CP Joshi Resign / राजस्थान के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष जोशी ने पद से इस्तीफे की पेशकश की, सामने आई ये वजह

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। पिछले 4 दिन से जोशी दिल्ली में है। वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मिले भी थे। जोशी ने इस्तीफे की एक बार पहले भी लोकसभा चुनावों के परिणाम आते ही पेशकश कर दी थी। जोशी विधानसभा चुनावों के परिणामों (दिसंबर-2023) में राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही पद छोड़ना चाहते थे। उन्हें पार्टी आलाकमान ने पद पर बने

Vikrant Shekhawat : Jul 25, 2024, 05:50 PM
CP Joshi Resign: भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। पिछले 4 दिन से जोशी दिल्ली में है। वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मिले भी थे। जोशी ने इस्तीफे की एक बार पहले भी लोकसभा चुनावों के परिणाम आते ही पेशकश कर दी थी। जोशी विधानसभा चुनावों के परिणामों (दिसंबर-2023) में राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही पद छोड़ना चाहते थे। उन्हें पार्टी आलाकमान ने पद पर बने रहने को कहा था। उनके नेतृत्व में पार्टी की सरकार बन गई थी, वे किसी नए नेता को कमान सौंपना चाहते थे।

लोकसभा चुनाव में जाने से पहले भी जोशी ने आलाकमान को कहा था, वे स्वयं चित्तौड़गढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में प्रदेश भर में चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे। हालांकि आलाकमान ने उन्हें पद पर बने रहने को कह दिया था। अब लोकसभा के चुनाव परिणाम आए भी करीब डेढ़ महीना हो गया है। ऐसे में उन्होंने अब पद छोड़ने की पेशकश एक बार फिर कर दी है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही उनका इस्तीफा मंजूर हो जाएगा। किसी नए प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में ही पांच सीटों पर उप चुनाव होंगे।

उपचुनाव को लेकर शाह को दिया था फीडबैक

संसद भवन में सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह से जोशी ने मुलाकात की थी। जोशी ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनने पर बधाई दी थी। दोनों नेताओं के बीच राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर चर्चा हुई थी। जोशी पिछले दिनों उपचुनाव वाले जिलों की कार्य समितियों की बैठक में भी शामिल हुए थे। बैठकों से मिले फीडबैक के बारे में भी जोशी ने शाह को अवगत करवाया।

सीएम और प्रदेशाध्यक्ष दोनों पदों पर एक साथ ब्राह्मण होने से बदले समीकरण

राजस्थान में सीएम और प्रदेशाध्यक्ष दोनों महत्वपूर्ण पदों पर ब्राह्मण नेताओं के होने से जातिगत समीकरण बदले। पार्टी के चुनावी फॉर्मूले में हमेशा से इन दोनों पदों पर अलग-अलग जाति के नेता को रखा जाता है। इस बार संयोग से दोनों ही पदों पर ब्राह्मण नेता ही हैं। सीएम के पद पर भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष पर सीपी जोशी। पार्टी जल्द ही 5 सीटों पर उप चुनावों में जाने वाली है। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष पर किसी ओबीसी या एससी वर्ग के नेता को लिया जा सकता है, ताकि दोनों बड़े पदों का व्यापक असर मतदाताओं में पड़े। पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश और हरियाणा में भी प्रदेशाध्यक्ष ब्राह्मण ही हैं। छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में उप मुख्यमंत्री ब्राह्मण हैं। ऐसे में राजस्थान में इस बदलाव को जरूरी माना गया है।

क्या लोकसभा के परिणामों से असंतुष्ट हुए जोशी

राजस्थान में भाजपा ने पिछले दो लोकसभा चुनावों 2014 और 2019 में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार 11 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। इन परिणामों से जोशी दुखी तो नहीं थे, लेकिन वे असंतुष्ट जरूर थे। उन्होंने आलाकमान को बताया था कि लोकसभा चुनावों में क्या-क्या टिकट संबंधी समीकरण रहे और किन कारणों से चुनावों में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। उन्होंने स्वीकार किया था कि पार्टी को कुछ तय जातिगत-समाजों के वोट नहीं मिल सके हैं। ऐसे में उन्हें भी प्रतिनिधित्व देना आवश्यक है।

ओबीसी या एससी नेता को बना सकती है भाजपा प्रदेशाध्यक्ष

राजस्थान भाजपा में अगला प्रदेशाध्यक्ष ओबीसी या एससी वर्ग से जुड़े नेता को बनाया जा सकता है। चर्चा में जो नाम सबसे आगे हैं उनमें राजेंद्र गहलोत (माली), प्रभुलाल सैनी (माली) और जितेंद्र गोठवाल (एससी) हैं। इनके अलावा किसी जाट नेता को भी प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है।

इसका सीधा सा कारण है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा को बीकानेर, जोधपुर, जयपुर ग्रामीण, नागौर, श्रीगंगानगर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, बाड़मेर, दौसा, टोंक सीटों पर जाट समाज के वोट अपेक्षा से काफी कम मिले। बहुत कम सीटों पर ही भाजपा जीत पाई।

तत्कालीन उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया तक चुनाव हार गए थे। ऐसे में जाट समुदाय से भी किसी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह तय है कि प्रदेशाध्यक्ष किसी राजपूत, ब्राह्मण या वैश्य नेता को नहीं बनाया जाएगा।

वसुंधरा के बाद पिछले 30 साल में दूसरे प्रदेशाध्यक्ष जिनके नेतृत्व में पार्टी को जीत मिली

पिछले 30 सालों में राजस्थान में भाजपा को 2003 और 2013 में वसुंधरा राजे के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनावों में जीत मिली थी। जोशी वसुंधरा के बाद मात्र दूसरे प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं, जिनके नेतृत्व में 2023 विधानसभा चुनाव में पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला और 115 सीटें जीतकर भाजपा ने सरकार बनाई।

उन्हें अप्रैल-2023 में राजस्थान का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। उनसे पहले सतीश पूनिया प्रदेशाध्यक्ष थे। पिछले 30 सालों में राजे के अलावा ललित किशोर चतुर्वेदी, अरूण चतुर्वेदी, मदनलाल सैनी, ओम माथुर, महेश शर्मा, अशोक परनामी प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं।

छात्र राजनीति से आए जोशी को मिल सकती है बड़ी भूमिका

जोशी 2014, 2019 और 2024 में लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं। जोशी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बने हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जोशी को जल्द ही राष्ट्रीय नेतृत्व या केन्द्रीय मंत्रिमंडल (विस्तार होने पर) में जगह मिल सकती है।

जेपी नड्डा और अमित शाह से कर चुके हैं मुलाकात

सूत्रों ने कहा कि राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जोशी पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर चुके हैं। सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ से सांसद हैं। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बीजेपी आलाकमान से कहा है कि वह सांसद हैं पार्टी में एक व्यक्ति और एक पद का रिवाज है। इसलिए वह पद छोड़ना चाहते हैं।

पहले भी इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके हैं जोशी

 यह पहली बार नहीं है कि भाजपा राजस्थान अध्यक्ष सीपी जोशी ने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। पहले पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्होंने पद से हटने की पेशकश की थी। 

प्रदेश अध्यक्ष के लिए इन नेताओं के नाम सबसे आगे

जानकारी के अनुसार, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के लिए किरोड़ीलाला मीणा, अविनाश गहलोत, प्रभुलाल सैनी और राजेंद्र गहलोत के नाम सबसे आगे चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस बात पर भी चर्चा हुई है कि सीपी जोशी उपचुनाव तक पद पर बने रहें। फिलहाल अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान ही करेगा। 

इन सीटों पर होना है उपचुनाव

बता दें कि राजस्थान में जिन पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वे हैं झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर और चौरासी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में बीजेपी कोई जोखिम मोल लेना नहीं चाहेगी।