Vikrant Shekhawat : Oct 09, 2024, 08:40 AM
Reserve Bank Of India: अगर आप महंगे कर्ज से परेशान हैं और आपके ऊपर लोन चल रहा है, तो ये खबर आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। दरअसल, आज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा रेपो रेट को लेकर फैसला सुनाया जाना है, जिससे यह तय होगा कि आपकी लोन ईएमआई बढ़ेगी या घटेगी। पिछले तीन दिनों से चल रही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद यह निर्णय लिया जाएगा, और इसके परिणाम पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं।मौजूदा स्थितिवर्तमान में, रेपो रेट 6.5% है। हाल ही में, अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में किए गए बदलाव के बाद भारत में भी दरों में कमी की उम्मीदें बढ़ी हैं। विशेषज्ञों की राय इस मामले में बंटी हुई है। एक ओर, बढ़ती महंगाई आरबीआई के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि महंगाई पर नियंत्रण रहा, तो ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन सकती है।ब्याज दरों में लंबे समय से स्थिरताआरबीआई की पिछली नौ बैठकों में ब्याज दरों को स्थिर रखने का निर्णय लिया गया है। पिछली बार रेपो रेट में बदलाव फरवरी 2023 में किया गया था, जिसके बाद से यह 6.50% पर स्थिर है। इस बीच, होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्ज की दरों पर इसका सीधा असर पड़ा है, और आज के फैसले से इन दरों में बदलाव की संभावना पर सभी की नजरें टिकी हैं।आर्थिक स्थितियां और चुनौतियाँभारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा संकेतों के बीच कुछ चिंताएं भी बनी हुई हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव, और अमेरिकी चुनाव से उत्पन्न अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आरबीआई किस प्रकार की नीति अपनाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में बढ़ती महंगाई अभी भी एक बड़ा मुद्दा है, इसलिए फिलहाल रेपो रेट में किसी बड़े बदलाव की संभावना कम है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर 2024 तक महंगाई में गिरावट आने पर ब्याज दरों में नरमी की उम्मीद की जा सकती है।भविष्य की संभावनाएँयदि आज की बैठक में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया जाता है, तो भी यह संभावना बनी रहेगी कि आने वाले महीनों में, खासकर दिसंबर तिमाही के दौरान, आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। यह कदम महंगाई में गिरावट और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है। इससे होम लोन और अन्य कर्जों पर ब्याज दरों में कमी आने की उम्मीद की जा सकती है, जिससे कर्ज लेने वालों को राहत मिल सकती है।