News18 : Aug 16, 2020, 04:21 PM
नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money laundering case) में गिरफ्तार चीनी नागरिक चार्ली पेंग (Charlie Peng) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों को पता चला है कि चार्ली पेंग दिल्ली में कुछ तिब्बती भिझुओं के संपर्क में था। उसने दलाई लामा और उनके सहयोगियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए उन्हें कथित रूप से रिश्वत भी दी थी। आयकर विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि दिल्ली स्थित मजनू का टीला के पास रहने वाले कुछ लोगों को 2 लाख से 3 लाख के बीच रिश्वत दी गई है। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल उन लोगों की पहचान की जा रही है।
शुरुआती जांच में पता चला है कि चार्ली पेंग इस काम में लोगों से चीनी ऐप वी चैट के जरिये संपर्क करता था। मजनू का टीला में बौद्ध धर्मावलंबियों की बड़ी आबादी रहती है, इसलिए यह शक पुख्ता नजर आ रहा है कि चार्ली पेंग ने दलाई लामा की जानकारी जुटाने के लिए लोगों से संपर्क किया था।
2014 में पहली बार भारत आया था चार्ली पेंगसूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक शुरुआती जांच के बाद पुलिस को पता चला है कि चार्ली पेंग इस काम में लोगों से चीनी ऐप वी चैट के जरिए संपर्क में आता था। सूत्रों का ये भी कहना है कि चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग ने पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे भी किए हैं। पेंग ने पूछताछ के दौरान अधिकारियों को बताया कि वह 2014 में पहली बार भारत आया था। भारत आने के बाद उसने दिल्ली में नूडल्स का कारोबार शुरू किया। नूडल्स के कारोबार के जरिए वह आगे बढ़ा और हवाला रैकेट तक जा पहुंचा।चालाकी से हासिल किया तिब्बती आई कार्डसूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक शुरुआती जांच के बाद पुलिस को पता चला है कि चार्ली पेंग इस काम में लोगों से चीनी ऐप वी चैट के जरिए संपर्क में आता था। सूत्रों का ये भी कहना है कि चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग ने पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे भी किए हैं। पेंग ने पूछताछ के दौरान अधिकारियों को बताया कि वह 2014 में पहली बार भारत आया था। भारत आने के बाद उसने दिल्ली में नूडल्स का कारोबार शुरू किया। नूडल्स के कारोबार के जरिए वह आगे बढ़ा और हवाला रैकेट तक जा पहुंचा।पेंग को 2018 में पहली बार दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। हालांकि कुछ दिनों बाद ही पेंग पुलिस की गिरफ्त से छूट गया। पूछताछ में पेंग ने बताया कि वो 2009 में 6 तिब्बतियों के साथ पैदल ही नेपाल गया था। 2009 से 2014 तक वो काठमांडू के पास गेलुग मठ में रहा। काठमांडू में पेंग ने औषधि और जड़ी-बूटियों का काम शुरू किया था। इस कारोबार में उसे अच्छी कमाई मिली। इसी दौरान उसे कुछ लोगों ने भारत जाने का सजेशन दिया और कहा कि वो इससे कहीं ज्यादा पैसा वहां पर कमा सकता है। इसके बाद पेंग काठमांडू से दिल्ली आ गया और मजनू का टीला के पास बसे इलाके पंजाबी बस्ती में रहा। नेपाल मठ और वहां के दस्तावेजों के आधार पर उसने तिब्बती आई कार्ड हासिल कर लिया था।
एजेंट के जरिए बनवाया भारतीय आधार कार्डदिल्ली में कारोबार को बढ़ाने के बाद पेंग ने द्वारका में फ्लैट खरीद लिया। घर खरीदने के बाद पेंग ने एजेंट के जरिए भारतीय आधार कार्ड और पैन कार्ड भी बनवाया। बाद में चार्ली पेंग द्वारका से गुरुग्राम शिफ्ट हो गया। अब हवाला नेटवर्क का पता चलने के बाद पुलिस उससे और भी कई मामलों में पूछताछ कर रही है।सूत्रों का कहना है कि मजनू का टीला में बौद्ध धर्मावलंबियों की बड़ी आबादी रहती है, इसलिए यह शक पुख्ता नजर आ रहा है कि चार्ली पेंग ने दलाई लामा की जानकारी जुटाने के लिए लोगों से संपर्क किया था।
शुरुआती जांच में पता चला है कि चार्ली पेंग इस काम में लोगों से चीनी ऐप वी चैट के जरिये संपर्क करता था। मजनू का टीला में बौद्ध धर्मावलंबियों की बड़ी आबादी रहती है, इसलिए यह शक पुख्ता नजर आ रहा है कि चार्ली पेंग ने दलाई लामा की जानकारी जुटाने के लिए लोगों से संपर्क किया था।
2014 में पहली बार भारत आया था चार्ली पेंगसूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक शुरुआती जांच के बाद पुलिस को पता चला है कि चार्ली पेंग इस काम में लोगों से चीनी ऐप वी चैट के जरिए संपर्क में आता था। सूत्रों का ये भी कहना है कि चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग ने पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे भी किए हैं। पेंग ने पूछताछ के दौरान अधिकारियों को बताया कि वह 2014 में पहली बार भारत आया था। भारत आने के बाद उसने दिल्ली में नूडल्स का कारोबार शुरू किया। नूडल्स के कारोबार के जरिए वह आगे बढ़ा और हवाला रैकेट तक जा पहुंचा।चालाकी से हासिल किया तिब्बती आई कार्डसूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक शुरुआती जांच के बाद पुलिस को पता चला है कि चार्ली पेंग इस काम में लोगों से चीनी ऐप वी चैट के जरिए संपर्क में आता था। सूत्रों का ये भी कहना है कि चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग ने पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे भी किए हैं। पेंग ने पूछताछ के दौरान अधिकारियों को बताया कि वह 2014 में पहली बार भारत आया था। भारत आने के बाद उसने दिल्ली में नूडल्स का कारोबार शुरू किया। नूडल्स के कारोबार के जरिए वह आगे बढ़ा और हवाला रैकेट तक जा पहुंचा।पेंग को 2018 में पहली बार दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। हालांकि कुछ दिनों बाद ही पेंग पुलिस की गिरफ्त से छूट गया। पूछताछ में पेंग ने बताया कि वो 2009 में 6 तिब्बतियों के साथ पैदल ही नेपाल गया था। 2009 से 2014 तक वो काठमांडू के पास गेलुग मठ में रहा। काठमांडू में पेंग ने औषधि और जड़ी-बूटियों का काम शुरू किया था। इस कारोबार में उसे अच्छी कमाई मिली। इसी दौरान उसे कुछ लोगों ने भारत जाने का सजेशन दिया और कहा कि वो इससे कहीं ज्यादा पैसा वहां पर कमा सकता है। इसके बाद पेंग काठमांडू से दिल्ली आ गया और मजनू का टीला के पास बसे इलाके पंजाबी बस्ती में रहा। नेपाल मठ और वहां के दस्तावेजों के आधार पर उसने तिब्बती आई कार्ड हासिल कर लिया था।
एजेंट के जरिए बनवाया भारतीय आधार कार्डदिल्ली में कारोबार को बढ़ाने के बाद पेंग ने द्वारका में फ्लैट खरीद लिया। घर खरीदने के बाद पेंग ने एजेंट के जरिए भारतीय आधार कार्ड और पैन कार्ड भी बनवाया। बाद में चार्ली पेंग द्वारका से गुरुग्राम शिफ्ट हो गया। अब हवाला नेटवर्क का पता चलने के बाद पुलिस उससे और भी कई मामलों में पूछताछ कर रही है।सूत्रों का कहना है कि मजनू का टीला में बौद्ध धर्मावलंबियों की बड़ी आबादी रहती है, इसलिए यह शक पुख्ता नजर आ रहा है कि चार्ली पेंग ने दलाई लामा की जानकारी जुटाने के लिए लोगों से संपर्क किया था।