UPSC Lateral Entry / लेटरल एंट्री से सरकार कर रही दलित-OBC, आदिवासियों के अधिकारों पर हमला- राहुल गांधी

लेटरल एंट्री विवाद पर सरकार के सूत्रों ने सफाई दी है, लेकिन राहुल गांधी ने इस पर फिर से हमला बोला है। उनका आरोप है कि इस फैसले के माध्यम से सरकार बहुजनों से आरक्षण छीनने की कोशिश कर रही है, जिससे दलित-OBC और आदिवासियों के अधिकारों पर आघात होगा।

Vikrant Shekhawat : Aug 19, 2024, 01:15 PM
UPSC Lateral Entry: लेटरल एंट्री को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है। इस मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर हैं। सोमवार को एक बार फिर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री के जरिए दलितों, ओबीसी, और आदिवासियों के अधिकारों पर हमला किया जा रहा है। उन्होंने इसे बहुजनों से आरक्षण छीनने की साजिश बताया।

कांग्रेस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा, "लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी, और आदिवासियों पर हमला है। बीजेपी का विकृत रामराज्य संविधान को नष्ट करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास कर रहा है।"

राहुल गांधी ने ये भी लगाए आरोप

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को दरकिनार कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के माध्यम से लोकसेवकों की भर्ती कर रहे हैं, जिससे संविधान पर हमला हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर SC, ST, और OBC वर्ग का आरक्षण छीन रही है। राहुल गांधी ने इसे सामाजिक न्याय और वंचितों के हक पर हमला करार दिया और कहा कि इससे प्रशासनिक ढांचा भी कमजोर हो रहा है।

सरकार ने क्या दिया जवाब? 

सरकार ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि लेटरल एंट्री की अवधारणा सबसे पहले यूपीए सरकार के दौरान सामने आई थी। सरकार के सूत्रों ने बताया कि यह विचार 2005 में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) के तहत यूपीए सरकार के दौरान पेश किया गया था, जिसकी अध्यक्षता वीरप्पा मोइली ने की थी। उस समय विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की गई थी, जिसे अब एनडीए सरकार पारदर्शी तरीके से लागू कर रही है। सरकार ने यह भी कहा कि यूपीएससी के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी भर्तियां की जाएंगी, जिससे प्रशासनिक सुधार होंगे।

इस पूरे मामले ने देश में राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है, जहां दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति पर अडिग हैं।