Farmers Protest News: शंभू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में है। बीते दिन किसानों ने दिल्ली कूच की कोशिश की, जिससे पुलिस और किसानों के बीच टकराव हो गया। हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें आठ किसान घायल हो गए। स्थिति को संभालने के लिए किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को वापस बुला लिया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र सरकार ने बातचीत शुरू नहीं की, तो किसान फिर से दिल्ली कूच करेंगे।
किसानों की मांग और सरकार से अपील
सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। उनका कहना था कि किसान देश के दुश्मन नहीं हैं और सरकार को उन्हें ऐसा महसूस नहीं करवाना चाहिए। उन्होंने हरियाणा पुलिस द्वारा बल प्रयोग की कड़ी आलोचना की और इसे अनुचित ठहराया। पंधेर ने कहा कि पंजाब के किसानों ने हमेशा देश के लिए बलिदान दिया है और उनकी मांगें जायज हैं।किसानों ने अपनी प्रमुख मांगों में
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी,
लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय,
कर्ज माफी, और
पेंशन योजना जैसे मुद्दों को रखा है। किसानों का कहना है कि डीएपी खाद की कमी को दूर किया जाना चाहिए और उनकी अन्य समस्याओं का समाधान निकाला जाना चाहिए।
दिल्ली कूच का टलना और बातचीत की उम्मीद
पुलिस और किसानों के बीच गतिरोध के बाद बातचीत की उम्मीद जगी है। किसानों का कहना है कि हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनसे बातचीत का स्तर तय करने को कहा है। इस पर किसानों ने केंद्रीय मंत्री से बातचीत की इच्छा जाहिर की। इसके चलते किसानों ने दिल्ली कूच का कार्यक्रम एक दिन के लिए स्थगित कर दिया। किसान फिलहाल शंभू बॉर्डर पर ही रुककर सरकार के कदम का इंतजार करेंगे।
शंभू बॉर्डर पर तैनात भारी सुरक्षा
शंभू बॉर्डर पर कल का दिन तनावपूर्ण रहा। किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की। अर्धसैनिक बलों की तैनाती, ड्रोन निगरानी, और वाटर कैनन का इंतजाम किया गया था। पुलिस और किसानों की झड़प में आठ किसान घायल हुए, जिनमें दो गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में इलाज चल रहा है।
आंदोलन की स्थिति और आगे की रणनीति
किसानों ने साफ किया है कि यदि बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलता, तो वे दोबारा दिल्ली कूच करेंगे। फिलहाल आंदोलनकारियों ने शंभू बॉर्डर पर डेरा जमा रखा है। सरकार और किसानों के बीच संवाद की संभावनाओं को लेकर हलचल है, लेकिन यदि कोई समाधान नहीं निकलता, तो आंदोलन के और उग्र होने की आशंका है।यह स्थिति एक बार फिर दिखाती है कि सरकार और किसानों के बीच विश्वास और संवाद की कमी है। अगर दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से समाधान निकालते हैं, तो यह न केवल किसानों के हित में होगा बल्कि देश की कानून-व्यवस्था बनाए रखने में भी मददगार साबित होगा।