Vikrant Shekhawat : Jul 12, 2024, 10:51 AM
Arvind Kejriwal News: शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है. केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति केस में ED की गिरफ्तारी को चुनौती दी है. जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच अरविंद केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की 17 मई को सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके साथ ही कहा था कि केजरीवाल जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं. केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद ईडी की हिरासत में भेजे जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. 9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार दिया था. इस फैसले के खिलाफ केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.दिल्ली HC ने गिरफ्तारी को सही ठहराया थाइसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा था. हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं था क्योंकि केजरीवाल कई समन भेजे जाने के बाद भी पूछताछ के लिए ईडी ऑफिस नहीं आए. इसके बाद ईडी के पास उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.सप्लिमेंट्री चार्जशीट में केजरीवाल मुख्य आरोपीइस बीच तीन दिन पहले ईडी ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सातवीं सप्लिमेंट्री चार्जशीट पेश की, जिसमें सीएम अरविंद केजरीवाल को केस का मुख्य आरोपी बताया गया है. ईडी ने चार्जशीट में कहा कि केजरीवाल ने 2022 में हुए गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनाव अभियान में यह पैसा खर्च किया. सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कई दावे किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि केजरीवाल इस केस के किंगपिन हैं और साजिशकर्ता हैं.ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि गोवा इलेक्शन में रिश्वत के पैसे का इस्तेमाल हुआ. इसकी केजरीवाल को जानकारी थी और वो इसमें शामिल थे. चार्जशीट में केजरीवाल और आरोपी विनोद चौहान के बीच हुई व्हाट्सएप चैट की डिटेल भी दी गई है. चार्जशीट में ईडी ने प्रोसीड ऑफ क्राइम (अपराध से अर्जित आय) का भी जिक्र किया है.दिल्ली हाई कोर्ट में 17 जुलाई को होगी सुनवाईशराब घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में 17 जुलाई को अगली सुनवाई होगी. केजरीवाल की याचिका पर हाई कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केजरीवाल के वकीलों से कहा था कि जब आपके पास ऑप्शन था तब हाई कोर्ट का रुख क्यों किया? आपने ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका क्यों नहीं डाली?21 मार्च को हुई थी केजरीवाल की गिरफ्तारीED ने शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले केजरीवाल को 9 बार समन भेजा गया था. गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल कई दिनों तक ईडी की कस्टडी में थे. कोर्ट ने बाद में उनको न्यायिक हिरासत में भेजा था. इस बीच लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए उन्हें अंतरिम जमानत मिली थी. इसकी अवधि पूरी होने पर 2 जून को उन्हें सरेंडर कर दिया था.हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को सही ठहराया थाकेजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद जांच एजेंसी की हिरासत में भेजे जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। 9 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार दिया था। इस फैसले के खिलाफ केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ED से जवाब मांगा था।हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं था क्योंकि केजरीवाल कई समन भेजे जाने के बाद भी पूछताछ के लिए ED ऑफिस नहीं आए। इसके बाद ED के पास उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।ED ने शराब नीति केस में सातवीं सप्लिमेंट्री चार्जशीट दाखिल कीइधर, शराब नीति केस में ED ने मंगलवार (9 जुलाई) को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सातवीं सप्लिमेंट्री चार्जशीट पेश की। 208 पेज की इस चार्जशीट में दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को केस का सरगना और साजिशकर्ता बताया गया है। चार्जशीट में कहा गया कि स्कैम से मिला पैसा आम आदमी पार्टी पर खर्च हुआ है।ED ने चार्जशीट में कहा कि केजरीवाल ने 2022 में हुए गोवा चुनाव में AAP के चुनाव अभियान में यह पैसा खर्च किया। दावा किया गया है कि केजरीवाल ने शराब बेचने के कॉन्ट्रेक्ट के लिए साउथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 45 करोड़ रुपए गोवा चुनाव पर खर्च किए गए थे।ED ने जोर देकर कहा कि केजरीवाल ने दावा किया कि AAP के पूर्व मीडिया प्रभारी और इस केस के सह-आरोपी विजय नायर ने उनके नहीं, बल्कि मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम किया था। इसमें यह भी दावा किया गया है कि CM ने कहा कि दुर्गेश पाठक गोवा के राज्य प्रभारी थे और फंड का प्रबंधन करते थे और फंड से संबंधित निर्णयों में उनकी खुद कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता से रिश्वत नहीं मिली थी।