राजस्थान (Rajasthan) में आनंदपाल मुठभेड़ (Anandpal encounter) और सांवराद में हुए उपद्रव के मामले की सीबीआई (CBI) की चार्जशीट में 24 राजपूत नेताओं को आरेापी बनाया गया है. राज्य की अशोक गहलोत सरकार अब इस मामले में जल्द बड़ा फैसला कर सकती है. राज्य सरकार सीआरपीसी के सेक्शन 321 के प्रावधानों के तहत मामले की एफआईआर को वापस लेने के कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है. सीबीआई ने राज्य सरकार की भेजी गई जिस एफआईआर के तहत आगे जांच की है, राज्य सरकार उसे वापस ले सकती है.
राज्य सरकार ने महाधिवक्ता से कानूनी राय मांगी है, जिस तरह राज्य सरकारें मुकदमे वापस लती हैं, उसी प्रक्रिया के तहत सांवराद मामले में दर्ज मुकदमे को भी वापस लेने के कानूनी पहलुओं और संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है. महाधिवक्ता से इस पर कानूनी राय आने के बाद आगे फैसला होगा. महाधिवक्ता की राय के बाद सांवराद मामले की एफआईआर को वापस लेने के लिए सरकार कोर्ट में अर्जी दायर कर सकती है. सीआरपीसी के सेक्शन 321 के तहत मुकदमा वापस लेने के लिए कोर्ट में अर्जी लगानी होती है, कोर्ट की अनुमति से ही मामले को वापस लिया जा सकता है.
पूर्व मंत्री भी हैं आरोपी
सीबीआई ने आंनदपाल सिंह मुठभेड़ को सही बताया था व सांवराद में हुए उपद्रव के मामले में 24 लोगों को आरोपी बनाया है, जिसमें से अधिकांश राजपूत नेता हैं. आरोपियों में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक व पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा का नाम भी शामिल है. आंनदपाल मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए आंदोलन कर रहे सभी राजपूत नेताओं को सीबीआई ने आरोपी बनाया है. सीबीआई की चार्जशीट के बाद सियासत तेज है. कांग्रेस समर्थक राजपूत नेता सीबीआई जांच पर सवाल उठाते हुए बीजेपी के इशारे पर राजपूत नेताओं को फंसाने के आरोप लगा रहे हैं.
सीएम से मिले विधायक
सांवराद मामले में राजपूत नेताओं को सीबीआई चार्जशीट में आरोपी बनाने के मामले में विधायक राजेंद्र गुढ़ा और कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ ने सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने सीएम से सांवराद प्रकरण में आरोपी बनाए गए नेताओं को राहत देने के विकल्प तलास करने की मांग उठाई. कांग्रेस से जुड़े कई राजपूत नेता भी पहले मांग उठा चुके हैं. बताया जाता है कि सीएम को यह फीडबैक भी दिया गया है कि सांवराद मामले में अगर राज्य सरकार एफआईआर विड्रो करने की अर्जी दाखिल करती है तो इसका बड़ा राजनीतिक संदेश जाएगा, यही वजह है कि सरकार ने महाधिवक्ता से राय मांगी है.