Vikrant Shekhawat : Apr 01, 2022, 10:35 PM
— नए महाराव राजा के स्वागत में दुल्हन की तरह सजा बूंदी
— पूर्व रियासतों के कई ठिकानेदार बूंदी पहुंचेजयपुर । हिन्दू नव वर्ष पर सनातन परम्परा को साकार रूप देते हुए बूंदी के नए महाराव राजा वंशवर्धन सिंह का पाग दस्तूर शनिवार को किया जाएगा। अलवर के महाराजा सवाई जितेन्द्रसिंह, कोटा महाराव इज्यराज सिंह, सिरोही के पद्मश्री महाराजा रघुवीरसिंह समेत कई पूर्व राजपरिवारों की मौजूदगी में होने वाले इस आयोजन के लिए बूंदी शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। सर्व समाज के लोग बड़े उत्साह से इस आयोजन की तैयारियों में जुटे हुए हैं। बूंदी की पूर्व रियासत की पाग का दस्तूर 2 अप्रेल को बूंदी की नवल सागर झील किनारे स्थित मोती महल में सुबह 10 बजे होगा। कापरेन ठिकाने के कुंवर वंशवर्धन सिंह को पाग बांधी जाएंगी। तिलक दस्तूर का समस्त आयोजन पूर्व राजपरिवार के मोती महल परिसर में सनातन राज परम्परा के अनुरूप होगा। यहां तिलक दस्तूर की तैयारियां पूरी कर ली गई है। आयोजन को लेकर कई पूर्व रियासत और पूर्व ठिकानों के सदस्य बूंदी पहुंच चुके हैं। पाग दस्तूर के बाद इसके बाद महाराव राजा वंधवर्धन सिंह गढ़ पैलेस स्थित रतन दौलत के दरीखाना में नजर दस्तूर का कार्यक्रम होगा। इसके बाद गढ़ की पड़स से हाथी पर शहर में सवारी निकाली जाएगी। जो प्रमुख मार्गों से होते हुए पुलिस लाइन रोड स्थित केसरी दौलत पहुंचेंगी। यहां नजराना -निछयावर का दस्तूर होगा।साकार होगी परम्पराछोटी काशी के नाम से ख्यात बूंदी में यह सनातन परम्परा साकार रूप लेगी। इसको लेकर प्रत्येक समाज में खुशी की लहर है। आपको बता दें कि महाराव राजा रणजीत सिंह के वर्ष 2010 में निसंतान निधन के बाद यहां की पाग पर कोई फैसला नहीं हुआ था। बूंदी के पूर्व राजघराने से निकट रक्त संबंध होने के नाते कोटा और अलवर दोनों ही पूर्व राजघरानों के सदस्यों ने अब वंशवर्धन सिंह को पाग का हकदार बताते हुए सहमति पत्र जारी किए हैं। इन पत्रों के बाद बूंदी रियासत के ठिकानेदारों ने भी इस फैसले का समर्थन किया है।राजपूताने का प्राचीन राजवंश है बूंदीबूंदी की रियासत राजपूताने की एक प्राचीन रियासत मानी जाती है। इसकी स्थापना महाराव देवा हाड़ा ने 1242 में की थी। बूंदी राजवंश में कई प्रतापी शासक हुए हैं। राजपूताने के चौहान वंश के हाड़ा कुल की प्रथम रियासत है।वंशवर्धन सिंह का परिचयनए महाराव राजा वंशवर्धन सिंह का जन्म कापरेन ठिकाने के महाराजधिराज बलभद्र सिंह हाड़ा के घर 8 जनवरी 1987 को हुआ। इनकी प्राथमिक शिक्षा डेली कॉलेज इंदौर मध्यप्रदेश से हुई। कॉलेज शिक्षा इंग्लैण्ड लीस्टर की डी मॉंंटफोर्ट यूनीवर्सिटी से हुई। आपने व्यवसाय प्रबंधन में कनाडा से स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की। दो वर्ष तक आपने अनुभव के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधन का काम संभाला। 2013 में वंशवर्धन सिंह बूंदी लौट आए। इन्हें वंश परम्परा के अनुसार महाराजा रणजीतसिंह का उत्तराधिकारी बनाया गया है। आपका विवाह ठाकुर दीप सिंह धनानी की पुत्री मयूराक्षी कुमारी से वर्ष 2016 में हुआ। वंशवर्धन सिंह और मयूराक्षी के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभ सिंह हैं।चार बजे से शोभायात्रापारम्परिक आयोजन के बाद शाम चार बजे से शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें बड़ी संख्या में बूंदी के सर्व समाज के लोग शिरकत करेंगे। पुष्पवर्षा कर कई जगह शोभायात्रा का स्वागत किया जाएगा।
— पूर्व रियासतों के कई ठिकानेदार बूंदी पहुंचेजयपुर । हिन्दू नव वर्ष पर सनातन परम्परा को साकार रूप देते हुए बूंदी के नए महाराव राजा वंशवर्धन सिंह का पाग दस्तूर शनिवार को किया जाएगा। अलवर के महाराजा सवाई जितेन्द्रसिंह, कोटा महाराव इज्यराज सिंह, सिरोही के पद्मश्री महाराजा रघुवीरसिंह समेत कई पूर्व राजपरिवारों की मौजूदगी में होने वाले इस आयोजन के लिए बूंदी शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। सर्व समाज के लोग बड़े उत्साह से इस आयोजन की तैयारियों में जुटे हुए हैं। बूंदी की पूर्व रियासत की पाग का दस्तूर 2 अप्रेल को बूंदी की नवल सागर झील किनारे स्थित मोती महल में सुबह 10 बजे होगा। कापरेन ठिकाने के कुंवर वंशवर्धन सिंह को पाग बांधी जाएंगी। तिलक दस्तूर का समस्त आयोजन पूर्व राजपरिवार के मोती महल परिसर में सनातन राज परम्परा के अनुरूप होगा। यहां तिलक दस्तूर की तैयारियां पूरी कर ली गई है। आयोजन को लेकर कई पूर्व रियासत और पूर्व ठिकानों के सदस्य बूंदी पहुंच चुके हैं। पाग दस्तूर के बाद इसके बाद महाराव राजा वंधवर्धन सिंह गढ़ पैलेस स्थित रतन दौलत के दरीखाना में नजर दस्तूर का कार्यक्रम होगा। इसके बाद गढ़ की पड़स से हाथी पर शहर में सवारी निकाली जाएगी। जो प्रमुख मार्गों से होते हुए पुलिस लाइन रोड स्थित केसरी दौलत पहुंचेंगी। यहां नजराना -निछयावर का दस्तूर होगा।साकार होगी परम्पराछोटी काशी के नाम से ख्यात बूंदी में यह सनातन परम्परा साकार रूप लेगी। इसको लेकर प्रत्येक समाज में खुशी की लहर है। आपको बता दें कि महाराव राजा रणजीत सिंह के वर्ष 2010 में निसंतान निधन के बाद यहां की पाग पर कोई फैसला नहीं हुआ था। बूंदी के पूर्व राजघराने से निकट रक्त संबंध होने के नाते कोटा और अलवर दोनों ही पूर्व राजघरानों के सदस्यों ने अब वंशवर्धन सिंह को पाग का हकदार बताते हुए सहमति पत्र जारी किए हैं। इन पत्रों के बाद बूंदी रियासत के ठिकानेदारों ने भी इस फैसले का समर्थन किया है।राजपूताने का प्राचीन राजवंश है बूंदीबूंदी की रियासत राजपूताने की एक प्राचीन रियासत मानी जाती है। इसकी स्थापना महाराव देवा हाड़ा ने 1242 में की थी। बूंदी राजवंश में कई प्रतापी शासक हुए हैं। राजपूताने के चौहान वंश के हाड़ा कुल की प्रथम रियासत है।वंशवर्धन सिंह का परिचयनए महाराव राजा वंशवर्धन सिंह का जन्म कापरेन ठिकाने के महाराजधिराज बलभद्र सिंह हाड़ा के घर 8 जनवरी 1987 को हुआ। इनकी प्राथमिक शिक्षा डेली कॉलेज इंदौर मध्यप्रदेश से हुई। कॉलेज शिक्षा इंग्लैण्ड लीस्टर की डी मॉंंटफोर्ट यूनीवर्सिटी से हुई। आपने व्यवसाय प्रबंधन में कनाडा से स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की। दो वर्ष तक आपने अनुभव के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधन का काम संभाला। 2013 में वंशवर्धन सिंह बूंदी लौट आए। इन्हें वंश परम्परा के अनुसार महाराजा रणजीतसिंह का उत्तराधिकारी बनाया गया है। आपका विवाह ठाकुर दीप सिंह धनानी की पुत्री मयूराक्षी कुमारी से वर्ष 2016 में हुआ। वंशवर्धन सिंह और मयूराक्षी के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभ सिंह हैं।चार बजे से शोभायात्रापारम्परिक आयोजन के बाद शाम चार बजे से शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें बड़ी संख्या में बूंदी के सर्व समाज के लोग शिरकत करेंगे। पुष्पवर्षा कर कई जगह शोभायात्रा का स्वागत किया जाएगा।