Arvind Kejriwal: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सहयोगी दलों के समर्थन में प्रचार करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र में केजरीवाल महाविकास अघाड़ी के लिए प्रचार करेंगे, विशेष रूप से शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी के लिए। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वे कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे या नहीं, जो इस गठबंधन का हिस्सा है। इस स्थिति ने सियासी गलियारों में चर्चा को जन्म दिया है कि क्या केजरीवाल ने कांग्रेस से पूरी तरह से दूरी बना ली है।
कांग्रेस से दूरी के संकेत?
झारखंड में भी केजरीवाल का प्रचार अभियान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पक्ष में होने की संभावना है, लेकिन कांग्रेस के लिए वे प्रचार करेंगे या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। यह अटकलें तेज हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद से आप और कांग्रेस के बीच संबंधों में दरार आ गई है। हरियाणा में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, और चुनाव के बाद नतीजे कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहे। कांग्रेस को 37 सीटें मिलीं, जबकि आम आदमी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई और उसकी जमानत जब्त हो गई थी।दिल्ली में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की संभावना खत्म हो गई है। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग लड़ेंगे, यह पहले से ही तय हो चुका है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या केजरीवाल ने अब राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस से दूरी बनानी शुरू कर दी है?
महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव एक ही चरण में होंगे, जबकि झारखंड में दो चरणों में मतदान होगा—13 नवंबर और 20 नवंबर को। दोनों राज्यों में वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के भीतर सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो चुका है, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), और एनसीपी (शरद पवार गुट) के बीच 85-85-85 सीटों का बंटवारा हुआ है। हालांकि, अभी भी 33 सीटों पर असमंजस बरकरार है।महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने पहले ही 65 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। वहीं, बीजेपी ने 99 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, जिसमें 75 मौजूदा विधायकों को फिर से मौका दिया गया है। एनसीपी (अजित पवार गुट) ने भी 38 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
केजरीवाल की भूमिका और कांग्रेस के लिए संदेश
अरविंद केजरीवाल का महाविकास अघाड़ी के समर्थन में प्रचार करना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम माना जा रहा है, खासकर जब वे शिवसेना और एनसीपी के लिए प्रचार करेंगे। लेकिन कांग्रेस के लिए उनका रुख क्या होगा, यह देखना बाकी है। यह चुनावी रणनीति क्या इस बात का संकेत है कि AAP अब कांग्रेस से अलग रास्ता चुन रही है? या यह महज एक चुनावी रणनीति है, जो अलग-अलग राज्यों की राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है?हरियाणा चुनाव के बाद कांग्रेस और AAP के बीच तालमेल न होने से यह अटकलें और भी गहरी हो गई हैं। झारखंड में भी कांग्रेस के लिए केजरीवाल के प्रचार न करने की स्थिति में यह साफ हो सकता है कि दोनों दलों के बीच भविष्य में कोई गठबंधन नहीं होगा।
निष्कर्ष
अरविंद केजरीवाल का महाराष्ट्र और झारखंड में प्रचार अभियान यह दर्शाता है कि वे राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पार्टी की भूमिका को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस के साथ उनका संबंध और इस चुनाव में उनकी रणनीति क्या आकार लेगी, इस पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी। महाराष्ट्र और झारखंड के इन चुनावों में महाविकास अघाड़ी के लिए उनका समर्थन आप और कांग्रेस के बीच बढ़ती दूरियों की पुष्टि कर सकता है।