पीछे कई कारण हैं। इनमें केंद्र सरकार की लोकप्रिय योजनाएं, आम आदमी पार्टी की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, और बीजेपी की प्रभावी चुनाव रणनीति शामिल हैं।
दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन? ये तीन नेता रेस में सबसे आगे
बीजेपी की जीत की संभावना के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस रेस में तीन प्रमुख नेताओं के नाम चर्चा में हैं।
1. प्रवेश वर्मा – अनुभवी नेता और सशक्त दावेदार
नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे प्रवेश वर्मा लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। यदि वह यह चुनाव जीतते हैं, तो बीजेपी उनके नाम पर विचार कर सकती है।
प्रवेश वर्मा का राजनीतिक कद बड़ा है। उनके पिता, साहिब सिंह वर्मा, दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वह खुद भी दिल्ली से सांसद रह चुके हैं। मजबूत जमीनी पकड़ और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे रखती है।
2. दुष्यंत गौतम – दलित समाज के बड़े नेता
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और करोल बाग से प्रत्याशी दुष्यंत कुमार गौतम को भी मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उनके पक्ष में सबसे बड़ा तर्क यह है कि वह दलित समाज से आते हैं और लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बीजेपी दिल्ली में दलित समाज को साधना चाहती है, तो दुष्यंत गौतम को मुख्यमंत्री बनाना एक बड़ा संदेश होगा। उनकी शांत छवि और पार्टी नेतृत्व के साथ मजबूत संबंध भी उन्हें एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाते हैं।
3. विजेंदर गुप्ता – अनुभवी रणनीतिकार
तीसरा नाम विजेंदर गुप्ता का है, जो दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। वह अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की नीतियों के सबसे मुखर आलोचकों में से एक हैं।
रोहिणी से प्रत्याशी विजेंदर गुप्ता का रिकॉर्ड यह दिखाता है कि वह कठिन परिस्थितियों में भी जीत दर्ज करने की क्षमता रखते हैं। 2020 के चुनावों में जब बीजेपी महज आठ सीटें जीत पाई थी, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे। यह उनके मजबूत जनाधार को दर्शाता है।
आगे की राह: बीजेपी की रणनीति और संभावित कैबिनेट
अगर बीजेपी बहुमत हासिल करती है, तो पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली की शासन व्यवस्था को संभालना होगी। आम आदमी पार्टी के कई लोकप्रिय योजनाएं जैसे मुफ्त बिजली-पानी, मोहल्ला क्लीनिक, और सरकारी स्कूलों में सुधार, जनता के बीच लोकप्रिय रहे हैं। बीजेपी को इन योजनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा।
इसके अलावा, संभावित मंत्रिमंडल में किन नेताओं को स्थान मिलेगा, यह भी एक अहम सवाल होगा। प्रवेश वर्मा, दुष्यंत गौतम और विजेंदर गुप्ता के अलावा, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को भी प्रमुख जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली में विधानसभा चुनावों के ताजा रुझानों से साफ है कि राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है। अगर बीजेपी पूर्ण बहुमत हासिल कर लेती है, तो यह आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका होगा और दिल्ली की राजनीति में नए समीकरण स्थापित करेगा। अब सभी की निगाहें अंतिम नतीजों पर टिकी हैं, जो तय करेंगे कि दिल्ली की सत्ता की बागडोर किसके हाथ में होगी।