राजस्थान / जयपुर से 75 किलोमीटर दूर दबा है 20 अरब का सोना, बढ़ती कीमतों ने जगाई आस

दौसा जिले के ढाणी-बासड़ी क्षेत्र में दबा तांबा व सोना एक बार फिर से खनिज विभाग के रडार पर है। सोने की बढ़ती कीमतों ने खनन विभाग को इस भूले बिसरे खजाने की याद दिला दी है। क्षेत्र में हुए खनन परीक्षणों के बाद यहां पांच मिलियन टन ओर में तांबा व सोना पाया गया था जिसका बाजार मूल्य अरबों रूपए में आंका जा रहा है। विभाग यहां नए सिरे से खनन की तैयारी कर रहा है।

Vikrant Shekhawat : Oct 05, 2021, 11:00 AM
जयपुर. दौसा जिले के ढाणी-बासड़ी क्षेत्र में दबा तांबा व सोना एक बार फिर से खनिज विभाग(Mineral Department) के रडार पर है। सोने की बढ़ती कीमतों ने खनन विभाग को इस भूले बिसरे खजाने की याद दिला दी है। क्षेत्र में हुए खनन परीक्षणों के बाद यहां पांच मिलियन टन ओर में तांबा व सोना पाया गया था जिसका बाजार मूल्य अरबों रूपए में आंका जा रहा है। विभाग यहां नए सिरे से खनन की तैयारी कर रहा है।

ढाणी बासड़ी प्रोजेक्ट पर जीएसआई और एमईसीएल ने खनन परीक्षण(mining test) कर यहां सोने व तांबे की मौजूदगी सुनिश्चित की है। एमईसीएल की ओर से अगस्त 2008 में किए गए परीक्षण के अनुसार यहां की भूमिगत चट्टानें मंगलवाड़ कॉम्पलेक्स का हिस्सा हैं। जिसमें ढाणी -बासड़ी, आंधी-बापी का क्षेत्र शामिल है। यहां कुल 5.13 मिलियन टन ओर में 1.17 प्रतिशत तांबा और 1.27 ग्राम प्रति टन सोना मौजूद है। हालांकि व्यावसायिक उत्पादन के लिए 3 ग्राम प्रति टन को वायबल माना जाता है।

करीब दो दशक पहले हुई थी खोज

इस क्षेत्र में धात्विक खनिज होने की संभावनाओं का पता लगने पर सबसे पहले जीएसआई ने करीब दो दशक पहले यहां ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में खोज शुरू की। शुरुआती संकेतों के बाद एमईसीएल ने ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में इसमें परीक्षण प्रारम्भ किया और 2008 की रिपोर्ट में यहां सोना व तांबा होने को सुनिश्चित किया था। उस समय सोने की कीमतें बहुत कम होने व यहां के स्वर्ण भंडार के अपेक्षाकृत कम मात्रा में होने के चलते इसे ज्यादा वायबल नहीं माना गया था। लेकिन फिर भी एक निजी कम्पनी ने यहां खनन करने के लिए आवेदन किया था। निजी कम्पनी ने यहां से दस साल के खनन में 31 हजार टन तांबा व 1,07,795 ओंस सोना निकाले जाने की संभावना बताई थी। कम्पनी के अनुसार यहां कुल 64705 टन तांबा और 205750 ओंस सोने के भंडार हैं। अब खनन विभाग नई नीतियों के तहत नए सिरे से यहां खनन(mining) की संभावनाएं तलाश रहा है।

ताम्बे की मौजूदगी से फायदे का सौदा

अभी अन्तरराष्ट्रीय बाजार में सोने की प्रति टन कीमत करीब चार अरब उन्नीस करोड़ ग्यारह लाख अस्सी हजार रूपए है। इस लिहाज से यहां से निकलने वाले सोने की कीमत लगभग बीस अरब रूपए से ज्यादा होने का अनुमान है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक यहां सोना कम होने से मैटलर्जी लागत ज्यादा होने की आशंका रहेगी किन्तु ताम्बा भी साथ मिलने से यह निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।

अब मौके पर हैं गड्ढे, खड़ी है फसल

ढाणी बासड़ी के जिस क्षेत्र में सोने की खोज में जीएसआई व एमईसीएल लगे थे वहां उन्होंने बोरवेल तकनीक से भूगर्भ के नमूने लिए थे और उनके परीक्षण किए थे। उसमें से बहुत सारी जमीन किसानों की निजी खातेदारी के साथ ही गोचर भूमि भी थी। परीक्षण के बाद विभाग उन बोरवेल्स को बंद कर गया था। अब वहां गड्ढे और फसल खड़ी है।

इनका कहना है...

ढाणी बासड़ी में जीएसआई ने काफी काम किया था। यहां सोना मिला भी था। लेकिन वह बहुत अधिक मात्रा में नहीं था। इसकी उपलब्धता भी बहुत सीमित ही थी। यहां साथ ही तांबा भी मिला था। यहां क्लस्टर माइनिंग करने से यह आर्थिक तौर पर फायदेमंद हो सकता है।

राजस्थान में खनिज(Mineral)संपदा के खोज व खनन कार्य को गति देने के योजनाबद्ध प्रयास जारी हैं। भूकिया में स्वर्ण भंडार का खोज कार्य जारी है। दौसा के ढाणी बासड़ी में भी स्वर्ण भंडार के खनन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।