Rajasthan Politics / बिजली बिल माफी, अपराध, किसान कर्जमाफी, कोरोना सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन करेगी भाजपा

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में बिजली के बढ़े हुए बिलों के सवाल के जवाब में कहा कि राजस्थान के 1 करोड़ 42 लाख उपभोक्ता परेशान हैं, जिसमें सामान्य एवं औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ता शामिल हैं और किसान भी बढ़ी हुई बिजली दरों से परेशान हैं। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में विरोध—प्रदर्शन करेगी।

Vikrant Shekhawat : Aug 25, 2020, 10:55 PM
  • बिजली की बढ़ी दरों से प्रदेश का आमजन एवं किसान परेशान, तीन महीने के बिजली के बिल माफ करे राज्य सरकार
  • प्रदेश के किसानों की सम्पूर्ण कर्जमाफी हो, टिड्डी से फसलों को हुए नुकसान का किसानों को मिले उचित मुआवजा
  • गौशालाओं को मजबूती देने के लिए राज्य सरकार को देना चाहिए अनुदान
  • बीजेपी करेगी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में विरोध—प्रदर्शन

जयपुर | भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में बिजली के बढ़े हुए बिलों के सवाल के जवाब में कहा कि राजस्थान के 1 करोड़ 42 लाख उपभोक्ता परेशान हैं, जिसमें सामान्य एवं औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ता शामिल हैं और किसान भी बढ़ी हुई बिजली दरों से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि एक मोटा अनुमान लगाये तो पिछले दिनों इस लाॅकडाउन में राज्य सरकार ने उन बिलों को डेफर तो किया था, लेकिन जनता की मांग थी कि 3 महीने के बिजली के बिल माफ किये जायें और सरकार ने बिजली माफ करने से मना करते हुए कहा कि अगर हम ऐसा करते हैं तो हम पर बड़ा भार बढ़ेगा। 
डाॅ. पूनियां ने कहा कि कोरोना काल में बिजली की चोट पड़ने के साथ ही आमजन ने स्कूलों की फीस माफी का मुद्दा भी उठाया था, ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस पर गम्भीरता से विचार कर उचित फैसला करे। उन्होंने कहा कि हम लोग अपेक्षा कर रहे थे कि बिजली बिलों की विसंगतियाँ एवं बढ़ी दरों को लेकर सदन में चर्चा होगी, सरकार इस पर आश्वस्त करेगी, लेकिन सरकार अनेकों बहाने बनाकर इससे बचती रही। उन्होंने कहा कि कोई भी लोककल्याणकारी सरकार ऐसे जनहित के मुद्दों पर कोई ना कोई समाधान करती है, लेकिन कांग्रेस सरकार का जनता से कोई सरोकार नहीं।
इस समय यक्ष प्रश्न यही है कि ये बिजली के बिल किस तरीके से माफ हों, कोरोना काल के दौरान बहुत छोटी से छोटी दुकान भी बंद थीं, औद्योगिक इकाईयाँ पूरे तरीके से भी बंद थीं, किसानों पर टिड्डी की मार पड़ी, कुल मिलाकर अभी राजस्थान की जनता के समक्ष जो तत्काल समाधान का मुद्दा है वो 3 महीने के बिजली बिल माफी का है और टिड्डी से हुए फसलों के नुकसान का किसानों को उचित समय में मुआवजा दिया जाये। 
डाॅ. पूनियां ने कहा कि भाजपा 28 अगस्त को प्रदेशभर के सभी जीएसएस पर धरना देगी, 31 अगस्त को प्रदेशभर के सभी उपखण्ड केन्द्रों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे एवं ज्ञापन देंगे और 02 सितम्बर को हमारे सभी सांसद, विधायक एवं जनप्रतिनिधि कलेक्टरों को बिजली बिल माफी, बढ़ते अपराध, सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी, कोरोना कु-प्रबंधन सहित विभिन्न जनहित के मुद्दों से कांग्रेस सरकार को अवगत करायेगी। उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कोविड की एडवाइजरी का पालन करते हुए मर्यादित तरीके से धरना-प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की बात कही। विपक्ष में रहते हुए हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि जनहित के मुद्दों पर सरकार को समय-समय पर चेताते रहे, इसी के मद्देनजर हम धरना-प्रदर्शन करेंगे। 
अनुशासन समिति द्वारा चारों विधायकों के प्रकरण के सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि उनकी अनुपस्थिति यह तो सबको पता है कि ऐसे अवसर पर अनुपस्थिति, लापरवाही साफ तौर पर थी, उसकी चर्चा हुई है। नेता प्रतिपक्ष और मैंने चारों विधायकों से बात की है, उन्होंने अपना पक्ष रखा है। लेकिन हमें उसमें कुछ और इन्वेस्टिगेशन की आवश्यकता है, जिसको हम कर रहे हैं।
इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन यह बात निश्चित है कि हम लोगों ने उनसे बातचीत की है, उन लोगों ने अपना पक्ष रखा है, इस बारे में हम केन्द्र को अवगत करायेंगे, केन्द्र जैसा निर्देश देगा वैसा हम करेंगे। 
सरकार द्वारा गौशालाओं पर सैस लगाकर इकट्ठे किये गये टैक्स राशि के सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि यह एक छोटा सा उदाहरण है सरकार के वित्तीय कु-प्रबंधन का। मतलब एक तरफ तो आप पेट्रोल-डीजल की बढ़ोतरी की बात करते हैं, लेकिन दूसरे राज्यों के मुकाबले अपने राज्य के वैट को नहीं देखते हैं, राजस्थान में इस वजह से पेट्रोल-डीजल महंगा है। अनेकों मदों को लेकर राज्य सरकार के मिस मैनेजमेंट का बड़ा उदाहरण है, जिस पर सदन में लम्बी चर्चा की जरूरत है, मद किसी कार्य के लिए है और खर्च किसी अन्य कार्य में किया जा रहा है, ऐसे तमाम मामले हैं।
 उन्होंने कहा कि अभी पंतायतीराज को एफएफसी का पैसा देना चाहिए था अभी तक ट्राँसफर नहीं हुआ है। ऐसे बहुत सारे मुद्दे-मसले हैं जिसके आधार पर फाइनेंशियल मामले में सरकार का मैनेजमेंट बहुत कमजोर है। मद किसी का था, खर्चा किसी में किया, मार किसी पर पड़ी, ये सरकार के वित्तीय कु-प्रबंधन का एक नतीजा है। 
गौशालाओं को दिये जाने वाले फण्ड को कोविड में मर्ज किये जाने वाले सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि देखिये पहली बार तो यह बात स्पष्ट है कि यदि थोड़ी-सी पृष्ठभूमि में जायें तो कांग्रेस ने उत्पात मचाया गवर्नर हाउस के भीतर, कि हमें कोविड पर चर्चा करनी है, इसलिए सदन को आहूत किया जाये। सदन को आहूत करने की  कोविड के बारे में ही प्राथमिक चर्चा करने की थी, लेकिन सरकार को फ्लोर पर अपना बहुमत साबित करना था, जो उन्होंने कर दिया। लेकिन कोविड की चर्चा बहुत बाद में हुई, जो कि बहुत ही सीमित-सी हुई। लेकिन इसके अलावा उम्मीद यह थी कि सरकार लम्बा सदन चलायेगी, प्रदेश के समक्ष बिजली, पानी, टिड्डी, अपराध, बेरोजगारी इस तरीके के बहुत सारे ज्वलंत मसले हैं, जिन पर चर्चा करना आवश्यक था और है। 
उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता जनहित के मुद्दों के समाधान की उम्मीद करती है, हमने सदन में स्पीकर महोदय से आग्रह भी किया और सैद्धांतिक रूप से उन्होंने कहा भी यह चर्चा होनी चाहिए थी और चर्चा करवाने की कोशिश करेंगे, लेकिन जिस तरीके से सरकार को बिल लाने की जल्दी थी, एक-एक दिन में दर्जनों बिल लाये गये, उन बिल पर यदि सार्थक चर्चा होती तो सम्भव है कोई और उसमें सकारात्मक संशोधन आते, इसका लाभ मिलता।
जहाँ तक गौशालाओं के अनुदान की बात है यह बात ठीक है कि कोविड की महामारी है, इसमें बहुत सारे मदों को इधर-उधर किया गया। सांसदों के मद भी, विधायक के कोष की राशि भी और इस तरीके से अनन्य जो डीएमएफटी से लेकर तमाम मदों को कोविड के लिए डेडिकेट किया है। लेकिन यह बात भी सत्य है कि इस पूरे कालखण्ड में गौवंश को भी एक बड़ी चुनौती थी और धीरे-धीरे जिस तरीके से किसानों ने अपनी प्रेरणा से पंचायत स्तर तक सरकार ने तो नंदीशालाओं की घोषणा की, जो आज तक एक्जीक्यूट नहीं हुई और गौशालाएं भी अनुदान से चलती हैं।
उनमें केन्द्र और राज्य की सरकारें समय-समय पर अनुदान देती हैं, पिछले दिनों काफी अरसे से पंचायत स्तर पर गाँवों के लोगों ने गौशालाओं के निर्माण करवाये, उनको अनुदान से सम्बल मिलता था। यह आवश्यक था कि ऐसे मौके पर जब व्यापारी गतिविधियां ठप थीं, ऐसे समय में सरकार को गौशालाओं को अनुदान देना चाहिए था, उनको मजबूती देनी चाहिए थी, अभी भी मेरी तो यह मांग रहेगी कि जिस तरीके से हमें रिप्रजेंटेशन मिलते हैं, खासतौर पर उनके चारे के लिए सरकार उदारता से उसमें कोई ना कोई व्यवस्था करे। बाकि बिलों पर भी सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए थी, जो नहीं हुई। 
मोर्चा एवं प्रकोष्ठों के गठन को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि हाँ यह सब प्रक्रिया चल रही है। भौगोलिक, सामाजिक सभी बिन्दुओं का ध्यान रखते हुए मोर्चा एवं प्रकोष्ठों की घोषणा आगामी दिनों में की जायेगी। 
घनश्याम तिवाड़ी, मानवेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र गोयल सहित कई नेताओं की भाजपा में वापसी को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। समय और परिस्थिति के अनुसार पार्टी को जो उचित लगेगा, वो फैसला लिया जाएगा।
जयपुर सहित प्रदेशभर के विभिन्न शहरों एवं कस्बों में बारिश के दौरान सड़कों पर जगह-जगह गड्ढ़े, पानी निकासी की अव्यवस्था और रास्तों में मिट्टी का जमा हो जाना इन मुद्दों को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि पहली बात तो बारिश से विकास कार्यों की गुणवत्ता की हकीकत सामने आती है, गुणवत्ताा में कमी है तो पोल भी खुलकर सामने आ जाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर आग्रह करूंगा कि वर्षा जल के संचय एवं व्यवस्थित पानी निकासी के लिए देश के सभी शहरों एवं गाँवों को लेकर कोई योजना बने। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और नगर निकायों को वर्षा जल के संचय और पानी निकासी के लिए ठोस कार्य योजना पर काम करने की आवश्यकता है।
राहुल गाँधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने को लेकर पूछे गये पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि मीडिया माध्यमों से पता चला है कि कांग्रेस लम्बे समय से गैर-कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश कर रही है। अब यह बात भी सामने आ रही है कि राहुल गाँधी का नाम भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चल रहा है, अगर वो कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो देश के लोगों का अच्छा मनोरंजन होगा।
विधानसभा में राजेन्द्र राठौड़ के खिलाफ प्रस्ताव को लेकर पत्रकार द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि उसके बाद में बात हुई थी और विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार किया कि कुछ गलतफहमियाँ हुई, संसदीय परम्परा के अनुसार ऐसा नहीं होना चाहिए था।