Zee News : Sep 01, 2020, 06:56 AM
ठाणेः मोबाइल टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन- आइडिया (Vodafone-Idea) पर महाराष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित एक कंज्यूमर कोर्ट ने सात हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कंपनी को एक ग्राहक की पोस्टपेड सिम को प्रीपेड में बदलना था, जिसे उसने नहीं किया। इसे सेवाओं में कमी मानते हुए कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया कि वो ग्राहक को ये रकम प्रदान करे।
यह था पूरा मामलाठाणे शहर में रहने वाले जावेद युसूफ शेख ने आयोग को बताया कि वह अपने पोस्टपेड सिम को प्री-पेड सिम में बदलवाना चाहता था और इसके लिये उसने सभी प्रक्रियाएं पूरी की थीं। ठाणे की एक गैलरी में इसके लिये शुल्क भी दिया और नौ मार्च 2014 को उसे नया सिमकार्ड भी दे दिया गया। उससे वादा किया गया था कि दो से तीन दिनों के अंदर सिम कार्ड को प्री-पेड में बदल दिया जाएगा लेकिन यह नहीं हुआ।इस बीच टेलीकॉम कंपनी (तब वोडाफोन एस्सार लिमिटेड) ने उसे पोस्टपेड सेवाओं के लिये बिल जारी कर दिया और शिकायतकर्ता ने निर्बाध सेवा के लिये उसे अदा कर दिया। ग्राहक ने कहा कि भुगतान के बावजूद कंपनी ने जुलाई 2014 में उस मोबाइल नंबर की सेवाएं बंद कर दीं।
कंपनी से मांगे थे 9.20 लाख रुपयेकंपनी द्वारा उसके सिम को पोस्टपेड से प्री-पेड में बदलने के अनुरोध पर जब कोई सुनवाई नहीं की गई तो उसने मुआवजे के तौर पर नौ लाख रुपये तथा वाद दायर करने पर हुए खर्च के लिये 20 हजार रुपयों की मांग करते हुए उपभोक्ता मंच में शिकायत की।
कंपनी ने दी थी ये दलीलटेलीकॉम कंपनी और गैलरी ने दलील दी कि पीडीएफ फॉरमेट में भुगतान की रसीद जमा कराने के लिये शिकायतकर्ता से कई बार पत्राचार और फोन किये जाने के बावजूद उसने ऐसा नहीं किया। इसलिये शिकायतकर्ता के मोबाइल नंबर को पोस्टपेड से प्री-पेड में बदलने के अनुरोध को पूरा नहीं किया जा सका।दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के पीठासीन सदस्य एस जेड पवार और सदस्य पूनम वी महर्षि ने इस महीने दिये गए अपने आदेश में कहा कि कंपनी शिकायतकर्ता को आवश्यक सेवा देने में नाकाम रही और उसे छोटे से काम के लिये यहां-वहां भागने को मजबूर किया।आयोग ने कहा कि हम शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी के लिये 5000 रुपये और मामला दायर करने पर हुए खर्च के तौर पर 2000 रुपये उसे देने का निर्देश कंपनी को देते है। 60 दिन के अंदर यह रकम शिकायतकर्ता को दी जाए। ऐसा न करने पर जुर्माने की रकम पर छह फीसदी की दर से ब्याज देय होगा। शिकायतकर्ता के सिम कार्ड को प्री-पेड में बदलने का निर्देश भी दिया गया है।
यह था पूरा मामलाठाणे शहर में रहने वाले जावेद युसूफ शेख ने आयोग को बताया कि वह अपने पोस्टपेड सिम को प्री-पेड सिम में बदलवाना चाहता था और इसके लिये उसने सभी प्रक्रियाएं पूरी की थीं। ठाणे की एक गैलरी में इसके लिये शुल्क भी दिया और नौ मार्च 2014 को उसे नया सिमकार्ड भी दे दिया गया। उससे वादा किया गया था कि दो से तीन दिनों के अंदर सिम कार्ड को प्री-पेड में बदल दिया जाएगा लेकिन यह नहीं हुआ।इस बीच टेलीकॉम कंपनी (तब वोडाफोन एस्सार लिमिटेड) ने उसे पोस्टपेड सेवाओं के लिये बिल जारी कर दिया और शिकायतकर्ता ने निर्बाध सेवा के लिये उसे अदा कर दिया। ग्राहक ने कहा कि भुगतान के बावजूद कंपनी ने जुलाई 2014 में उस मोबाइल नंबर की सेवाएं बंद कर दीं।
कंपनी से मांगे थे 9.20 लाख रुपयेकंपनी द्वारा उसके सिम को पोस्टपेड से प्री-पेड में बदलने के अनुरोध पर जब कोई सुनवाई नहीं की गई तो उसने मुआवजे के तौर पर नौ लाख रुपये तथा वाद दायर करने पर हुए खर्च के लिये 20 हजार रुपयों की मांग करते हुए उपभोक्ता मंच में शिकायत की।
कंपनी ने दी थी ये दलीलटेलीकॉम कंपनी और गैलरी ने दलील दी कि पीडीएफ फॉरमेट में भुगतान की रसीद जमा कराने के लिये शिकायतकर्ता से कई बार पत्राचार और फोन किये जाने के बावजूद उसने ऐसा नहीं किया। इसलिये शिकायतकर्ता के मोबाइल नंबर को पोस्टपेड से प्री-पेड में बदलने के अनुरोध को पूरा नहीं किया जा सका।दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के पीठासीन सदस्य एस जेड पवार और सदस्य पूनम वी महर्षि ने इस महीने दिये गए अपने आदेश में कहा कि कंपनी शिकायतकर्ता को आवश्यक सेवा देने में नाकाम रही और उसे छोटे से काम के लिये यहां-वहां भागने को मजबूर किया।आयोग ने कहा कि हम शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी के लिये 5000 रुपये और मामला दायर करने पर हुए खर्च के तौर पर 2000 रुपये उसे देने का निर्देश कंपनी को देते है। 60 दिन के अंदर यह रकम शिकायतकर्ता को दी जाए। ऐसा न करने पर जुर्माने की रकम पर छह फीसदी की दर से ब्याज देय होगा। शिकायतकर्ता के सिम कार्ड को प्री-पेड में बदलने का निर्देश भी दिया गया है।