लोकल न्यूज़ / मेडिकल स्टूडेंट्स को बड़ा झटका...जानिए क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जोधपुर.नए प्रवेश लेने वाले छात्रों से साढ़े तीन साल की फीस के बराबर बैंक गारंटी मांगने के मसले पर राजस्थान के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर बैंक गांरटी नहीं लेने का आदेश दिया था। मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी।

Vikrant Shekhawat : Dec 25, 2020, 12:50 AM
  • प्राइवेट मेडिकल कॉलेज नया प्रवेश लेने वाले छात्रों से मांग रहे हैं साढ़े तीन साल की फीस के बराबर की बैंक गारंटी

जोधपुर.नए प्रवेश लेने वाले छात्रों से साढ़े तीन साल की फीस के बराबर बैंक गारंटी मांगने के मसले पर राजस्थान के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर बैंक गांरटी नहीं लेने का आदेश दिया था। मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी। लेकिन, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलते ही अगली सुनवाई से पहले बैंक गारंटी जमा कराने के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।


राजस्थान हाईकोर्ट ने दीपेश सिंह बेनीवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 17 दिसम्बर को बैंक गांरटी नहीं लेने का आदेश जारी किया था। इस पर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। आज न्यायाधीश इंदिरा बैनर्जी व न्यायाधीश हेमंत गुप्ता की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने व सभी सम्बन्धित पक्षों को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई तिथि 4 जनवरी तय कर दी।


यह है मामला:


राजस्थान के सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस स्टूडेंट्स पर दबाव बनाते हैं कि वो एक साल की फीस के साथ ही साढ़े तीन साल की बैंक गारंटी जमा करावें। यह बैंक गारंटी सभी कॉलेजों की फीस के अनुसार है, जो न्यूनतम 52.50 लाख रुपए हैं। बैंक गारंटी से परेशान अभिभावक कॉलेज को एक से दो साल की फीस एडवांस में जमा कराते हैं, जिसे कॉलेज अंतिम वर्ष में समायोजित करते हैं और उस पर किसी तरह का कोई ब्याज भी नहीं देते।


जोधपुर के अधिवक्ता दीपेश बेनीवाल ने राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया कि बच्चों के अभिभावकों पर बैंक गारंटी से अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है। इस पर अदालत ने बैंक गारंटी नहीं लेने के आदेश करते हुए आठ जनवरी तक जवाब देने के लिए सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किए थे। इस पर सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।


अभिभावकों को पहुंचे फोन:


राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाए जाने के साथ ही प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों ने स्टूडेंट्स के अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कॉलेज ने फोन करके कहा कि फैसला उनके पक्ष में हो गया है, इसलिए जल्द से जल्द बैंक गारंटी जमा करावें।


अब यह परेशानी:


अधिकांश अभिभावकों ने बैंक गारंटी बनवाई ही नहीं थी, ऐसे में अचानक से यह संभव नहीं है कि गारंटी बन जाए। दरअसल, शनिवार व रविवार को बैंक में अवकाश है और वैसे भी बैंक गारंटी की प्रक्रिया काफी जटिल है। खासकर उन लोगों के लिए जो अपनी प्रोपर्टी गिरवी रखकर बैंक गारंटी लेते हैं। ऐसे में अभिभावक बैंक गारंटी के लिए अतिरिक्त समय चाहते हैं।