Vikrant Shekhawat : Mar 21, 2022, 02:37 PM
पैरालंपिक खेलों में तीन मेडल जीतने वाले भारत के जेवेलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया आज पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित होंगे। सोमवार की शाम पांच बजे नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद झाझड़िया को अवार्ड देंगे।देवेंद्र को खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पद्मभूषण दिया जाएगा। यह पुरस्कार पाने वाले झाझड़िया देश के पहले पैरा खिलाड़ी होंगे। झाझड़िया राजस्थान के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह अवार्ड दिया जा रहा है। बता दें कि पिछले साल टोक्यो पैरालिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले देवेंद्र झाझड़िया एथेंस 2004 और रियो 2016 के पैरा ओलंपिक खेलों में देश के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।उन्होंने एथेंस पैरा ओलंपिक 2004 में स्वर्ण पदक जीता था। किसी भी एकल स्पर्धा में भारत के लिए पहला पैरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले चूरू के जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया को साल 2004 और साल 2016 में पैरा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद विभिन्न अवार्ड और पुरस्कार मिल चुके हैं।भारत सरकार द्वारा खेल उपलब्धियों के लिए देवेंद्र को खेल जगत का सर्वोच्च राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। इससे पूर्व उन्हें पद्मश्री पुरस्कार, स्पेशल स्पोर्ट्स अवार्ड 2004, अर्जुन अवार्ड 2005, राजस्थान खेल रत्न, महाराणा प्रताप पुरस्कार 2005, मेवाड़ फाउंडेशन के प्रतिष्ठित अरावली सम्मान 2009 सहित अनेक इनाम-इकराम मिल चुके हैं। वे खेलों से जुड़ी विभिन्न समितियों के सदस्य रह चुके हैं। साधारण परिवार में हुआ था जन्मदेवेंद्र का जन्म चूरू के सादुलपुर के एक साधारण किसान दंपती रामसिंह और जीवणी देवी के आंगन में 10 जून 1981 को हुआ था। देवेंद्र ने सुविधाहीन परिवेश और विपरीत परिस्थितियों को कभी अपने मार्ग की बाधा बनने नहीं दिया। गांव के जोहड़ में एकलव्य की तरह लक्ष्य को समर्पित देवेंद्र ने लकड़ी का भाला बनाकर खुद ही अभ्यास शुरू कर दिया।स्कूल से की भाला फेंकने की शुरुआत1995 में स्कूली प्रतियोगिता से उन्होंने भाला फेंकने की शुरूआत की। कॉलेज में पढ़ते वक्त बंगलौर में राष्ट्रीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक जीतने के बाद तो देवेंद्र ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1999 में राष्ट्रीय स्तर पर जेवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक जीतना देवेंद्र के लिए बड़ी उपलब्धि थी। इस तरह उपलब्धियों का सिलसिला चल पड़ा पर वास्तव में देवेंद्र के ओलंपिक स्वप्न की शुरुआत हुई। बनाया विश्व रिकॉर्ड2002 के बुसान एशियाड में देवेंद्र ने स्वर्ण पदक जीता। साल 2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और ट्रिपल जंप तीनों स्पर्धाओं में सोने के पदक अपनी झोली में डाले। देश के खेल इतिहास में देवेंद्र का नाम उस दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा गया, जब उन्होंने 2004 के एथेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।इन खेलों में देवेंद्र द्वारा 62.15 मीटर दूर तक भाला फेंक कर बनाया गया। विश्व रिकॉर्ड स्वयं देवेंद्र ने ही रियो में 63.97 मीटर भाला फेंककर तोड़ा। बाद में देवेंद्र ने साल 2006 में मलेशिया पैरा एशियन गेम में स्वर्ण पदक जीता। साल 2007 में ताईवान में अयोजित पैरा वर्ल्ड गेम में स्वर्ण पदक जीता और वर्ष 2013 में लियोन (फ्रांस) में हुई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला।