Live Hindustan : Sep 07, 2019, 07:38 AM
चंद्रयान-2 की सफलता चांद पर इंसान भेजने की राह खोलेगी। जिस प्रकार दुनिया के तमाम अभियानों के बावजूद चंद्रयान-1 ने चांद के एक रहस्य से परदा हटाया था, उसी प्रकार चंद्रयान-2 भी चांद के बारे में दुनिया को नई जानकारी देगा। ग्रहों पर पहुंचने के अभियान में हम पहले भी कई सफलताएं हासिल कर चुके हैं। उपग्रह भेजे हैं, ऑर्बिटर में सफलता पाई है। ऐसे उपग्रह भेज चुके हैं जो चांद और मंगल की परिक्रमा कर सकें।
चंद्रयान-2 से हम ग्रहीय मिशन में सफलता का एक नया मुकाम हासिल करेंगे। इससे हमारी तकनीकी, ज्ञान एवं वैज्ञानिक क्षमता भी प्रदर्शित होगी। इसके बाद का जो पड़ाव है, वह सैंपल रिटर्न है। यानी किसी मिशन को पहुंचाना और फिर उसे वापस लेकर आना। निश्चित रूप से भारत चौथे पड़ाव को भी हासिल करेगा। चंद्रमा पर इंसान भेजना और उसे वापस धरती पर लाना हमारा अगला कदम हो सकता है।अंतिम क्षणों में चूके, चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी दूर चंद्रयान-2 के लैंडर से संपर्क टूटा
वैसे तो चंद्रमा की सतह को लेकर बहुत सी जानकारियां हमारे पास हैं लेकिन हम इस बार उनसे आगे की जानकारियां एकत्र कर रहे हैं। जिस हिस्से में लैंडर विक्रम पहुंचा है, वहां पहले कोई नहीं गया। पहला कदम वहां भारत ने रखा है। एक बात और, चांद पर कभी पानी के कण थे, ये खोज भी तो भारत के चंद्रयान-1 ने की थी जबकि उससे पहले दर्जनों मिशन वहां जा चुके थे।रोवर ‘प्रज्ञान’में लगे उपकरण चंद्रसतह का विश्लेषण करेंगे और आंकड़े लैंडर ‘विक्रम’ के पास भेजेंगे। लैंडर में एक एंटीना लगा है जिसके जरिए आंकड़े इसरो के इंटरनेशनल स्पेस साइंस डाटा सेंटर को मिलेंगे। यह केंद्र बेंगलुरू के निकट ब्यालालु में है। खास बात यह है कि जो आंकड़े चंद्रयान-2 से मिलेंगे, वह सिर्फ हमारे हैं। हमारे वैज्ञानिक उन पर शोध करेंगे। हालांकि, कुछ वर्षों के बाद हम इन्हें दूसरी एजेंसियों को दे सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुसार एक निश्चित समय के बाद ऐसा करना होता है।
चंद्रयान-2 से हम ग्रहीय मिशन में सफलता का एक नया मुकाम हासिल करेंगे। इससे हमारी तकनीकी, ज्ञान एवं वैज्ञानिक क्षमता भी प्रदर्शित होगी। इसके बाद का जो पड़ाव है, वह सैंपल रिटर्न है। यानी किसी मिशन को पहुंचाना और फिर उसे वापस लेकर आना। निश्चित रूप से भारत चौथे पड़ाव को भी हासिल करेगा। चंद्रमा पर इंसान भेजना और उसे वापस धरती पर लाना हमारा अगला कदम हो सकता है।अंतिम क्षणों में चूके, चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी दूर चंद्रयान-2 के लैंडर से संपर्क टूटा
वैसे तो चंद्रमा की सतह को लेकर बहुत सी जानकारियां हमारे पास हैं लेकिन हम इस बार उनसे आगे की जानकारियां एकत्र कर रहे हैं। जिस हिस्से में लैंडर विक्रम पहुंचा है, वहां पहले कोई नहीं गया। पहला कदम वहां भारत ने रखा है। एक बात और, चांद पर कभी पानी के कण थे, ये खोज भी तो भारत के चंद्रयान-1 ने की थी जबकि उससे पहले दर्जनों मिशन वहां जा चुके थे।रोवर ‘प्रज्ञान’में लगे उपकरण चंद्रसतह का विश्लेषण करेंगे और आंकड़े लैंडर ‘विक्रम’ के पास भेजेंगे। लैंडर में एक एंटीना लगा है जिसके जरिए आंकड़े इसरो के इंटरनेशनल स्पेस साइंस डाटा सेंटर को मिलेंगे। यह केंद्र बेंगलुरू के निकट ब्यालालु में है। खास बात यह है कि जो आंकड़े चंद्रयान-2 से मिलेंगे, वह सिर्फ हमारे हैं। हमारे वैज्ञानिक उन पर शोध करेंगे। हालांकि, कुछ वर्षों के बाद हम इन्हें दूसरी एजेंसियों को दे सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुसार एक निश्चित समय के बाद ऐसा करना होता है।