Vikrant Shekhawat : Dec 30, 2024, 06:00 AM
Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी नवीनतम "बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति रिपोर्ट 2023-24" में निजी क्षेत्र के बैंकों में कर्मचारियों के नौकरी बदलने की दर में उल्लेखनीय वृद्धि पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, निजी बैंकों और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) में नौकरी छोड़ने की दर औसतन 25 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह स्थिति न केवल परिचालन के लिए जोखिमपूर्ण है, बल्कि ग्राहक सेवा, संस्थागत ज्ञान और भर्ती लागत जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी प्रभावित करती है।
बढ़ती प्रवृत्ति और उसका प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंकों में कर्मचारियों की संख्या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। लेकिन पिछले तीन वर्षों में इन बैंकों में नौकरी बदलने की प्रवृत्ति में तेज वृद्धि ने कई चुनौतियां खड़ी की हैं।- ग्राहक सेवा में बाधा: जब अनुभवशील कर्मचारी नौकरी छोड़ते हैं, तो ग्राहक सेवा में व्यवधान आ सकता है।
- संस्थागत ज्ञान की हानि: अनुभवी कर्मचारियों के जाने से बैंक के संचालन और प्रक्रिया से संबंधित ज्ञान का नुकसान होता है।
- भर्ती लागत में वृद्धि: बार-बार भर्ती करना न केवल समय लेने वाला है, बल्कि वित्तीय रूप से भी चुनौतीपूर्ण है।
आरबीआई की सिफारिशें
आरबीआई ने बैंकों को कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए इसे "मानव संसाधन" से आगे बढ़कर एक रणनीतिक आवश्यकता के रूप में देखने की सलाह दी है। इस समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं:- दीर्घकालिक कर्मचारी जुड़ाव: कर्मचारियों के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
- प्रशिक्षण और विकास के अवसर: व्यापक प्रशिक्षण और करियर विकास कार्यक्रम कर्मचारियों की संतुष्टि और प्रतिबद्धता को बढ़ा सकते हैं।
- प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और संरक्षण योजनाएं: कर्मचारियों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए बेहतर लाभ और संरक्षण योजनाएं जरूरी हैं।
- सहायक कार्यस्थल संस्कृति: कर्मचारियों को ऐसा माहौल प्रदान करना चाहिए, जहां वे अपने कार्य में संतुष्टि महसूस करें।