Champai Soren News / बीजेपी में हेमंत से बगावत कर किस डील के साथ आए हैं चंपई सोरेन?

दिल्ली से रांची लौटने के बाद चंपई सोरेन की बीजेपी में एंट्री ने झारखंड की सियासत में हलचल मचा दी है। उन्होंने नरेंद्र मोदी के काम से प्रेरित होकर बीजेपी जॉइन की बात की, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, उन्हें झारखंड चुनाव के बाद बड़ा पद देने का वादा किया गया है। इस बीच, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी की नाराजगी ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।

Vikrant Shekhawat : Aug 29, 2024, 01:30 PM
Champai Soren News: दिल्ली से रांची लौटने के बाद झारखंड की राजनीति में एक नया ड्रामा शुरू हो गया है। झारखंड की सियासत में जब चंपई सोरेन का बीजेपी में शामिल होने की खबरें आईं, तो एक साथ कई सवालों ने जन्म ले लिया है। आखिर चंपई सोरेन बीजेपी में किस डील के साथ आए हैं और क्या बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाएगी?

चंपई सोरेन ने बुधवार को जब बीजेपी में शामिल होने के कारणों का खुलासा किया, तो उन्होंने कहा कि वह नरेंद्र मोदी के कामों से प्रेरित होकर बीजेपी में आए हैं। हालांकि, यह एक सामान्य सा बयान था। इसके पीछे की वास्तविकता कुछ और ही हो सकती है। चंपई सोरेन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्हें झारखंड चुनाव के बाद एक बड़ा पद देने का वादा किया गया है। इस पद की प्रकृति पर फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि चंपई के करीबी लोग इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।

क्या चंपई को बीजेपी बनाएगी मुख्यमंत्री?

झारखंड में इस सवाल ने जोर पकड़ लिया है कि क्या बीजेपी चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाएगी? इस सवाल की गंभीरता को समझने के लिए हमें कुछ बिंदुओं पर गौर करना होगा:

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और चंपई के संबंध: जब चंपई सोरेन असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और गृहमंत्री अमित शाह से मिल रहे थे, उसी समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे थे। यह संयोग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर बाबू लाल मरांडी की नाराजगी को लेकर। मरांडी की नाराजगी के दो प्रमुख कारण हैं:

बाबू लाल मरांडी जब 2020 में बीजेपी में आए, तो उन्हें पार्टी ने सबसे आगे रखा था। लेकिन अब पार्टी ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि झारखंड में बिना चेहरा चुनाव लड़ेगी।

मरांडी के करीबी लोगों का कहना है कि चंपई सोरेन को बीजेपी में लाने की योजना दिल्ली में बनाई गई, जिसमें बाबू लाल मरांडी को शामिल नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री पद की दावेदारी: चंपई के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। पहले केवल बाबू लाल मरांडी का नाम इस दावेदारी में था, लेकिन अब चंपई सोरेन का नाम भी उभरकर सामने आया है। यह बात तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगी:

  • क्या बीजेपी झारखंड में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी?
  • चंपई सोरेन कितने विधायक जीतकर लाएंगे, और बाबू लाल मरांडी कितने?
  • दोनों में से कौन अपनी-अपनी सीट जीत पाएगा?
राज्यपाल का पद और बेटे को टिकट देने की चर्चा

एक अन्य चर्चा यह भी है कि अगर चंपई सोरेन मुख्यमंत्री नहीं बन पाते, तो उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल भी बनाया जा सकता है। हालांकि, इस पर न तो बीजेपी ने कोई बयान दिया है और न ही चंपई ने। इसके अलावा, बीजेपी से उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को सिंहभूम की घटशिला सीट से टिकट देने की बात भी चल रही है। बाबूलाल सोरेन लंबे समय से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और यह सीट वर्तमान में जेएमएम के रामदास सोरेन के कब्जे में है।

झामुमो की प्रतिक्रिया

सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भी इस स्थिति पर तंज कसने से पीछे नहीं हट रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल्हान की एक रैली में कहा कि बीजेपी अपने नेता को नहीं ढूंढ पा रही है और बाहरी नेताओं को खरीद-फरोख्त करके पार्टी में ला रही है। उन्होंने दावा किया कि झारखंड की जनता बीजेपी के इन झांसे में नहीं आएगी।

चंपई सोरेन का सियासी सफर

चंपई सोरेन ने 1991 के उपचुनाव में पहली बार सरायकेला सीट से विधायक बनकर अपने सियासी करियर की शुरुआत की। 2009 में उन्हें झारखंड सरकार में मंत्री बनाया गया और इसके बाद अर्जुन मुंडा तथा हेमंत सोरेन की सरकारों में भी मंत्री रहे। 2019 में वह जमशेदपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 2024 की शुरुआत में, जब हेमंत सोरेन जेल गए, तो झामुमो ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी।

इस तरह, चंपई सोरेन की बीजेपी में शामिल होने के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह बीजेपी की योजनाओं में फिट बैठते हैं या नहीं, और क्या उनके आने से झारखंड की सियासत में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।