Assembly Election 2024: भारत में चुनावों का मौसम फिर से दस्तक दे रहा है, और आज चुनाव आयोग महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा करने वाला है। आयोग ने यह जानकारी एक आधिकारिक बयान में दी है। इस बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के संबंध में बीजेपी को पहले ही जानकारी मिल गई थी।
जेएमएम का आरोप: चुनाव आयोग पर बीजेपी का प्रभाव?
जेएमएम के नेता मनोज पांडे ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेताओं को चुनाव आयोग की योजनाओं के बारे में पूर्व सूचना थी। उन्होंने कहा, “हम चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, लेकिन जब चुनाव की घोषणा होने वाली है और बीजेपी नेताओं को इसके बारे में पहले ही पता होता है, तो यह गंभीर सवाल उठाता है। क्या चुनाव आयोग बीजेपी के इशारों पर काम करता है?” पांडे ने हिमंत बिस्वा सरमा के बयान का हवाला देते हुए कहा कि यह स्थिति आयोग को कठपुतली बनाने जैसा है।जेएमएम ने यह भी कहा कि झारखंड के चुनाव एक महीने पहले हो रहे हैं, और उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या चुनाव आयोग इस विषय पर कुछ कहेगा?” यह आरोप राजनीति में चुनावी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
कांग्रेस का भी है विरोध
झारखंड कांग्रेस के प्रमुख राजेश ठाकुर ने भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग कोई निर्णय लेता है, तो उसे कठघरे में खड़ा किया जाता है। ठाकुर ने यह भी बताया कि चुनाव की आखिरी तारीख 6 जनवरी है, और जब हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखें तय की गई थीं, तो उन्हें एक साथ क्यों नहीं आयोजित किया गया? उन्होंने इसे राजनीतिक कारणों से जोड़ा और कहा कि अगर आयोग उनकी बात नहीं सुनता है, तो ऐसा लगता है कि वह किसी विशेष पार्टी के प्रभाव में हैं।
निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद
कांग्रेस नेता उदित राज ने झारखंड और महाराष्ट्र में निष्पक्ष चुनावों की उम्मीद व्यक्त की। उन्होंने हरियाणा में हुए पिछले चुनावों की तुलना करते हुए कहा, “हरियाणा में निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए और लोकतंत्र की हत्या हुई। मुझे उम्मीद है कि झारखंड और महाराष्ट्र में ऐसा नहीं होगा।”
पिछली बार का चुनावी इतिहास
झारखंड विधानसभा में 81 सीटें हैं, और इसका कार्यकाल 2025 में समाप्त होगा। पिछली बार, चुनाव आयोग ने झारखंड में पांच चरणों में चुनाव कराए थे, जिसमें 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच वोटिंग हुई थी। इसके बाद, परिणामों की घोषणा 23 दिसंबर को की गई थी।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों की तैयारी में राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। चुनाव आयोग की घोषणा का इंतजार सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण है, और इसके साथ ही चुनावी निष्पक्षता को लेकर उठ रहे सवाल भी आगे बढ़ेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इन आरोपों का कैसे जवाब देता है और क्या यह चुनावी प्रक्रिया पर कोई प्रभाव डालेगा।