Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के शुरुआती रूझानों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुमत की ओर बढ़ती नजर आ रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) भी कड़ी टक्कर दे रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी एक मात्र सीट पर आगे दिख रही है।
भाजपा की बढ़त, आप की चुनौती
चुनाव आयोग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भाजपा 41 सीटों पर आगे है, जबकि आम आदमी पार्टी 29 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। दिल्ली विधानसभा की कुल 70 सीटों में से सरकार बनाने के लिए 36 सीटों की आवश्यकता होती है। भाजपा की बढ़त यह संकेत दे रही है कि राजधानी की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है।
कांग्रेस के लिए निराशाजनक प्रदर्शन
दिल्ली में कभी मजबूत रही कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन इस चुनाव में बेहद कमजोर नजर आ रहा है। पहले जहां कांग्रेस 2 सीटों पर आगे थी, वहीं अब यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 1 सीट पर रह गया है। इससे साफ है कि दिल्ली के मतदाता इस चुनाव में कांग्रेस को कोई खास तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
इंडिया गठबंधन में मतभेद पर उमर अब्दुल्ला का कटाक्ष
दिल्ली चुनावी नतीजों पर विपक्षी गुटों में मंथन शुरू हो गया है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कटाक्ष करते हुए एक GIF साझा किया। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा,
"और लड़ो आपस में", जो स्पष्ट रूप से इंडिया गठबंधन में मौजूद मतभेदों की ओर इशारा करता है।
उमर अब्दुल्ला की राजनीतिक पृष्ठभूमि
उमर अब्दुल्ला वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हैं और पहले भी 2009 से 2014 तक इस पद पर रह चुके हैं। वह जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष हैं, जबकि उनके पिता, फारूक अब्दुल्ला, अब भी पार्टी के अध्यक्ष हैं। उमर अब्दुल्ला 1998 से 2009 तक श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं और विदेश राज्य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। वह भारतीय राजनीति में इंडिया गठबंधन को एकजुट करने के समर्थक माने जाते हैं।
भविष्य की राजनीति पर असर
यदि भाजपा बहुमत हासिल कर लेती है, तो यह आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी पिछले कुछ चुनावों में दिल्ली की राजनीति में मजबूत स्थिति में रही है।
अब देखना होगा कि क्या अंतिम नतीजों में भी भाजपा अपनी बढ़त बनाए रखती है या आप कोई अप्रत्याशित उलटफेर कर पाती है। वहीं, कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन विपक्षी राजनीति को लेकर नए सवाल खड़े कर सकता है।