Waqf Amendment Bill / हम वक्फ संशोधन बिल नहीं लाने देंगे… TDP का बड़ा बयान

टीडीपी के उपाध्यक्ष नवाब जान ने वक्फ संशोधन बिल को नाकामयाब कराने की बात कही है। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू सेकुलर विचारधारा के नेता हैं, जो सभी धर्मों का समान सम्मान करते हैं। AIMPLB ने भी इस बिल को खतरनाक बताते हुए मस्जिदों और कब्रिस्तानों को खतरे में बताया है।

Vikrant Shekhawat : Nov 03, 2024, 05:00 PM
Waqf Amendment Bill: भारत की राजनीतिक सर्दी में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब बीजेपी की सहयोगी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई है। टीडीपी के उपाध्यक्ष नवाब जान उर्फ अमीर बाबू ने इस बिल को नाकामयाब करने का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि "भारत की बदकिस्मती है कि पिछले 10-12 साल में यहां वो हुआ जो नहीं होना चाहिए था।" उन्होंने टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू की सेकुलर सोच की प्रशंसा करते हुए कहा कि नायडू हिन्दू और मुसलमान को समान दृष्टि से देखते हैं।

चंद्रबाबू नायडू की भूमिका

नवाब जान ने चंद्रबाबू नायडू के विचार को साझा करते हुए कहा कि "जिस धर्म का जो भी बोर्ड है, उसमें उसी धर्म के लोग होने चाहिए।" यह स्पष्ट करते हुए कि वे वक्फ संशोधन बिल को स्वीकार नहीं करेंगे, उन्होंने आगामी 15 दिसंबर को आंध्र प्रदेश में जमीयत के जलसे में नायडू की भागीदारी की पुष्टि की। इस बयान से देश की सियासत में नई गर्मी पैदा हो सकती है, खासकर जब टीडीपी केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन करती है।

AIMPLB की चिंताएं

वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी वक्फ संशोधन बिल को लेकर चेतावनी दी है। बोर्ड ने इस बिल को "खतरनाक" बताते हुए कहा है कि वक्फ कानून में बदलाव की कोशिशों से मस्जिद, कब्रिस्तान और मदरसे सब खतरे में पड़ जाएंगे। AIMPLB ने यह भी कहा कि वक्फ, नमाज और रोजा की तरह एक इबादत है, और इसके साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

वक्फ बिल 2024 का संसद में प्रस्तुतिकरण

वक्फ बिल 2024 को संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था। इसके विरोध में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने आवाज उठाई है। इस विरोध के बाद, सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया है, जिसमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य शामिल हैं।

जेपीसी की गतिविधियाँ

वक्फ संशोधन बिल पर बनी जेपीसी को अब तक 90 लाख से अधिक सुझाव ईमेल के माध्यम से प्राप्त हो चुके हैं, और साथ ही 70 से 80 बॉक्स में लिखित सुझाव भी आए हैं। जेपीसी की अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन इस मुद्दे का समाधान होता नहीं दिख रहा है।

जेपीसी नवंबर के अंत तक अपनी रिपोर्ट तैयार कर संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की योजना बना रही है। इसके लिए, समिति 9 नवंबर को असम का दौरा शुरू करेगी और फिर ओडिशा, कोलकाता, पटना और लखनऊ का दौरा करेगी, जहां वे स्टेक होल्डर्स के साथ बैठकें करेंगे।

निष्कर्ष

वक्फ संशोधन बिल के मुद्दे पर टीडीपी और AIMPLB के बयान देश की सियासत को गरमा सकते हैं। यह बिल न केवल धार्मिक संवेदनाओं को प्रभावित करता है, बल्कि भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिक समीकरणों को भी बदल सकता है। ऐसे में सभी पक्षों की नजरें इस विधेयक पर बनी रहेंगी, और देखना होगा कि क्या टीडीपी और AIMPLB की चिंताओं का सरकार पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं।