Delhi Election / कांग्रेस की दिल्ली चुनाव में असली विपक्ष AAP क्यों? 5 आंकड़ों में छिपा है राज

दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ मजबूती से मोर्चा संभाल लिया है। अशोक गहलोत के बयान के बाद दोनों दलों में तनातनी बढ़ी। कांग्रेस, आप के खिलाफ रणनीतिक आधार पर कदम उठा रही है। पांच राज्यों में हुए नुकसान ने कांग्रेस को यह फैसला लेने पर मजबूर किया।

Vikrant Shekhawat : Jan 10, 2025, 06:20 PM

Delhi Election: दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच सियासी मुकाबला तेज़ हो चुका है। महज आठ महीने पहले तक जहां कांग्रेस का दिल्ली की राजनीति में कोई खास दखल नहीं था, अब वह पूरी मजबूती से मैदान में उतर चुकी है। कांग्रेस बड़े चेहरों को मैदान में उतारकर आम आदमी पार्टी को घेरने की रणनीति अपना रही है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की गारंटी योजनाओं को विफल करने के लिए कांग्रेस ने कई वादों की झड़ी लगा दी है।

कांग्रेस-आप के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर

हाल ही में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच पर्दे के पीछे समझौते का आरोप लगाया। वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने एक इंटरव्यू में साफ कहा कि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की असली लड़ाई आम आदमी पार्टी से है।

इस सियासी टकराव के बीच इंडिया गठबंधन में भी दरार के संकेत मिल रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे कई दल खुलकर आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ मजबूती से मोर्चा खोलने का फैसला क्यों लिया? आइए, इसे समझने के लिए पांच अहम आंकड़ों पर नज़र डालते हैं।


1. दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छीन चुकी है आम आदमी पार्टी

दिल्ली में 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले तक कांग्रेस का मजबूत किला था। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनाव प्रचार में कांग्रेस हाईकमान और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को निशाना बनाया। 2013 के चुनाव में कांग्रेस को महज 8 सीटें मिलीं, जबकि आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिलीं। इसके बाद कांग्रेस ने आप को समर्थन दिया, लेकिन 49 दिनों में ही केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया।

2015 के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 9 प्रतिशत पर आ गया, जो 2013 में 24 प्रतिशत था। वहीं, 2020 के चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।

पंजाब में भी कांग्रेस से सत्ता छीनकर आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की। कांग्रेस का मानना है कि अगर दिल्ली में वह आप के खिलाफ मजबूती से नहीं लड़ी, तो इसका असर पंजाब और अन्य राज्यों में भी देखने को मिलेगा।


2. गुजरात और गोवा चुनाव में कांग्रेस का खेल बिगाड़ा

2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया। जहां 2017 में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं, वहीं 2022 में यह संख्या घटकर 17 रह गई।

आम आदमी पार्टी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की और 30 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। गुजरात चुनाव में आप को 12.9 प्रतिशत वोट मिले। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 40 प्रतिशत से गिरकर 27 प्रतिशत पर आ गया।

गोवा में भी कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से था, लेकिन आप ने वहां भी कांग्रेस का नुकसान किया।


3. असम जैसे राज्यों में कांग्रेस को आप से खतरा

असम में अभी तक कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर होती रही है। लेकिन 2022 के गुवाहाटी निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 10 प्रतिशत वोट हासिल कर यह दिखा दिया कि वह असम में भी अपने पैर जमा रही है।

कांग्रेस को डर है कि अगर अभी आम आदमी पार्टी के खिलाफ मजबूत लड़ाई नहीं लड़ी गई, तो भविष्य में असम जैसे राज्यों में भी कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ सकता है।


4. इतिहास से सीख ले रही है कांग्रेस

कांग्रेस के इतिहास में भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जब सहयोगी दलों ने उसे नुकसान पहुंचाया। 2000 में बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी को समर्थन दिया और धीरे-धीरे राज्य की राजनीति से बाहर हो गई।

पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने सत्ता में आते ही कांग्रेस को किनारे कर दिया। 2021 के चुनाव में तो कांग्रेस ने ममता के लिए मैदान ही खाली छोड़ दिया, जिसके बाद कांग्रेस का प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में शून्य पर सिमट गया।


5. सहयोगी दलों को संदेश देना चाहती है कांग्रेस

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ मजबूती से लड़ने का एक और मकसद समाजवादी पार्टी और आरजेडी जैसे सहयोगी दलों को संदेश देना है। कांग्रेस चाहती है कि यूपी और बिहार जैसे राज्यों में उसे फ्रंटफुट पर लिया जाए। अगर दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिलती है, तो इसका असर 2025 के बिहार चुनाव और 2027 के यूपी चुनाव पर भी पड़ेगा।

कांग्रेस का मानना है कि अगर वह दिल्ली में आप के खिलाफ मजबूती से लड़ती है, तो यह अन्य राज्यों में भी उसके सहयोगी दलों पर सकारात्मक असर डालेगा।


निष्कर्ष

दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बढ़ता सियासी संघर्ष कई राज्यों में भविष्य की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। कांग्रेस ने आप के खिलाफ जो मोर्चा खोला है, वह सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पंजाब, गुजरात, गोवा और असम जैसे राज्यों पर भी पड़ेगा।

कांग्रेस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भविष्य में उसे किसी भी राज्य में आम आदमी पार्टी की वजह से सियासी नुकसान न उठाना पड़े। इसीलिए, कांग्रेस ने इस बार दिल्ली में पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है।