KC Tyagi News / केसी त्यागी का JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा, राजीव रंजन को सौंपी गई कमान

JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने निजी कारणों से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह अब राजीव रंजन प्रसाद को नियुक्त किया गया है। त्यागी के इस्तीफे के पीछे उनके बयानों और पार्टी के भीतर उत्पन्न मतभेद भी माने जा रहे हैं। पार्टी महासचिव आफाक अहमद खान ने यह जानकारी दी।

Vikrant Shekhawat : Sep 01, 2024, 11:40 AM
KC Tyagi News: जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से केसी त्यागी ने निजी कारणों से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह अब राजीव रंजन प्रसाद को नियुक्त किया गया है। पार्टी महासचिव आफाक अहमद खान ने यह जानकारी दी। त्यागी की इस्तीफे की वजह उनके विवादास्पद बयानों और पार्टी के भीतर उत्पन्न मतभेद हो सकते हैं। खासकर, विदेश नीति पर उनके बयानों ने जेडीयू नेतृत्व को असहज किया। नए प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद अब पार्टी के आधिकारिक संदेश को आगे बढ़ाएंगे।

विशेष सलाहकार भी नियुक्त किया

बयान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राजीव रंजन प्रसाद को पार्टी का नया राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया है। जेडीयू के अनुभवी नेता त्यागी को मई 2023 में राष्ट्रीय प्रवक्ता के साथ ही विशेष सलाहकार नियुक्त किया गया था। उनकी इस नियुक्ति के संबंध में जारी बयान में कहा गया था कि त्यागी के संगठनात्मक अनुभव का लाभ उठाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री एवं पार्टी के प्रमुख नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का विशेष सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया है।

"बयानों के कारण मतभेद शामिल"

हालांकि, केसी त्यागी के इस्तीफे के पीछे कई और वजह भी हो सकती है, जिनमें उनके बयानों के कारण पार्टी के भीतर और बाहर उत्पन्न मतभेद शामिल हैं। केसी त्यागी, जेडीयू के एक लंबे समय से प्रमुख चेहरा रहे हैं। उन्होंने पिछले कुछ समय में कई ऐसे बयान दिए जो पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग थे। उन्होंने कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व या अन्य वरिष्ठ नेताओं से परामर्श किए बिना बयान जारी किए। इस कारण पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति दिखने लगी, जो धीरे-धीरे गंभीर हो गई।

केसी त्यागी के बयानों की वजह से एनडीए के भीतर भी मतभेद की खबरें सामने आईं। खासकर विदेश नीति के मुद्दे पर उन्होंने इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ सुर मिलाते हुए इजराइल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए एक शेयर बयान पर हस्ताक्षर कर दिए। यह कदम जेडीयू नेतृत्व को असहज करने वाला था। इसके कारण पार्टी के भीतर और बाहर विवाद बढ़ गया।