राजस्थान / एनकाउंटर के 50 महीने बाद राजस्थान में अचानक फिर से क्यों चर्चा में है आनंदपाल का नाम... पुलिस परेशान

राजस्थान में कई बड़ी अपराधिक घटनाओं और Gangwar में लाॅरेंस का नाम सामने आने के बाद पुलिस एक्टिव हुई और उसे गिरफ्तार किया। जब तक वह राजस्थान की जेलों में रहा पुलिस को परेशान करता रहा। उसके बाद उसे एक केस में दिल्ली भेज दिया गया। वहां काफी समय से Tihar jail में बंद लाॅरेंस एक बार फिर से जयपुर पुलिस के पास आया है और अब जयपुर पुलिस एक बार फिर से परेशान है। पुलिस की परेशानी के एक नहीं दो कारण है।

Vikrant Shekhawat : Oct 06, 2021, 06:38 PM
राजस्थान(Rajasthan ) में कई बड़ी अपराधिक घटनाओं और Gangwar में लाॅरेंस का नाम सामने आने के बाद पुलिस एक्टिव हुई और उसे गिरफ्तार किया। जब तक वह राजस्थान(Rajasthan ) की जेलों में रहा पुलिस को परेशान करता रहा। उसके बाद उसे एक केस में दिल्ली भेज दिया गया। वहां काफी समय से Tihar jail में बंद लाॅरेंस एक बार फिर से जयपुर पुलिस के पास आया है और अब जयपुर पुलिस एक बार फिर से परेशान है। पुलिस की परेशानी के एक नहीं दो कारण है। एक तो लाॅरेंस को किसी भी गतिविधी से रोकना और दूसरी उसकी मदद से खड़ी की जा रही आंनदपाल गैंग को खड़े होने से पहले ही नष्ट करना। दोनो मामलों मं फिलहाल पुलिस अधिकारी ज्यादा कुछ कहने से बच रहे हैं। हांलाकि आंनदपाल के खास गुर्गे Subash Mood का इस पूरे केस मे नाम सामने आ रहा है।

लाॅरेंस की मदद से गैंग फिर से खड़ी करना चाह रहा था सुभाष पुलिस सूत्रों की मानें तो Anandpal singh Encounter के बाद से उसकी गैंग लगभग पूरी तरह से खत्म हो गई हैं। गैंग के पांच सक्रिय सदस्यों जिनमें आनंदपाल के भाई और खास दोस्त थे उनमें से अधिकतर जेल में हैं और बाकि फरारी काट रहे हैं। दो से ढाई साल के दौरान आनंदपाल की गैंग से ताल्लुक रखने वाला कोई भी बड़ा केस सामने नहीं आया है। इस दौरान आनंदपाल का खास साथी और अब गैंग एक्टिव करने की फिराक में घुम रहे सुभाष बराल का नाम सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों ही सुभाष जमानत पर बाहर आया है और उसने ही कारोबारी से एक करोड रुपए की रंगदारी वसूल करने का खेल किया है। पुलिस उस तक पहुंचने की तैयारी कर रही है।

सुभाष के कहने पर आनंद ने रची थी पूरी साजिशबताया जा रहा है कि सुभाष बराल आनंदपाल गैंग का सबसे सक्रिय सदस्य रहा था। आनंदपाल के साथ फरार होने पर उसे दबोचा गया था और जेल भेज दिया गया थाए उस पर और भी कई मामले चल रहे थे। जेल से पिछले दिनों ही वह जमानत पर निकला था तो रुपयों की जरुरत पडी। यहां तक कि जमानत के लिए भी उसके पास रुपए नहीं थे। तो उसने अपने साथी आनंद शांडिल्य की मदद ली और उसके बाद वकील के लिए रुपयों का बंदोबस्त कर जमानत कराई।

सुभाष के जेल से बाहर आने के बाद आनंद भी अपने रुपए मांगने लगा तो सुभाष और आनंद का झगड़ा भी हुआ। बाद में दोनो ने मिलकर लाॅरेंस के नाम पर रंगदारी वसूल करने का प्लान किया और इस प्लान को अंजाम देने के लिए बड़े कारोबारी की तलाश करने लगे। बड़े कारोबारी से आंनद शांडिल्य की दोस्ती थी। वह उसे अपने प्रोजेक्ट में पार्टनर नहीं बना रहा था।

इससे आनंद खुन्नस खाए हुए था। उसने अपने साथी कारोबारी के बारे में सुभाष को बताया और सुभाष ने लाॅरेंस को इस बारे में बताया। लाॅरेंस के कहने पर संपत नेहरा ने कारोबारी को रंगदारी के लिए इंटरनेट काॅल किया। इस काॅल से बिना डरे कारोबारी सीधा जवाहर नगर पुलिस के पास जा पहुंचा और बाद में पुलिस ने पूरा मामला खोल दिया।

जेल में चला मुलाकातों का लंबा दौरपुलिस अफसरों के अनुसार जेलों में गैंगस्टर्स का मेल जोल बढ़ता है। लाॅरेंस और आनंदपाल का पहले से ही कनेक्शन रहा था। दोनो की मुलाकात जयपुरए अजमेर और भरतपुर की जेलों में हुई थी। उसके बाद आनंदपाल का एनकाउंटर कर दिया गया। फिर उसके खास साथी सुभाष के साथ अजमेर घूघरा जेल में लाॅरेंस का कनेक्शन बैठा।

दोनो ने राजस्थान में साथ काम करने की कोशिश भी की। लेकिन बात नहीं बनी। बाद में लाॅरेंस को दिल्ली तिहाड़ जेल भेज दिया गया। सुभाष और आनंद शांडिल्य की पहचान भी अजमेर की घूघरा जेल में ही हुई थी। जेलों में चली सैटिंग और इंटरनेट काॅल की मदद से राजस्थान मे एक बार फिर से बड़ी गैंग सक्रिय की जा रही थी। लेकिन पुलिस के सही समय पर लिए गए सही एक्शन ने इसे फिलहाल के लिए तोड़ दिया है।