Vikrant Shekhawat : Jan 05, 2021, 01:45 PM
राजस्थान | भारत सरकार ने कोरोना वायरस को हराने के लिए देश में भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की कोविशील्ड को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। हालांकि कंपनियों के बीच ही आपस में विवाद छिड़ गया है। दोनों अपनी-अपनी वैक्सीन को बेहतर बता रही हैं। अब इस विवाद में राजनेता भी कूद गए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बायोटेक और एसआईआई की बयानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।अशोक गहलोत ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, 'सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक कंपनियों की वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिलने के बाद दोनों कंपनियों के बीच हुई आपसी बयानबाजी दुर्भाग्यपूर्ण है। यह संवेदनशील मुद्दा है जिसमें प्रधानमंत्री को दखल देना चाहिए।'वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'भाजपा सरकार ने अपनी समग्रता में कोविड-19 महामारी का राजनीतिक दुरुपयोग किया है। वैक्सीन पर विवाद इसकी नवीनतम अभिव्यक्ति है। ऐसा कौन है जो इस वैक्सीन को लगवाएगा जिसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।'कांग्रेस नेता ने कहा, 'भाजपा सरकार ने उस कंपनी के लिए एक महान कार्य किया है जिसने अनुसंधान और विकास में करोड़ों रुपये का निवेश किया होगा। अपने 'आत्मानिर्भर भारत' को सिद्ध करने की उनकी खोज में, उन्होंने एक ऐसी वैक्सीन को लाइसेंस दिया है जिसका तीसरा चरण पूरा नहीं हुआ है।'क्या है पूरा मामलाएसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने रविवार को टीवी पर दिए साक्षात्कार में कहा था कि केवल तीन वैक्सीन प्रभावकारी साबित हुई हैं- फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका और बाकी सिर्फ 'पानी की तरह सुरक्षित' हैं। इसपर पलटवार करते हुए भारत बायोटेक के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. कृष्णा इल्ला ने सोमवार को कहा, 'हमने 200 प्रतिशत ईमानदार नैदानिक परीक्षण किए हैं और फिर भी हमारी आलोचना की जा रही है। यदि मैं गलत हूं तो हमें बताएं। कुछ कंपनियों ने हमें (हमारे टीके को) 'पानी' की तरह बताया है। मैं इससे इनकार करना चाहता हूं। हम वैज्ञानिक हैं। कोवैक्सीन बैकअप नहीं है। कुछ लोगों के जरिए वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।'