Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग में अब एक हफ्ते से भी कम समय बचा है, और सभी राजनीतिक दल पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी पर समाज को जातियों में बांटने का आरोप लगाया है। इस बयान के बाद कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी ने पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री और बीजेपी पर जातीय जनगणना का विरोध करने का आरोप लगाया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस विशेष रूप से आक्रामक रुख में नजर आ रही है।
जातीय जनगणना पर कांग्रेस का सख्त रुख
कांग्रेस इस बयान को एक मौके के रूप में देख रही है। पार्टी ने प्रधानमंत्री के आरोप का जवाब देने के लिए जातीय जनगणना को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल कर लिया है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि वे इस बयान के आधार पर प्रधानमंत्री और बीजेपी को जातीय जनगणना का विरोधी साबित करने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस आरक्षण की सीमा बढ़ाने के अपने वादे पर भी जोर दे रही है, ताकि राज्य में सामाजिक न्याय का संतुलन बनाए रखा जा सके।
महाराष्ट्र में कांग्रेस की संभावनाएं और सामाजिक न्याय का संदेश
कांग्रेस को उम्मीद है कि महाराष्ट्र की धरती, जो साहू जी महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जैसी महान शख्सियतों की भूमि है, उसे सामाजिक न्याय के मुद्दे पर समर्थन मिलेगा। राज्य में पिछड़े और दलित वर्ग के लिए सामाजिक न्याय का संदेश कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है। मराठा आरक्षण की मांग को भी कांग्रेस आरक्षण सीमा तोड़ने के वादे के साथ पूरा करने का प्रयास कर रही है, जिससे उन्हें मराठा समाज का समर्थन प्राप्त हो सकता है।
चुनावी रणनीति: बेरोजगारी, महंगाई और जातीय जनगणना
चुनाव के अंतिम चरण में कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई, किसान समस्या के साथ-साथ बीजेपी पर महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट गुजरात को बढ़ावा देने के आरोपों को भी जनता के बीच ले जाने की योजना बना रही है। कांग्रेस का मानना है कि इन मुद्दों के साथ जातीय जनगणना को जोर-शोर से उठाने से उसे चुनाव में बढ़त मिल सकती है। पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान मिले समर्थन को विधानसभा चुनावों में भी दोहराने की कोशिश कर रही है।
उत्तर प्रदेश में भी जातीय जनगणना पर राजनीतिक हलचल
प्रधानमंत्री के बयान से जातीय जनगणना का मुद्दा केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहेगा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी इसी मुद्दे को लेकर प्रदेश में बीजेपी को घेरने का प्रयास कर रही है। समाजवादी पार्टी जातीय जनगणना के साथ-साथ पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन को बढ़ावा देने में जुटी है, जिससे वह उपचुनावों में बीजेपी को चुनौती दे सके।
निष्कर्ष
जातीय जनगणना का मुद्दा महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में नया मोड़ ला सकता है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को चुनावी मैदान में बीजेपी के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। जातीय जनगणना और आरक्षण सीमा तोड़ने का मुद्दा उन वर्गों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है जो अपनी संख्या के आधार पर आरक्षण का लाभ चाहते हैं। देखना यह होगा कि जातीय जनगणना का यह मुद्दा महाराष्ट्र चुनावों में कितना असर डालता है और क्या यह कांग्रेस को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।