जयपुर / जाेधपुर में कांगाे के दो मरीज मिलने से प्रदेशभर में अलर्ट

जयपुर | आमजन और सरकार को स्वाइन फ्लू, डेंगू व स्क्रब टाइफस से निजात नहीं मिल पा रही। इससे पहले ही क्रीमियन कांगो हेमरेजिक फीवर ने पांव पसार लिए हैं। जोधपुर में क्रीमियन कांगो फीवर के दो संदिग्ध मरीज मिलने पर चिकित्सा विभाग ने डॉक्टरों की टीम को जोधपुर भेजा है। बीकानेर से भी सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि कांगो फीवर के लक्षण डेंगू जैसे होने से इसकी पहचान हो पा रही है।

Dainik Bhaskar : Sep 03, 2019, 07:59 AM
जयपुर. आमजन और सरकार को स्वाइन फ्लू, डेंगू व स्क्रब टाइफस से निजात नहीं मिल पा रही। इससे पहले ही क्रीमियन कांगो हेमरेजिक फीवर ने पांव पसार लिए हैं। जोधपुर में क्रीमियन कांगो फीवर के दो संदिग्ध मरीज मिलने पर चिकित्सा विभाग ने डॉक्टरों की टीम को जोधपुर भेजा है।

बीकानेर से भी सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि कांगो फीवर के लक्षण डेंगू जैसे होने से इसकी पहचान हो पा रही है। यह बीमारी डेंगू की तुलना में ज्यादा खतरनाक है, इसलिए इसे ‘मौत का वायरस’ के नाम से जाना जाता है। इसमें सामान्य बुखार के 3-4 दिन बाद नाक, आंख और मुंह से खून आता है। गुजरात में इस बीमारी से अब तक 3 मौतें हो चुकी हैं।

एसएमएस अस्पताल के डॉ. रमन शर्मा का कहना है कि यह बीमारी हिमोरल नामक परजीवी से फैलती है। इसलिए इसकी चपेट में अाने का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ अादि जनावरों को पालते हैं। सीसीएचएफ बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रीबावेरीन ज्यादा कारगर नहीं है।

वहीं एसएमएस अस्पताल के ही डॉ. पुनीत सक्सेना ने बताया कि कुछ सालों में राजस्थान सहित गुजरात में कुछ जगहों पर ऐसे केस सामने आए, जिनमें सामान्य बुखार होता और 3-4 दिन बाद नाक-आंख और मुंह से अचानक खून अाने लगता है। एक बार जानवर से मानव में आने के बाद यह दूसरे मानवों में तेजी से फैलता है और लक्षण भी डेंगू समान होने से डॉक्टरों को भी अलर्ट रहना चाहिए।

कहां से आया कांगो फीवर

क्रीमिया और कांगो में सबसे पहले सीसीएचएफ विषाणु पाया गया। इसी वजह से इसका नाम दोनों देशों के नाम पर रखा गया है। जानवर इस वायरस से संक्रमित होते हैं। जानवरों से यह वायरस मनुष्य में फैलता है। डॉक्टरों को कई बार डेंगू के समान लक्षण होने से बीमारी का पता नहीं लगता। नतीजतन मरीज गंभीर बीमार हो जाता और उसकी मौत तक हो जाती थी। हालांकि अब जयपुर समेत अनेक जिलों में कांगो फीवर के लक्षण, बचाव एवं उपचार के बारें में कार्यशाला हो चुकी है। 

 पहले नंबर पर जयपुर 

प्रदेश में जयपुर स्वाइन फ्लू, स्क्रब टाइफस व डेंगू पॉजिटिव मामले में पहले नंबर पर है, जबकि स्वाइन फ्लू मौत के मामले में प्रदेश स्तर के अांकड़ों के अाधार पर जोधपुर पहले नंबर पर है। सबसे चौंकाने वाली जानकारी ये है कि राजस्थान देश में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव और मौत में पहले नंबर पर है। अब तक 5052 केसेज में 206 लोगों की मौत हो चुकी है।

 जानवरों से ये दाे बीमारियां भी मनुष्यों में फैलती हैं

ब्रूसेलोसिस : जानवरों से ब्रूसेलोसिस नाम की बीमारी भी मनुष्यों में फैलती है। यह ब्रूसेलोसिस जीनस ब्रूसेला के बैक्टीरिया से फैलती है। बीकानेर में इसके 12 मरीज मिल चुके हैं। हालांकि यह जानलेवा नहीं होती, लेकिन इसमें रोगी को स्वाइन फ्लू के समान तेज बुखार व जुकाम आता है।

स्क्रब टाइफस : यह बीमारी माइट या पिस्सू के काटने से होती है। इसमें रोगी को तेज बुखार आता है। प्रदेश में इस साल अब तक स्क्रब टाइफस के 560 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें अकेले जयपुर में 200 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं।