Rajasthan Elections / राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच गुर्जर वोटों के लिए तनातनी- कौन पड़ेगा भारी?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी द्वारा राजेश पायलट को लेकर दिए गए बयान पर बीजेपी को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अपनी हार से इतना बौखला चुके हैं कि उन्होंने स्वर्गीय राजेश पायलट को चुनाव का मुद्दा बना दिया. सीएम गहलोत ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि वे गुर्जर समाज को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं. बीजेपी राज में ही फायरिंग की 22 घटनाएं हुईं, जिसमें गुर्जर समाज के कई लोग मारे गए थे.

Vikrant Shekhawat : Nov 24, 2023, 08:00 AM
Rajasthan Elections: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी द्वारा राजेश पायलट को लेकर दिए गए बयान पर बीजेपी को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अपनी हार से इतना बौखला चुके हैं कि उन्होंने स्वर्गीय राजेश पायलट को चुनाव का मुद्दा बना दिया. सीएम गहलोत ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि वे गुर्जर समाज को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं. बीजेपी राज में ही फायरिंग की 22 घटनाएं हुईं, जिसमें गुर्जर समाज के कई लोग मारे गए थे. बीजेपी की सरकार तक चली गई और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो उन्हें भाईचारे और प्यार से समझाया, उन्हें आरक्षण दिया. आज ये गुर्जर समाज के बारे में किस मुंह से बात कर रहे हैं.

कांग्रेस और बीजेपी दोनों की नजर गुर्जर समुदाय के वोटों पर है, जिसके लिए एक दूसरे को गुर्जर विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिश की जा रही है. इतना ही नहीं यह दांव 9 फीसदी गुर्जर वोट को हासिल करने के मद्देनजर देखा जा रहा है, जो 2018 के चुनाव से पहले बीजेपी का कोर वोट बैंक रहा है. 2018 में सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर होने और मुख्यमंत्री बनने की संभावना के चलते गुर्जर समुदाय ने एकमुश्त कांग्रेस के पक्ष में वोट किया था, जिसका नतीजा था कि बीजेपी का एक भी गुर्जर विधायक नहीं बन सका था.

कांग्रेस की 2018 में राजस्थान की सत्ता में वापसी हुई तो मुख्यमंत्री का ताज पायलट के बजाय गहलोत के सिर सजा था. सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा था, लेकिन 2020 में उनके बागी रुख अपनाने के चलते डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद गंवाना पड़ गया था. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के चलते सचिन पायलट मान गए थे और गहलोत के साथ रिश्ते भी बेहतर हो गए हैं, लेकिन साढ़े चार सालों तक जिस तरह से उनके बीच मनमुटाव रहा है.

बीजेपी अब चुनावी मैदान में गहलोत और पायलट की अदावत को सियासत में भुनाने में जुट गई है और गुर्जरों को कांग्रेस विरोधी कठघरे में खड़े करके दोबारा से उनका विश्वास जीतने का दांव चल रही है. कांग्रेस ने गुर्जरों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए सचिन पायलट को आगे कर रखा है और उन्हें 2018 की तरह गुर्जर समुदाय के बीच प्रोजेक्ट कर रही है ताकि गुर्जरों की नाराजगी को दूर किया जा सके. इसीलिए पायलट से लेकर गहलोत तक गुर्जरों को बीजेपी राज में मिले जख्मों की याद दिला रही है.

9 फीसदी गुर्जर वोट और 50 सीटों पर दखल

राजस्थान में विधानसभा चुनाव में नजर 9 फीसदी गुर्जर वोट को साधने की है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की नजर गुर्जर समुदाय के वोटरों पर टिकी है. राजस्थान की 45 से 50 सीटों पर गुर्जर जातियों का प्रभाव माना जाता है. सूबे के 15 जिलों में गुर्जर समाज का दबदबा है. भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, टोंक, दौसा, कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी, झालावाड, बांरा, भीलवाडा, अजमेर और झुंझुनू जिलों को गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. इन जिलों की 20-22 सीटों पर गुर्जर खुद ही जीतने की छमता रखते हैं या फिर दूसरे को जिताने का ताकत में है.

क्या कहते हैं 2018 के चुनावी आंकड़े?

2018 के विधानसभा चुनाव में गुर्जर समुदाय से कुल 8 विधायक जीते थे, जिसमें 7 कांग्रेस के टिकट पर तो एक प्रत्याशी जोगिंदर सिंह अवाना बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीतकर विधानसभा का सदस्य बने. सभी बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कर लेने के बाद विधानसभा में गुर्जर समाज के 8 विधायक हो गए. बीजेपी का एक भी गुर्जर प्रत्याशी विधायक नहीं बन सका था. 2018 के विधानसभा चुनावमें बीजेपी ने 9 गुर्जर समुदाय के लोगों को प्रत्याशी और कांग्रेस ने 12 गुर्जर समाज के प्रत्याशियों को टिकट दिया था. इस बार बीजेपी ने 10 गुर्जर प्रत्याशी दिए हैं तो कांग्रेस ने 11 गुर्जर को टिकट दे रखा है.

2018 में गुर्जरों ने पलट दी थी बाजी

2018 के चुनाव में बीजेपी की हार का एक प्रमुख कारक महत्वपूर्ण गुर्जर वोट था, जो कांग्रेस के पक्ष में भारी पड़ गया. गुर्जर समर्थन में इस बदलाव ने राजस्थान के गुर्जर-मीणा बहुल पूर्व-मध्य क्षेत्र में कांग्रेस को 39 में से 35 सीटें जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि बीजेपी से सिर्फ तीन सीटों ही पीछे रह गई. पीएम मोदी मोदी ने भीलवाड़ा के देवनारायण मंदिर का दौरा किया, जहां कई गुर्जर भक्त आते हैं. कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने दावा किया था कि पीएम ने इस मंदिर को केवल 21 रुपए का दान दिया था, जिस पर बीजेपी द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद उन्हें चुनाव आयोग से कारण बताओ नोटिस मिला था.

गहलोत और पायलट के बीच नाराजगी ने बीजेपी को दिया मौका

गहलोत और सचिन के बीच चल रहे झगड़े ने गुर्जर मतदाताओं को निराश कर दिया है, जिससे संभावित रूप से बीजेपी के लिए इस समुदाय को लुभाने का रास्ता खुल गया है. इसीलिए पीएम मोदी अब खुलकर गुर्जर दांव खेल रहे हैं. राजेश पायलट और सचिन पायलट का जिक्र कर पीएम मोदी कांग्रेस को गुर्जर विरोधी बताने में जुटे हैं. इसीलिए गहलोत और पायलट ही नहीं कांग्रेस की पूरी फौज उतर गई है और यह बताने में जुटी है कि गुर्जरों का कांग्रेस हितैषी है. इतना ही नहीं प्रियंका गांधी और सचिन पायलट ने अपना समर्थन सुरक्षित करने के लिए गुर्जर बेल्ट में रैलियां की.

बीजेपी ने कई गुर्जर नेताओं को राजस्थान में उतारा

बीजेपी गुर्जरों तक मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए हर दांव चल रही है. गुर्जर मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में करने के लिए समुदाय के कई नेताओं को राजस्थान में तैनात किया गया है. यूपी के राज्यसभा सांसद और गुर्जर नेता सुरेंद्र नागर को पूर्वी क्षेत्र में गुर्जरों को एकजुट करने का काम सौंपा गया है, जबकि केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को सवाई माधोपुर जिले में तैनात किया गया है. सांसद रमेश बिधूड़ी को टोंक जिले का प्रभारी नियुक्त किया गया है.

अब पीएम मोदी ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया है और राजेश पायलट और सचिन पायलट के बहाने गुर्जरों के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की जा रही है तो कांग्रेस सचिन पायलट को आगे करके डैमेज कंट्रोल करने में जुटी है. ऐसे में देखना है कि गुर्जर समुदाय किस करवट बैठता है?