राजा मान सिंह एनकाउंटर केस / 35 साल बाद सजा; मथुरा कोर्ट ने डीएसपी समेत 11 पुलिसवालों को उम्र कैद दी, मान सिंह की बेटी बोलीं- देर से सही पर न्याय मिला

राजस्थान के राजा मान सिंह एनकाउंटर केस में आखिरकार 35 साल बाद दोषियों को सजा सुना दी गई। मथुरा के जिला जज ने दोषी डीएसपी कान सिंह भाटी समेत 11 पुलिसवालों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। 21 फरवरी 1985 को भरतपुर के राजा मानसिंह का राजस्थान के डीग में एनकाउंटर कर दिया गया था। 1990 में यह मामला राजस्थान से बाहर मथुरा में ट्रांसफर कर दिया गया था।

Vikrant Shekhawat : Jul 23, 2020, 08:18 AM

राजस्थान के राजा मान सिंह एनकाउंटर केस में आखिरकार 35 साल बाद दोषियों को सजा सुना दी गई। मथुरा के जिला जज ने दोषी डीएसपी कान सिंह भाटी समेत 11 पुलिसवालों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। 21 फरवरी 1985 को भरतपुर के राजा मानसिंह का राजस्थान के डीग में एनकाउंटर कर दिया गया था। 1990 में यह मामला राजस्थान से बाहर मथुरा में ट्रांसफर कर दिया गया था।

फैसला आने के बाद मान सिंह की बेटी दीपा सिंह ने कहा कि देर से सही मिला पर न्याय सही मिला। दोषियों के वकील ने कहा है कि हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इस मामले में 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से 3 को बरी कर दिया गया है।

जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में मंगलवार को 11 आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ था। तीन लोगों को बरी कर दिया गया था। बुधवार को डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवा राम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एसआई रवि शेखर को उम्र कैद की सजा सुनाई गई और 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया।

मान सिंह एनकाउंटर की कहानी

राजस्थान के इस चर्चित एनकाउंटर की कहानी 20 फरवरी 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की डीग में हुई सभा से शुरू हुई थी। इस दिन डीग में माथुर की जनसभा थी। माथुर के सामने डीग से राज मान सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। बताते हैं कि माथुर के समर्थक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने डीग के किले पर लगा झंडा उतारकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था। 

इस हरकत से मानसिंह खफा हो गए और अपनी जीप से माथुर की सभा में जा पहुंचे। माथुर जिस हेलिकॉप्टर से आए थे, मान सिंह ने उसे अपनी जीप से टक्कर मार दी। इस मामले में मान सिंह के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कर लिया गया। अगले ही दिन डीएसपी कान सिंह ने डीग के बाजार में राजा मान सिंह को रुकने का इशारा किया। लेकिन, मान सिंह अपनी जीप बैक करने लगे। इसी दौरान पुलिसवालों ने फायरिंग कर दी। 

फायरिंग में राजा मानसिंह, उनके साथी सुमेर सिंह व हरि सिंह की मौत हो गई थी। इस एनकाउंटर के बाद मान सिंह के दामाद विजय सिंह ने डीग थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 28 फरवरी 1985 को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने 14 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जयपुर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। 1990 में इस मामले को राजस्थान के बाहर मथुरा कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया।

एनकाउंटर के बाद सीएम को देना पड़ा था इस्तीफा
राजा मानसिंह के एनकाउंटर के बाद राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को इस्तीफा देना पड़ा था। भरतपुर जिले में यह पहला ऐसा मामला था, जिसकी जांच सीबीआई ने की थी। इतना ही नहीं, इस मुकदमे की सुनवाई के लिए राजस्थान सरकार ने राजा मानसिंह हत्याकांड के नाम से स्पेशल कोर्ट बनाई थी। लेकिन 3 साल के बाद इस कोर्ट से मुकदमा उत्तर प्रदेश के मथुरा में ट्रांसफर हो गया।

1952 में पहली बार विधायक चुने गए थे मान सिंह
राजा मानसिंह का जन्म 5 दिसंबर, 1921 को भरतपुर रियासत में हुआ था। सन 1928-42 तक उन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की। वे चार भाई महाराजा ब्रजेंद्र सिंह, राजा मान सिंह, गिरेन्द्र सिंह और गिर्राज सरन सिंह (बच्चू सिंह) थे। वर्ष 1946-47 में वे भरतपुर रियासत के मंत्री बने। 1952 में पहली बार हुए चुनाव में निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद 1984 तक लगातार सात बार निर्दलीय विधायक रहे।

कबाड़ हो गए सबूत
राजा मानसिंह को वेपंस करियर यानी जोंगा खासा पसंद था। वे इसी में सवारी करते थे। घटना के बाद पुलिस ने इसे जब्त किया था। मालखाने में यह जोंगा, अब कबाड़ में तब्दील हो गया है।