Vikrant Shekhawat : Dec 10, 2024, 01:09 PM
Jagdeep Dhankhar News: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। कांग्रेस के नेतृत्व में बने इंडिया ब्लॉक ने सभापति पर पक्षपातपूर्ण और 'पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली' का गंभीर आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ सदन की कार्यवाही के दौरान हमेशा सत्ता पक्ष के पक्ष में खड़े होते हैं और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास करते हैं। यह प्रस्ताव सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ते टकराव का नया संकेत बनकर उभरा है।अविश्वास प्रस्ताव के पीछे क्या कारण हैं?विपक्ष के आरोप हैं कि सभापति अपनी भूमिका में निष्पक्ष नहीं रह पाए हैं। उन्होंने कई बार सत्ता पक्ष के खिलाफ उठने वाली विपक्षी आवाजों को दबाया है, जिससे सदन की कार्यवाही के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होती है। विपक्षी दलों का कहना है कि जब भी कोई महत्वपूर्ण मुद्दा उठता है या सरकार के खिलाफ सवाल पूछा जाता है, तो धनखड़ सदन में उन मुद्दों को दबाने की कोशिश करते हैं। इससे सदन का लोकतांत्रिक स्वरूप और विपक्ष की भूमिका कमजोर होती है।विपक्ष का एकजुट होकर हस्ताक्षर करनाइस प्रस्ताव को पेश करने के लिए विपक्ष को कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता थी। विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि उन्होंने सोमवार (कल) ही इन हस्ताक्षरों को एकत्रित कर लिया था। तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), समाजवादी पार्टी (SP) समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।यह अविश्वास प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत पेश किया गया है, जो राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है। इस तरह के प्रस्ताव के जरिए विपक्ष यह साबित करना चाहता है कि वे राज्यसभा में अपनी लोकतांत्रिक भूमिका को सही तरीके से निभाने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि सभापति सत्ता पक्ष के पक्ष में लगातार कार्य कर रहे हैं।राज्यसभा के इतिहास में पहला अविश्वास प्रस्तावजगदीप धनखड़ के खिलाफ पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव राज्यसभा के इतिहास में पहला ऐसा प्रस्ताव है। इससे पहले भी विपक्षी दलों ने कई बार अपनी चिंताएं जाहिर की थीं, लेकिन तब तक किसी प्रस्ताव पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था। अब जब यह प्रस्ताव पेश किया गया है, तो यह राज्यसभा में एक नई राजनीतिक दिशा का संकेत देता है, जिससे आगामी सत्रों में शीत युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है।विपक्ष का तर्क और सत्ता पक्ष का जवाबविपक्ष का कहना है कि राज्यसभा के सभापति का यह कर्तव्य है कि वह सदन की कार्यवाही को निष्पक्ष रूप से चलाएं, लेकिन अगर वही पक्षपाती हो जाए, तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना होती है। इस पर सत्ता पक्ष का कहना है कि धनखड़ ने हमेशा सदन में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश की है और उनका किसी पक्ष में कोई पक्षपाती रवैया नहीं रहा है।आगे की राहअब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अविश्वास प्रस्ताव पर राज्यसभा में क्या प्रतिक्रिया होती है और क्या कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। विपक्ष के इस कदम को राजनीतिक रूप से एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, जिससे आगामी सत्रों में राजनीति के समीकरण बदल सकते हैं।निष्कर्षराज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव केवल एक संवैधानिक कदम नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ती तल्खी का संकेत भी है। इससे यह साफ होता है कि विपक्ष को लगता है कि उनके प्रति न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं किया जा रहा है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि सभापति ने सदन में अनुशासन बनाए रखने का काम किया है। अब देखना होगा कि इस प्रस्ताव का क्या असर होता है और क्या इसे गंभीरता से लिया जाता है।