Vikrant Shekhawat : Oct 05, 2024, 11:40 AM
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक नए विवाद में फंस गए हैं। स्विट्जरलैंड की एक कंपनी ने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) को 1.58 करोड़ रुपये की राशि बकाया रहने पर लीगल नोटिस भेजा है। यह बिल स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की जनवरी यात्रा के दौरान सीएम शिंदे और उनके मंत्रियों को दी गई सेवाओं का है, जिसका अब तक भुगतान नहीं किया गया है। इस मामले को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर हमला बोल दिया है और मुख्यमंत्री से जवाब मांग रहे हैं।दावोस यात्रा का मामलाजनवरी 2023 में, मुख्यमंत्री शिंदे और उनके कुछ मंत्रियों ने स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में हिस्सा लिया था। इस दौरान, एक स्विस कंपनी ने उनकी यात्रा से संबंधित विभिन्न सेवाएं प्रदान की थीं, जिनका भुगतान अब तक नहीं किया गया है। यह बिल 1.58 करोड़ रुपये का है, जिसे अब तक चुकाया नहीं गया है, और इसको लेकर कंपनी ने MIDC को लीगल नोटिस जारी किया है।अगस्त में मिला लीगल नोटिसस्विस कंपनी द्वारा भेजा गया नोटिस 28 अगस्त को प्राप्त हुआ था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) ने अभी तक 1.58 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान नहीं किया है। इससे पहले, MIDC ने 3.75 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया था, लेकिन इस शेष राशि का भुगतान लंबित है।सेवाओं के प्रमाण के साथ नोटिसस्विस कंपनी ने जनवरी 2023 में आयोजित WEF के दौरान दी गई सेवाओं के बिलों के प्रमाण भी अपने नोटिस के साथ प्रस्तुत किए हैं। कंपनी का दावा है कि उन्होंने 15 से 19 जनवरी तक सीएम शिंदे और उनके मंत्रियों को उच्चस्तरीय सेवाएं प्रदान की थीं, जिनके लिए यह बकाया राशि अभी तक नहीं चुकाई गई है।विपक्ष का हमलाइस विवाद के सामने आने के बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री शिंदे और उनकी सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों द्वारा विदेशी यात्राओं के दौरान किए गए खर्चों को लेकर पारदर्शिता होनी चाहिए। साथ ही, वे सरकार से यह सवाल कर रहे हैं कि क्यों इतने बड़े पैमाने पर खर्च का भुगतान लंबित रह गया है, और यह एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है।निष्कर्षमहाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके मंत्रियों द्वारा स्विस कंपनी का 1.58 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान न करने का मामला अब विपक्ष के निशाने पर है। जहां सरकार को इस मुद्दे पर सफाई देनी होगी, वहीं विपक्ष इस विवाद को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बना रहा है। आगे यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री शिंदे और उनकी टीम इस मामले को किस तरह से हल करती है और बकाया राशि का भुगतान कब तक किया जाएगा।