किसान आंदोलन / 30 बाय 15 फीट के टैंट से शुरू हुआ सिलसिला 1 किमी तक पहुंचा, किसानों को जोड़ने की कवायद जारी

कृषि कानूनों के विरोध में 12 दिसंबर को अलवर के शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर पर 30 बाय 15 फीट के टैंट में किसान आंदोलन शुरू हुआ था। अब यह आंदोलन करीब 1 किलोमीटर तक फैल चुका है। नेशनल हाइवे के ऊपर पिछले सात दिनों में किसानों को आंदोलन तेजी से बढ़ा है। औसतन हर दिन 100 से 125 मीटर फैलते गए हैं। किसानों का आंदोलन इसी रफ्तार से आगे बढ़ा तो कह नहीं सकते कब हाइवे की दूसरी लाइन भी बंद हो जाए।

Vikrant Shekhawat : Dec 19, 2020, 02:59 PM

कृषि कानूनों के विरोध में 12 दिसंबर को अलवर के शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर पर 30 बाय 15 फीट के टैंट में किसान आंदोलन शुरू हुआ था। अब यह आंदोलन करीब 1 किलोमीटर तक फैल चुका है। नेशनल हाइवे के ऊपर पिछले सात दिनों में किसानों को आंदोलन तेजी से बढ़ा है। औसतन हर दिन 100 से 125 मीटर फैलते गए हैं। किसानों का आंदोलन इसी रफ्तार से आगे बढ़ा तो कह नहीं सकते कब हाइवे की दूसरी लाइन भी बंद हो जाए।

किसान रामपाल जाटव और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव का साफ कहना है कि किसान पूरी तरह शांतिपूर्वक ही आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे। वैसे बॉर्डर के पास रामपाल जाट के नेतृत्व में 2 दिसम्बर से किसान आंदोलन शुरू हो गया था।

यहां करीब पांच राज्यों के किसान और नेता
अब शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर पर राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के किसान संगठनों के प्रतिनिधि व किसान आंदोलन में शामिल हो चुके हैं। जिसके कारण यहां रोजाना किसानों की संख्या बढ़ी है। यही नहीं किसानों के रात्रि विश्राम के लिए दिनों दिन टैंट लगाने पड़े हैं। उसी का नतीजा है कि किसान आंदोलन बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर पहले तक फैल चुका हैं। बॉर्डर से पहले पुल तक किसान, टैंट और आंदोलन की हलचल के अलाव कुछ नजर नहीं आता।

तापमान नीचे जा रहा, किसान आगे आ रहे
जैसे-जैसे जिले में न्यूनतम तापमान नीचे जाने लगा है। वैसे-वैसे किसानों का आंदोलन आगे बढ़ने लगा है। यहां 80 से 90 साल के बुजुर्ग भी मौजूद हैं। जबकि रात को पारा 4 डिग्री सेल्सियस के नीचे जाने लगा हैं। मतलब आसपास के खेतों में ओस की बूंदें जमने लगी हैं। ऐसे में किसान हाइवे पर टैट के नीचे डटे हुए हैं। उनका साफ कहना है कि कृषि कानून वापस नहीं लिए जाने तक यहां से पीछे हटने वाले नहीं हैं। सीधे सिंधु बॉर्डर से किसानों की रणनीति बनती है और आगे जारी की जाती है।

हाइवे के ऊपर इस रह टैंट लगे हैं। जिनमें रात्रि विश्राम के बाद बिस्तर फोल्ड कर रख दिए जाते हैं।

आस-पास के गांवों से सम्पर्क साध रहे
अब किसान नेता आंदोलन की जगह से 50 किलोमीटर दूर तक के गांवों तक पहुंचने लगे हैं। वहां भी किसानों से बराबर सम्पर्क साध रहे हैं। जिसके पीछे एक ही मकसद है कि आंदोलन को तेज किया जाएगा। ताकि केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके।