Vikrant Shekhawat : Oct 21, 2021, 07:33 AM
मुंबई: मुंबई क्रूज़ ड्रग्स केस (Mumbai Cruise Drugs Case ) में वक्त के साथ-साथ शाहरुख खान ( Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) के लिए मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। इस केस में बुधवार को सेशंस कोर्ट ने आर्यन खान की जमानत याचिका खारिज कर दी। आर्यन खान के साथ-साथ अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की भी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। सेशंस कोर्ट की तरफ से ऑपरेटिव ऑर्डर सुनाते हुए इन तीनों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई और अब कोर्ट की ऑर्डर कॉपी आ चुकी है। इस ऑर्डर कॉपी में कई तथ्यों का जिक्र किया गया है औऱ बताया गया है कि क्यों आर्यन खान को जमानत नहीं दी जा सकती।कोर्ट ने जिन तथ्यों के आधार पर आर्यन खान की इस जमानत याचिका को खारिज किया है उनमें कई जरूरी बातों का जिक्र किया है। कोर्ट का कहना है कि आर्यन खान को जमानत दी गई तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। इस कॉपी में उनके वॉट्सऐप चैट्स का भी जिक्र किया गया है जिसमें आर्यन के रेग्युलर तौर पर ड्रग्स लेने की बात कही गई है। अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी माना है कि जमानत पर रिहा होने के बाद आर्यन ड्रग्स नहीं लेंगे यह नहीं कहा जा सकता है। यहां इस बात की भी जिक्र किया गया है कि आर्यन के पास से ड्रग्स भले नहीं मिला हो, लेकिन उन्हें पता था कि उनके साथी के पास ड्रग्स है।कोर्ट के इस ऑर्डर में कुल 36 पॉइंट्स बताए गए हैं, जिसके आधार पर आरोपियों को जमानत नहीं दी गई। इस ऑर्डर कॉपी में लिखी गई मुख्य बातें इस तरह हैं-शौविक और रिया चक्रवर्ती के केस का जिक्रकोर्ट के इस आदेश कॉपी में रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शौविक और सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच के दौरान कुछ ड्रग पेडलर्स की भी चर्चा की गई है जिनसे कमर्शल मात्रा में ड्रग्स बरामद हुए थे। इस कॉपी में शौविक चक्रवर्ती का जिक्र करते हुए बताया गया है कि उनके पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुए थे, लेकिन ड्रग पेडलर्स से कनेक्शन की वजह से उन्हें हाई कोर्ट से जमानत नहीं दी गई। कोर्ट ने बताया है कि शौविक के अलग-अलग ड्रग डीलर्स से कनेक्शन थे और उनके साथ पैसों के लेनदेन की भी बात कही गई है। शौविक का जिक्र करते हुए कैजान इब्राहिम और अनुज केशवानी जैसे बड़े ड्रग पेडलर्स का भी जिक्र किया गया है और बताया गया है कि अनुज से कमर्शल मात्रा में ड्रग्स बरामदगी का जिक्र है। इसी केस की तुलना क्रूज़ ड्रग्स केस से की गई है और कहा गया है कि अभी के केस में भी आरोपी नंबर 9 से कमर्शल मात्रा में एमडी (0.54 ग्राम) बरामद हुए हैं, जिन्होंने अन्य आरोपियों तक ड्रग्स पहुंचाया। कोर्ट ने शौविक चक्रवर्ती केस का जिक्र करते हुए कहा कि इस केस में पकड़े गए आरोपी साजिश का हिस्सा हैं और बरामद हुए पूरे ड्रग्स के लिए सभी जिम्मेदार हैं और हर आरोपी को एक-दूसरे से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। कोर्ट की इस कॉपी में रिया चक्रवर्ती का भी जिक्र है। रिया के अपराध को एनडीपीसी एक्ट के तहत गैर जमानती बताया गया है। इसी के साथ उन्हें जमानत मिलने के आधार का भी जिक्र किया गया है।सबूतों के साथ छेड़छाड़ का डरअपराध की गंभीरता और अहमियत को ध्यान में रखते हुए इस केस में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, इसलिए आरोपियों को बेल पर छोड़ने को लेकर केस से जुड़े इस फैक्टर पर भी ध्यान देना जरूरी है।केवल आरोपी नंबर 1 के पास से ही मिल सकती है जानकारीइस कॉपी में आरोपी नंबर 1 के वॉट्सऐप चैट्स का जिक्र करते हुए उन्हें प्रभावशाली और दबदबे वाला बताया है। वॉट्सचैट्स के आधार पर गैरकानूनी ड्रग्स ऐक्टिविटी में उसके शामिल होने की भी बात कही गई है। आरोपी नंबर 1 को रुतबा वाला बताते हुए कहा गया है कि यदि उन्हें बेल पर रिहा किया गया तो वह सबूतों को नष्ट कर सकते हैं। प्रतिवादी का आरोप है कि आरोपी का कनेक्शन विदेशी नागरिक और अन्य ड्रग डीलर्स से है जिनका संबंध इंटरनैशनल ड्रग्स नेटवर्क से है, जिसे लेकर जांच अभी भी चल रही है। यदि किसीभी आरोपी को छोड़ा गया तो पूरी जांच को नुकसान पहुंच सकती है। कोर्ट ने बताया है कि पूछताछ के दौरान आरोपी नंबर 1 ने उन लोगों का नाम नहीं बताया और केवल आरोपी नंबर 1 इकलौते ऐसे शख्स हैं जो उन लोगों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। एएसजी ने अपनी दलील में कहा है कि इन परिस्थितियों में अगर आरोपी नबर 1 को बेल दी जाती है तो सबूत के साथ छेड़छाड़ के पूरे चांस हैं।बेल के बाद भी कर सकता है ऐसे अपराधवॉट्सऐप चैट्स से पता चलता है कि आरोपी नंबर 1 रेग्युलर तौर पर गैरकानूनी ड्रग्स ऐक्टिविटीज़ में शामिल है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि जमानत पर छोड़े जाने के बाद वह इस तरह के अपराध फिर नहीं करेगा।एनपीडीएस एक्ट 29 लागूआरोपी नंबर 1 और 3 के अपराध को सीरियस बताते हुए बेल के लिए फिट नहीं बताया गया है। इनसे जो सबूत मिले हैं उस आधार पर इन आरोपियों पर एनपीडीएस एक्ट 29 लागू होना चाहिए। इसलिए उनपर NDPS ऐक्ट की कठोर धारा 37 लागू है।आरोपी नंबर 1, 2 और 3 की जमानत याचिका खारिजइस केस में जो भी सबूत मिले हैं उसे देखते हुए ऐसा कोई उचित आधार नहीं हैं कि आरोपी नंबर 1, 2 और 3 ने यह अपराध न किया हो और वे बेल पर इस तरह के अपराध को फिर अंजाम नहीं दे सकते। इन सभी वजहों को ध्यान में रखते हुए आरोपी नंबर 1, 2 और 3 की जमानत याचिका को रिजेक्ट किया जाता है।हालांकि, ड्रग्स केस में सेशंस कोर्ट से ऑर्डर की कॉपी मिलते ही आर्यन के वकीलों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के विरोध में अपील दायर कर दी है। बताया जाता है कि हाई कोर्ट में जस्टिस नितिन साम्ब्रे की बेंच के सामने इस मामले को गुरुवार को सुनवाई के लिए रखा जाएगा।