Wayanad Election 2024 / क्या राहुल गांधी की जीत का प्रियंका गांधी रिकार्ड तोड़ पाएंगी?

केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे। प्रियंका गांधी ने अपनी बहन के रूप में राहुल गांधी की सीट पर चुनौती स्वीकार की है। सीपीआई के सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास से टक्कर होगी। कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रियंका गांधी राहुल का रिकॉर्ड तोड़ सकती हैं।

Vikrant Shekhawat : Nov 08, 2024, 09:57 AM
Wayanad Election 2024: केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने जा रहे हैं, जो राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत दे रहे हैं। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वायनाड सीट से चुनाव मैदान में हैं, जहां उनका मुकाबला सीपीआई के सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास से है। यह उपचुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि प्रियंका गांधी ने अपने भाई राहुल गांधी की जगह ली है, जिन्होंने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में वायनाड सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी। ऐसे में सवाल यह है कि प्रियंका गांधी क्या वायनाड में राहुल गांधी का जीतने का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगी?

राहुल गांधी की वायनाड में जीत का इतिहास

राहुल गांधी ने 2019 में वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था, जहां उन्होंने 65% वोट प्राप्त किए थे और 4,31,770 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में उन्होंने कुल 706,367 वोट हासिल किए थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सीपीआई के पीपी सुनीर को 274,597 वोट मिले थे। राहुल गांधी ने 2024 में भी इस सीट पर चुनाव लड़ा और 60% वोटों के साथ 3,64,422 वोटों से जीत दर्ज की, हालांकि जीत का अंतर पहले की तुलना में थोड़ा कम था। इन दोनों चुनावों में राहुल गांधी की जीत के आंकड़े वायनाड की सियासी धारा को साबित करते हैं, लेकिन अब प्रियंका गांधी के लिए यह सवाल बना हुआ है कि क्या वह अपने भाई के इतिहास को दोहरा पाएंगी या नहीं?

प्रियंका गांधी की चुनावी शुरुआत

प्रियंका गांधी का वायनाड से चुनावी मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले दो दशकों से राजनीति में सक्रिय प्रियंका गांधी ने अभी तक राष्ट्रीय चुनावों में सीधे मुकाबला नहीं किया था। अब वायनाड से उनका चुनावी डेब्यू कांग्रेस के लिए सियासी दृष्टि से नया अध्याय बनने जा रहा है। प्रियंका का नामांकन के बाद से ही राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने प्रियंका को वायनाड से उतारकर न सिर्फ दक्षिण भारत में अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, बल्कि पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर भी स्थिति को और सशक्त करने का दांव खेला है।

प्रियंका गांधी के खिलाफ चुनावी दांव

प्रियंका गांधी के सामने मुख्य चुनौती सीपीआई के सत्यन मोकेरी से है, जिन्होंने लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के उम्मीदवार के रूप में अपनी सियासी ताकत दिखाने की पूरी कोशिश की है। सत्यन मोकेरी का चुनावी रणनीति वायनाड के स्थानीय मुद्दों और कांग्रेस के बाहरी उम्मीदवार के खिलाफ चलाने पर आधारित है। उन्होंने यह मुद्दा उठाया कि यदि प्रियंका गांधी वायनाड जीत जाती हैं तो वह शायद ही कभी इस क्षेत्र में नजर आएंगी, क्योंकि यह उनके लिए एक बाहरी सीट होगी। यह लोकल वर्सेस बाहरी का मुद्दा कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।

इसके अलावा, बीजेपी की नव्या हरिदास भी अपनी किस्मत आजमा रही हैं। हालांकि बीजेपी वायनाड में तीसरे स्थान पर रही है, लेकिन कांग्रेस को यह डर सता रहा है कि अगर बीजेपी का वोट बैंक सीपीआई में चला गया तो प्रियंका गांधी के लिए राहुल गांधी के रिकॉर्ड को तोड़ना मुश्किल हो सकता है।

प्रियंका गांधी की सियासी रणनीति

प्रियंका गांधी ने वायनाड में अपनी चुनावी कैंपेन को सफल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उनका लक्ष्य यहां 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल करना है। प्रियंका ने अपने चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों को उठाने और वोटर्स के साथ सीधा संवाद स्थापित करने पर जोर दिया है। उनका कहना है, "जो लोग यह कहते हैं कि मैं वायनाड में नहीं आऊंगी, उन्हें जान लेना चाहिए कि मैं जितना यहां रहूंगी, उतना ही काम करूंगी।" प्रियंका गांधी का यह बयान उनकी चुनावी निष्ठा और वायनाड से उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इसके अलावा, राहुल गांधी ने भी प्रियंका गांधी के पक्ष में प्रचार करते हुए कहा था कि उनकी बहन उनसे बेहतर सांसद साबित होंगी। राहुल गांधी का यह बयान प्रियंका की सियासी क्षमता को बढ़ावा देने का काम करता है और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करता है।

क्या प्रियंका गांधी राहुल गांधी के रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगी?

प्रियंका गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि क्या वह अपने भाई राहुल गांधी की जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगी। वायनाड सीट कांग्रेस के लिए एक सुरक्षित सीट मानी जाती है, लेकिन लेफ्ट और बीजेपी भी अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। प्रियंका की रणनीति पर सबकी नजरें हैं। क्या वह वायनाड के चुनावी समीकरणों को सही तरीके से भांपते हुए जीत सकती हैं, यह सवाल इस उपचुनाव में अहम बन गया है।

निष्कर्ष: प्रियंका गांधी के लिए वायनाड उपचुनाव एक कठिन चुनौती हो सकती है, लेकिन उनके पास राजनीतिक अनुभव और कांग्रेस के साथ मजबूत समर्थन है। इस सीट पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, और प्रियंका गांधी की सियासी यात्रा अब नई दिशा की ओर बढ़ने की संभावना रखती है। वहीं, सीपीआई और बीजेपी के उम्मीदवार भी किसी से पीछे नहीं हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प और रोमांचक बन गया है।