बिज़नेस / देश का राजकोषीय घाटा 8 साल के निचले स्तर 2.7 लाख करोड़ रुपए पर पंहुचा

भारत का राजकोषीय घाटा 2021-22 की पहली तिमाही में ₹2.74 लाख करोड़ तक सीमित हो गया, या एक साल पहले की अवधि में ₹6.62 लाख करोड़ से 58% कम। लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों से पता चला है कि प्राप्तियां ₹ 5.47 लाख करोड़ थी, जबकि तिमाही में कुल खर्च ₹ 8.21 लाख करोड़ था। शुद्ध कर प्राप्तियां तीन गुना बढ़कर ₹4.12 लाख करोड़ हो गईं।

Vikrant Shekhawat : Jul 31, 2021, 03:07 PM
नयी दिल्ली: महालेख नियंत्रक (सीजीए) द्वारी जारी आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा इस साल जून महीने के अंत में 2.74 लाख करोड़ रुपए रहा। यह पूरे साल के लिए बजट में अनुमानित घाटे का 18.2 प्रतिशत है।

जून, 2020 की समाप्ति पर राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमानों का 83.2 प्रतिशत पहुंच गया था। समग्र रूप में इस बार जून के अंत में राजकोषीय घाटा 2,74,245 करोड़ रुपए था।

सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 की समाप्ति पर राजकोषीय घाटा 15,06,812 करोड़ रुपए या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.8 प्रतिशत रहेगा।

वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा या व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3 प्रतिशत था। यह फरवरी में पेश किए बजट के संशोधित बजट अनुमान के 9.5 प्रतिशत से कम रहा जो राजकोषीय स्थिति में सुधार का परिणाम है।

सीजीए के आंकड़े के मुताबिक केंद्र की कुल प्राप्तियां जून, 2021 के अंत तक 5.47 लाख करोड़ रुपए रहीं जो 2021-22 के बजट में कुल प्राप्ति के अनुमान का 27.7 प्रतिशत है। इसमें 4.12 लाख करोड़ रुपए कर राजस्व (केंद्र का शद्ध हिस्सा), 1.27 लाख करोड़ रुपए का गैर कर राजस्व और 7,402 करोड़ रुपए का गैर रिण पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं। गैर रिण पूंजीगत राजस्व में 3,406 करोड़ रुपए रिण की वसूली और 3,996 करोड़ रुपए की विनिवेश आय के हैं।

पिछले वित्त वर्ष (2020-21) की इसी अवधि के दौरान प्राप्तियां बजट अनुमान का 6.8 प्रतिशत थीं।

सीजीए की रिपोर्ट के अनुसार जून तक सरकार ने करों में राज्यों को हिस्से के रूप में 1,17,524 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए। इस दौरान केंद्र का कुल व्यय 8.21 लाख करोड़ रुपए (बजट अनुमानों का 23.6 प्रतिशत) रहा। जिसमें से 7.10 लाख करोड़ रुपए राजस्व खाते और 1.11 करोड़ रुपए पूंजी खाते से व्यय किया गया है।