Vikrant Shekhawat : Jul 21, 2020, 04:18 PM
- Rajasthan Political Crisis Updates: स्पीकर के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट खेमे की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई मंगलवार को पूरी हो गई।
- विधानसभा स्पीकर ने विधायकों को जवाब देने के लिए 3 दिन का ही वक्त दिया, जबकि 7 दिन का देना चाहिए था। आखिर वे इतनी जल्दी में क्यों थे? दलबदल कानून तो इसलिए बनाया गया था, ताकि कोई पार्टी न बदल सके।
- हाईकोर्ट की शक्तियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। अदालत को इस मामले को सुनने का अधिकार है। हर मामले को अलग तर्कों के साथ देखना चाहिए।
- नोटिस शिकायत के दिन ही भेजा गया। नोटिस जारी करने के लिए कोई ठोस वजह नहीं बताई गई। नोटिस में वही सब लिखा गया है जो कुछ शिकायतकर्ता की शिकायत में था।
- बसपा के विधायकों को कांग्रेस में लाने पर की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- सिंघवी ने सोमवार को कहा- स्पीकर ने विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया
- गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे सचिन पायलट समेत 19 विधायकों ने विधानसभा के नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस दिन पहले 3 बजे सुनवाई हुई। सुनवाई को अमेंडमेंट की कॉपी नहीं होने पर 15 मिनट में ही टाल दिया गया था, फिर 5 बजे मामला डिविजन बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया। रात 8 बजे मामला शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया।
- शुक्रवार को 1 बजे शुरू हुई सुनवाई शाम करीब 4.30 बजे तक चली। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 20 जुलाई तक टालते हुए कहा कि विधानसभा स्पीकर नोटिस पर मंगलवार शाम 5 बजे तक कोई एक्शन न लें।
- सोमवार को फिर शुरू हुई सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं। कोर्ट ने सुनवाई अगले दिन के लिए टाल दी।
- स्पीकर ने 14 जुलाई को विधायकों को नोटिस भेजा था
इसमें गहलोत सरकार विश्वास मत के जरिए बहुमत साबित कर सकती है। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। शनिवार को गहलोत ने राज्यपाल से भी मुलाकात की थी। नियमों के मुताबिक, अगर बहुमत साबित करने में गहलोत सरकार सफल हो जाती है तो फिर विपक्ष 6 महीने तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकता।
इन विधायकों को नोटिस दिया गया था
सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पीआर मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत।
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
- बागी विधायकों की पैरवी कर रहे मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने 'बेतहाशा जल्दबाज़ी' दिखाई और नोटिस जारी करते वक्त कोई कारण भी नही दिया।
- मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया, "महामारी के बीच नोटिस का जवाब देने के लिए विधायकों को सिर्फ तीन दिन का वक्त दिया गया... इन तथ्यों को पढ़ने के बाद इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता है कि निर्णय (विधायकों को निलंबित करने का) पहले ही तय कर लिए गए निष्कर्ष का नतीजा था..."
- सोमवार को दोनों पक्षों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बहस की थी कि यह असंतोष 'पार्टी-विरोधी' है, या स्पीकर की कार्रवाई बोलने की स्वतंत्रता का हनन।
- स्पीकर सी.पी. जोशी का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर द्वारा कार्रवाई किए जाने से पहले बागी कोर्ट नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा था, "बागियों के पास स्पीकर पर सवाल उठाने का तब तक कोई आधार नहीं, जब तक स्पीकर कोई फैसला नहीं सुना देते... स्पीकर और विधानसभा फिलहाल कोर्ट के न्यायिक क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं..।"
- एक सप्ताह से भी अधिक समय से दिल्ली के निकट दो रिसॉर्ट में ठहरी हुई टीम पायलट ने उस संवैधानिक नियम को चुनौती दी है, जो उन विधायकों को अयोग्य करार देता है, जो 'अपनी इच्छा से' उस पार्टी की सदस्यता छोड़ देते हैं, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं.
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 103 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को सुरक्षित मानते हैं - जो 200-सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के आंकड़े से दो ज़्यादा है।
- राज्य में चल रहे मौजूदा सियासी संकट के बीच बागियों की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले का व्यापक असर होगा. अगर टीम पायलट को अयोग्य करार दिया जाता है, तो विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा नीचे आ जाएगा, और अशोक गहलोत के लिए विश्वासमत जीतना आसान हो जाएगा।
- मुकदमा जीतने की स्थिति में टीम पायलट के 19 सदस्य BJP के 72 सदस्यों को जोड़कर सरकार को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ जाएंगे। वे कांग्रेस सदस्यों के तौर पर ही अपनी ही सरकार के खिलाफ वोट दे सकते हैं, जिससे गहलोत के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।
- सचिन पायलट ने पार्टी से नाता तोड़ लिया था, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आदेशित जांच में उनसे सवालों के जवाब देने के लिए कहा गया। एक ओर कांग्रेस बार-बार कहती रही है कि सचिन पायलट के लिए 'दरवाज़े खुले हैं', और उधर सचिन ने भी कहा कि वह BJP में नहीं जा रहे हैं, लेकिन अशोक गहलोत के हमले तीखे होते जा रहे हैं।
- सोमवार को गहलोत ने कहा कि कोई भी यकीन नहीं कर पा रहा है कि 'ऐसा मासूम चेहरा' पार्टी के खिलाफ साज़िश रच सकता है. उन्होंने पायलट का ज़िक्र करते हुए 'निकम्मा' और 'नाकारा' शब्दों का भी इस्तेमाल किया था।
अगर कोर्ट का फैसला सचिन पायलट खेमे के पक्ष में आता है तो ये सचिन पायलट के लिए बड़ी जीत होगी। उनकी प्लानिंग पर असर पड़ेगा और वो खुलकर सीएम अशोक गहलोत के सामने आ सकेंगे। वहीं, गहलोत खेमा ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। हालांकि, पायलट खेमे के पक्ष में फैसला आने पर एक संभावना ये भी हो सकती है कि अशोक गहलोत खुद ही सरकार से अलग हो जाएं।अगर बीजेपी के साथ जाता है पायलट गुट तो...
अगर पायलट खेमा बीजेपी और उसके सहयोगियों के साथ जाता है तो क्या सियासी स्थिति होगी? ऐसे में बीजेपी के 75 विधायक, पायलट गुट के 21 MLA और क्षेत्रीय भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के दो विधायक भी एक साथ आकर सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं। हालांकि, इसकी संभावना तभी होगी जब पायलट खेमा बीजेपी के साथ जाता है। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से बीजेपी में जाने को लेकर कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा गया है।अगर अयोग्यता नोटिस को खारिज किया जाता है तो...
राजस्थान हाईकोर्ट में पायलट खेमे की ओर से दायर की गई याचिका पर कोर्ट अगर अयोग्यता नोटिस को खारिज कर देता है, तो ऐसी स्थिति में बहुमत की संख्या 101 बनी रहेगी। ऐसे में सीएम गहलोत को आगे आकर एक बार फिर से सभी कांग्रेस विधायकों को एकजुट करना होगा। उन्हें सरकार का सपोर्ट करने की अपील के साथ बहुमत के तय आंकड़े 101 को पार करना होगा। हालांकि, मौजूदा स्थिति में गहलोत खेमे का दावा है कि उनके पास 105 विधायकों का सपोर्ट है।