Vikrant Shekhawat : May 07, 2024, 01:35 PM
Arvind Kejriwal News: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ को ईडी की ओर से पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की ओर से एक नोट दिया गया जिसमें उन्होंने केजरीवाल की इस दलील का विरोध किया कि जांच एजेंसी ने सरकारी गवाहों के बयानों को दबाया है। कोर्ट ने ईडी से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले पर पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले और बाद की केस फाइलों को पेश करने को कहा। कोर्ट ने ईडी से केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की केस फाइल भी मांगी है।ED की तरफ से ASG राजू ने दी दलीलसुनवाई के दौरान ED की तरफ से ASG एसवी राजू ने पहले बोलना शुरू किया। एसवी राजू ने कहा कि इस मामले में हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से 100 करोड़ रुपये का नकद लेनदेन हुआ था। कोर्ट ने ASG राजू से पूछा कि सौ करोड़ रुपए की रिश्वत दो सालों में 1100 करोड़ रुपए कैसे हो गई? इस पर राजू ने कहा कि इससे शराब कंपनियों ने 900 करोड़ का मुनाफा कमाया। ASG राजू ने बताया कि तथ्यात्मक रूप से बयानों में कोई विरोधाभास नहीं है। उन्हें याचिकाकर्ता के पक्ष में नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिया गया बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दिया गया एक स्वतंत्र बयान होता है। जस्टिस संजीव खन्ना ने ईडी से पूछा कि इस मामले में सबसे पहले किसी सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी कब हुई थी। इस पर राजू ने कहा कि पहली गिरफ्तारी 9 मार्च को हुई थी। कोर्ट ने कहा- 2 सालों से चल रही जांच, ये ठीक नहींजस्टिस संजीव खन्ना ने ईडी के वकील ASG राजू की दलीलों पर सवाल किया कि जिन बयानों के हवाले से आप जो कह रहे हैं वो संभवत: आपकी कल्पना हो सकता है कि किकबैक दिया गया। इस पर ASG राजू ने कहा कि हम अपनी जांच को इन बयानों के आधार पर आगे बढ़ा रहे हैं। हमे उसमें कामयाबी भी मिल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने ED से केस की फाइल मांगी। इसके साथ ही ECIR रजिस्टर होने शरद शेट्टी की गिरफ्तारी और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले और गिरफ्तारी के बाद के दस्तावेज भी मांगे। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की फाइल भी ED से मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की 2 सालों से जांच चल रही है। ये किसी भी जांच एजेंसी के लिए सही नहीं है कि 2 सालों तक इस तरह जांच चले।केजरीवाल ने की 100 करोड़ की मांगजस्टिस संजीव खन्ना ने ईडी से पूछा कि क्या राजनीतिक कार्यकारिणी भी नीति बनाने में शामिल थी? कोर्ट ने कहा कि हमारी चर्चा का दायरा ईडी की धारा 19 के कार्यान्वयन तक है। क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी में धारा 19 के प्रावधानों का पालन किया गया या नहीं! आप इस बारे में कोर्ट को बताएं। ASG राजू ने कहा कि हमें पता चला कि अरविंद केजरीवाल गोवा चुनाव के दौरान गोवा में एक 7 सितारा होटल में रुके थे। उनके खर्च का कुछ हिस्सा उस व्यक्ति ने चुकाया था जिसने नकद पैसे लिए थे। यह राजनीति से प्रेरित मामला नहीं है। ASG राजू ने कहा कि हम दिखा सकते हैं कि केजरीवाल ने 100 करोड़ की मांग की। शुरुआती चरण में केजरीवाल पर ध्यान केंद्रित नहीं था जांच एजेंसी उस पर ध्यान नहीं दे रही थी जांच आगे बढ़ी तो भूमिका स्पष्ट हो गई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को दोषमुक्त करने वाला एक भी बयान नहीं है। अगर हम शुरू में ही केजरीवाल के बारे में पूछना शुरू कर देते तो इसे दुर्भावना कहा जाता केस को समझने में समय लगता है बातों की पुष्टि करनी होती है।पहली बार कब लिया गया केजरीवाल का नामजस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि बयानों में केजरीवाल का नाम पहली बार कब लिया गया? इस पर ASG राजू ने कहा कि 23 फरवरी 2023 को बुची बाबू के बयान में पहली बार इनका नाम सामने आया। ASG राजू ने कहा कि किसी को यह मानने की जरूरत नहीं है कि गवाह ने जो कुछ भी जांच अधिकारी को जो बताया है वह जांच एजेंसी को गुमराह कर सकता है, इसलिए जांच इस तरह से नहीं होनी चाहिए कि हम पहले आरोपी तक पहुंचें। इसमें कई बाधाएं हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ED से कहा कि वो चार आरोपियों के बयान जो अरविंद के खिलाफ दिए गए थे। उनके नाम और तारीख के साथ हमें दें। सभी तथ्यों को देखा जाना चाहिए: कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने ED से बड़ा सवाल किया। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि यदि ऐसी सामग्री है जो दोषी की ओर इशारा करती है और अन्य जो दोषी ना होने की ओर इशारा करती है, तो क्या आप चुनिंदा रूप में कुछ सामग्री को ही ले सकते हैं? इस पर एसजी राजू ने कहा कि यह जांच अधिकारी पर निर्भर करता है। जस्टिस दत्ता ने कहा कि यह एक प्रशासनिक कार्य है? आपको दोनों में संतुलन बनाना होगा। एक भाग को बाहर नहीं कर सकते। आप एक व्यक्ति के जीने के अधिकार को छीन रहे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सभी तथ्यों को देखा जाना चाहिए। गिरफ्तारी का मानक बहुत ऊंचा होता है।राजनीतिक लोगों से अलग व्यवहार नहीं कर सकतेजस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि चुनाव का मौसम है, ये असाधारण स्थिति है, वो दिल्ली के CM हैं, इनके खिलाफ कोई केस नहीं हैं। जस्टिस संजीव खन्ना के बयान पर विरोध जताते हुए SG तुषार मेहता ने कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि क्या कोई सीएम है ऐसा नहीं हो सकता। क्या हम राजनेताओं के लिए अपवाद बना रहे हैं? क्या चुनाव के लिए प्रचार करना ज़्यादा महत्वपूर्ण होगा? जस्टिस खन्ना ने कहा कि यह अलग बात है। चुनाव 5 साल में एक बार होते हैं। हमें यह पसंद नहीं है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि राजनीतिक लोगों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता और हम इसपर सहमत हैं। ASG ने कहा कि लेकिन देखा जाए तो गिरफ्तारी सही थी। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आप देखिए, हम सर्वोच्च न्यायालय में हैं हम कह सकते हैं कि गिरफ्तारी सही थी और फिर भी अंतरिम जमानत दे सकते हैं और फिर खुद को सुधार सकते हैं।सबसे बड़ी अदालत से गलत संदेश नहीं जाना चाहिएSG तुषार मेहता ने कहा कि वो मेडिटेशन पर गए, 6 महीने तक समन टालते रहे, अगर पहले सहयोग करते तो हो सकता था कि गिरफ्तारी ही ना होती। SG तुषार मेहता ने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत से कोई गलत संदेश नहीं जाना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो ये दुर्भाग्यपूर्ण होगा। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि उन्हें यह कहने का हक है कि गिरफ्तारी चुनाव से ठीक पहले हुई थी। हम आपकी आपत्तियों को समझते हैं। SG मेहता ने कहा कि आप इसको अपवाद मत बनाइए। ये एक आम आदमी को हतोत्साहित करेंगे। यानी अगर आप CM हैं तो आपको अलग ट्रीटमेंट मिलेगा। अगर ऐसा हुआ तो देश का हर नागरिक जमानत मांगते हुए याचिका दाखिल करेगा।अरविंद केजरीवाल आदतन अपराधी नहीं: कोर्टजस्टिस खन्ना ने कहा कि 9 समन और 6 महीने तक वो जांच एजेंसी के पास पेश नहीं हुए हैं, वो भी हम रिकॉर्ड पर ले रहे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मान लीजिए अगर हम फैसला सुरक्षित रखते हैं वो हमें सुनाना होगा। लेकिन ये भी देखना होगा की ये पीरियड वापस नहीं होगा। हम असाधारण मामले में अंतरिम जमानत देते रहे हैं। अरविंद केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं। बता दें कि फिलहाल अब इस मामले में दोपहर 1 बजे सुनवाई होगी।क्या है मामलाबता दें कि केजरीवाल को इस मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को ईडी को नोटिस जारी किया था और केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरुद्ध उनकी याचिका पर जवाब मांगा था। दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं है और केजरीवाल के बार-बार समन की अवहेलना करने के बाद ईडी के पास बहुत कम विकल्प बचे हैं।